लखनऊ: परिवहन विभाग ने आवेदकों को घर बैठे लर्निंग लाइसेंस बनाने की सुविधा दी. लेकिन, साइबर ठगों ने इस सुविधा में सेंध लगा दी और जिंदा तो छोड़िए मृतकों तक के लाइसेंस जारी कर डाले. जब यह राज खुला तो परिवहन विभाग के अफसरों के होश फाख्ता हो गए. इसके बाद अब परिवहन विभाग फेसलेस व्यवस्था में धोखाधड़ी रोकने के लिए नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी कर रहा है.
अभी तक सभी लाइसेंस के लिए फेसलेस में ओटीपी की व्यवस्था थी. अब इसके साथ ही बायोमेट्रिक की व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे हर तरह की धोखाधड़ी को रोका जा सके. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत लखनऊ से होगी. सफल होने पर इस पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. आरटीओ कार्यालय में अब फिर से यह व्यवस्था लागू की जाएगी कि जो आवेदक कार्यालय आकर अपना लर्निंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं वह यह सुविधा ले सकते हैं.
पिछले दिनों लखनऊ में साइबर कैफे से एक मृतक का लर्निंग लाइसेंस जारी हो गया था. ऐसा इसलिए हो गया था क्योंकि आधार से ओटीपी आने की व्यवस्था है और दलाल अपने ही नंबर पर ओटीपी जनरेट कर लेते हैं. वही ओटीपी डालकर ऑनलाइन परीक्षा दे डालते हैं और किसी का भी लाइसेंस चुटकियों में बन जाता है. एक मृतक का लाइसेंस जारी होने पर पता चला कि जिस व्यवस्था को परिवहन विभाग फूलप्रूफ बता रहा था उसमें तो सेंध लगाना बेहद आसान है.
अब परिवहन विभाग फेसलेस व्यवस्था को फिर से फूलप्रूफ करने के लिए आधार ओटीपी के साथ ही बायोमेट्रिक व्यवस्था भी लागू करने का प्लान कर रहा है. अगर यह व्यवस्था लागू हुई तो फर्जीवाड़ा करना आसान नहीं होगा. इस व्यवस्था के तहत फॉर्म भरते समय आधार ओटीपी के साथ ही बायोमेट्रिक अनिवार्य होगा.
साथ ही जब लर्निंग लाइसेंस का टेस्ट दिया जाएगा तो भी बायोमेट्रिक होना जरूरी होगा. इसके पीछे परिवहन विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि बायोमेट्रिक होने पर यह तो तय है कि कम से कम वह इंसान वहां पर मौजूद होगा. ऐसा नहीं है कि कोई इंसान है कहीं और उसका लाइसेंस कहीं से भी जारी हुआ जा रहा है.