मिर्जापुरः विजयदशमी के मौके पर एक ओर जहां पूरे देश में रावण के पुतले के दहन के कार्यक्रम हो रहे थे तो वहीं जिले में एक जगह रावण के पुतले को लूट मची थी. हर कोई पुतले को अपनी ओर खींच रहा था. देखते ही देखते 10 मिनट में पुतले का नामो-निशान तक गायब हो गया. लोग पुतले में लगाया गया एक-एक सामान लूटकर अपने घर ले गए.
दरअसल, स्थानीय लोगों की मानें तो मिर्जापुर के विंध्याचल धाम में रावण के पुतले को जलाने के बजाय लूटने की मान्यता है. सैकड़ो वर्ष पुरानी परंपरा आज भी चली आ रही हैं. यहां रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है. लोगों का मानना है कि रावण के पुतले को घर पर लूटकर लाने से सुख-समृद्धि का वास होता है.
मिर्जापुर में अनोखी परंपरा. (photo credit: etv bharat) मिर्जापुर में अनोखी परंपरा. (video credit: etv bharat)
दशहर के मौके पर विंध्याचल धाम में मेले का आयोजन राष्ट्रीय विन्ध्य पर्यावरण सुरक्षा एवं धमोत्थान समिति की देखरेख में देर रात कराया गया. संस्था की स्थापना विन्ध्य धाम के स्वर्गीय पं. छबीले मिश्र ने किया हैं.संस्था के संरक्षक पं. शिवराम मिश्रा एवं डा. राजेश मिश्रा के नेतृत्व में विजयादशमी पर्व मेला आयोजित किया गया. यहां रावण के पुतले को जलाने के बजाय लूटा गया. पब्लिक ने रावण के सजे-संवरे दशानन के पुतले को जमकर खींचतान मनाई. देखते ही देखते दस मिनट में पूरे पुतले को लूटकर लोग घर ले गए.
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