लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने कमाई का नया जरिया ढूंढ़ निकाला है. बस स्टेशनों की छतों को किराए पर देने के लिए सर्वे कराया जा रहा है तो अब पुरानी बसों को नीलाम करने के बजाय उनका आकार बदलकर गुड्स ट्रांसपोर्टेशन में इस्तेमाल करने का प्लान बनाया गया है. यानी कंडम बसें सवारियां आने वाले दिनों में सामान ढोते हुए नजर आएंगी. इससे परिवहन निगम को काफी मुनाफे की उम्मीद है. परिवहन निगम बसों को पार्सल यान बनाएगा. केंद्रीय कार्यशाला में इन बसों को तैयार किया जाएगा. विभाग की अतिरिक्त आमदनी होगी तो इसे यात्रियों की लिए नई सुविधाएं शुरू करने में मदद मिलेगी.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में हर रोज लगभग 16 लाख यात्री सफर करते हैं. पुरानी होने पर परिवहन निगम इन्हें बेड़े से हटा देता है. इसके बाद बसों की नीलामी कर दी जाती है. बसों को बेड़े से हटाने के पीछे का मकसद यही होता है कि पुरानी बसें दुर्घटना का कारण न बनें. अभी तक जिन बसों को सवारियां ढोने के लिए खतरा माना जाता था, अब वही बसें आने वाले दिनों में परिवहन निगम को सवारी की तरह ही सामान ढोने पर भी इनकम देंगी. परिवहन निगम की तरफ से जो विजन डॉक्यूमेंट 2050 तैयार किया गया है, उसमें सवारी बसों को पुरानी होने पर गुड्स ट्रांसपोर्टेशन में तब्दील करने की भी व्यवस्था करने का प्लान किया गया है. अभी पुरानी बसों को बेड़े से हटाने के बाद नीलम कर दिया जाता है. इससे बसों को उतनी कीमत नहीं मिलती जितना गुड्स ट्रांसपोर्ट के रूप में परिवहन निगम को कमा कर दे सकेंगी. ऐसे में अब परिवहन निगम बसों को नीलाम करने के बजाय उनका आकार बदलकर उन्हें पार्सल यान के रूप में इस्तेमाल करेगा.
पार्सल यान में बदल जाएंगी पुरानी बसें
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि जो बसें 10 साल या 10 लाख किलोमीटर में जो भी पहले पूरा करती हैं, उन्हें बेड़े से हटाकर नीलाम कर दिया जाता है. अब उन्हीं बसों को कार्यशाला में नया आकार दिया जाएगा. बस की सीटें हटाकर उन्हें पार्सल यान में तब्दील कर दिया जाएगा. पार्सल यान के लिए जो भी परिवहन विभाग की लाइसेंस प्रक्रिया या नियमावली में जो भी शर्त होगी उसे पूरा किया जाएगा. पार्सल यान बनने पर यही पुरानी बसें रोडवेज के इनकम का जरिया बनेंगी. अधिकारी बताते हैं कि पहले भी पार्सल यान के रूप में बसों का इस्तेमाल किया जा चुका है.
क्या कहते हैं जीएम टेक्निकल
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (प्राविधिक) व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि विजन डॉक्यूमेंट 2050 के लिए परिवहन निगम में जो भी बेहतर किया जा सकता है, उनकी संभावनाओं को देखते हुए कई सारे बिंदु शामिल किए गए हैं. उन्हीं में से एक बिंदु यह भी है कि जो हमारी बसें पुरानी होने के बाद नीलम की जाती हैं, अब उन्हें गुड्स ट्रांसपोर्टेशन के रूप में इस्तेमाल किया जा सके. उनकी सीटों को हटाने के बाद उन्हें पार्सल यान में तब्दील कर सामान ढोने के काम में लाया जा सके. इसके लिए लाइसेंस प्रक्रिया या अन्य जो भी शर्ते होंगी, वह पूरी की जाएंगी. पहले भी इस तरह की व्यवस्था थी, अब फिर से शुरू करने की योजना है. इस पर अमल किया जा रहा है. इससे परिवहन निगम को पुरानी बसें भी इनकम लाकर देंगी.
रेलवे स्टेशन की तर्ज पर अब उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के वर्कशॉप और बस स्टेशन भी सोलर पैनल से लैस किए जाएंगे. प्रदेश के सभी बस स्टेशन पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे. कार्यशाला में भी सोलर पैनल लगाकर हर माह लाखों रुपए बिजली का बिल बचाया जाएगा. परिवहन निगम के बस अड्डों और कार्यशालाओं में सोलर पैनल लगाने को लेकर हाल ही में बैठक की है. इसका प्रस्ताव तैयार हो रहा है. यूपीनेडा से संपर्क स्थापित कर बस स्टेशनों को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत किया जाएगा.
रोडवेज ने तैयार किया प्लान
केंद्र सरकार लगातार सौर ऊर्जा की तरफ ध्यान दे रही है. सोलर पैनल लगवाने पर सरकार सब्सिडी भी दे रही है जिससे बिजली की खपत में लगातार कमी आ रही है और लोगों को फायदा भी मिल रहा है. रेलवे प्रशासन ने अपने ज्यादातर रेलवे स्टेशनों को सोलर पैनल से लैस कर दिया है. ज्यादातर सरकारी कार्यालय भी सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत हो रहे हैं, परिवहन निगम मुख्यालय की भी पूरी छत सोलर पैनल से लैस है, लेकिन परिवहन निगम के बस स्टेशन और कार्यशालाएं अभी बिजली की खपत से ही संचालित हो रही हैं. हर माह बिजली बिल के एवज में लाखों रुपए खर्च होता है. रेलवे स्टेशन की तरह ही अब अब उत्तर प्रदेश राज सड़क परिवहन निगम भी अपने बस स्टेशनों को सौर ऊर्जा से संचालित करने की तैयारी कर रहा है. प्लान बनाकर तैयार हो गया है. अब जल्द सोलर पैनल लगाने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. परिवहन निगम के अधिकारी ही मानते हैं कि अगर सोलर पैनल से बस स्टेशन और कार्यशालाएं संचालित होने लगेंगी तो हर माह परिवहन निगम का काफी पैसा बचेगा जिसे यात्री सुविधाओं में खर्च किया जा सकेगा. नई बसें खरीदी जा सकेंगी.