प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इविवि (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) में संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र मिश्र की सेवा समाप्ति के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि इविवि की कार्यकारिणी परिषद ने इस मामले में विहित प्रक्रिया व कानून का पालन नहीं किया. सत्य का पता लगाए बगैर केवल शिकायत पर एक वर्ष प्रोबेशन पीरियड बढ़ाने के बावजूद उससे पहले ही सहायक प्रोफेसर को सर्वसम्मति से सेवा से हटा दिया.
कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए याची को प्रोबेशन पीरियड पूरा करने देने व सहायक प्रोफेसर पद पर काम करने देने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा कि याची अपने विरुद्ध चल रहे आपराधिक मुकदमे का पूरा विवरण देगा, जिस पर कार्यकारिणी परिषद नियुक्ति कन्फर्म करने पर विचार करेगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने वरिष्ठ अधिवक्ता जीके सिंह और एडवोकेट संकल्प नारायण एवं श्रीवत्स नारायण व इविवि के अधिवक्ता को सुनने के बाद कानूनी एवं प्रक्रियात्मक प्रावधानों पर विचार करते हुए दिया. मामले के तथ्यों के अनुसार याची इविवि के सहायक प्रोफेसर पद पर चयनित हुआ. कार्यभार ग्रहण किया. उसे एक वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति दी गई.
आवेदन में याची ने लिखा था कि छात्र राजनीति के कारण उसके खिलाफ एक आपराधिक मुकदमा लंबित है. इस मुकदमे का ब्योरा नहीं दिया था. परिषद ने आठ अगस्त 2023 को सभी नवनियुक्त सहायक प्रोफेसरों का प्रोबेशन पीरियड एक साल के लिए बढ़ा दिया लेकिन कार्यकारिणी परिषद ने 15 सितंबर 2023 की बैठक में अध्यक्ष की अनुमति से याची व एक अन्य की सेवा समाप्ति का प्रस्ताव पारित किया. उन्हें एक माह का वेतन देकर हटा दिया गया. याचिका में इसकी वैधता को चुनौती दी गई थी।
क्यों नहीं दे रहे एक जुलाई को रिटायर अध्यापकों को नोशनल इंक्रीमेंट :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डायरेक्टर (प्रशिक्षण एवं रोजगार) निदेशालय को एक सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह कारण स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट से निस्तारित मामले के विपरीत याचियों को नोशनल इंक्रीमेंट का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अलीगढ़ के अरविंद कुमार वर्मा व 12 अन्य रिटायर अध्यापकों की याचिका पर अधिवक्ता बीएन सिंह राठौर को सुनकर दिया है. कोर्ट ने आदेश की कॉपी सीजेएम लखनऊ के माध्यम से निदेशक को प्राप्त कराने का आदेश दिया है. अधिवक्ता बीएन सिंह राठौर का कहना है कि याची एक जुलाई को सेवानिवृत्त हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार उन्हें एक साल का नोशनल इंक्रीमेंट पाने का अधिकार है लेकिन निदेशक द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने निदेशक को कारण स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.
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