नई दिल्ली: सरकार ने वायु गुणवत्ता और प्रदूषण में गिरावट को रोकने के लिए किसानों द्वारा पराली जलाने पर जुर्माना दोगुना कर दिया है. लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2023 की तुलना में 2024 में 6 से 27 नवंबर की अवधि में पराली जलाने की रिपोर्ट 68 प्रतिशत की गिरावट दर्शाती है.
पराली जलाने के मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए बागवानी विशेषज्ञ राकेश कुमार ने कहा, "किसानों को पराली के निपटान के लिए ठोस समाधान की जरूरत है, जुर्माने की राशि बढ़ाने से पराली जलाने की समस्या को रोकने में मदद नहीं मिलेगी."
इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए हरियाणा के एक किसान अमरजीत सिंह मोहरी ने ईटीवी भारत से कहा, "जुर्माने की राशि बढ़ाने से इस मुद्दे पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सरकार को छोटे किसानों को पराली के निपटान के लिए सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए क्योंकि ऐसे किसानों के लिए पराली का प्रबंधन करना खर्चीला पड़ता है. आधुनिक मशीन ऑपरेटर अक्सर धान काटने से बचते हैं और छोटे खेतों में बंडल बनाते हैं, जिसके बाद उन्हें हमेशा समस्याओं का सामना करना पड़ता है."
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की 6 नवंबर की अधिसूचना ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (पराली जलाने पर पर्यावरण मुआवजे का अधिरोपण, संग्रह और उपयोग) नियम, 2023 में संशोधन किया है. साथ ही एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग संशोधन नियम, 2024 जारी किए हैं.
नए नियम के अनुसार, दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को पराली जलाने पर 5000 रुपये प्रति घटना जुर्माना देना होगा, यह जुर्माना राशि पहले 2500 रुपये की थी. इसी तरह पांच एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को पराली जलाने पर 10000 रुपये प्रति घटना जुर्माना देना होगा, जो पहले 5000 रुपये था.
उत्तर प्रदेश के किसान अमरपाल सिंह ने ईटीवी भारत से कहा, "मेरे जैसे छोटे किसानों को पराली प्रबंधन के लिए सरकार से मदद की जरूरत है. आधुनिक मशीनों या बायो-डीकंपोजर की खरीद से हम पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ता है, इसलिए प्रशासन को इस मुद्दे से निपटने में हमारी मदद करनी चाहिए."
एनसीआर में पराली जलाने के मामले घटे
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) के कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रो इकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (सीआरईएएमएस) प्रयोगशाला के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर में आने वाले जिलों में पराली जलाने के मामले 2022 में कुल 53,672 से घटकर 2024 में 12,530 हो गए हैं.
सिंह ने बताया कि पंजाब में पराली जलाने की कुल घटनाओं की संख्या 2022 में 49,888 थी, जो घटकर 2024 में 10,821 हो गई है. हरियाणा में 2022 में पराली जलाने की कुल घटनाएं 3,629 थीं, जो घटकर 2024 में 1373 रह गई.
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