लखनऊ: लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इसको लेकर प्रदेश के सभी विभागों में प्रमोशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग में भी 30 जून तक प्रमोशन की प्रक्रिया को पूरा किया जाना है. पर इसी बीच प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में प्रमोशन के नियम को लेकर शिक्षकों और विभाग के अधिकारियों के बीच तनाव बढ़ गया है.
जहां विभाग प्रमोशन के लिए 1999 के नियम को आधार बना रहा है. वहीं विभाग के शिक्षक पुराने नियम के आधार पर ही प्रमोशन की मांग कर रहे हैं. शिक्षकों और विभाग के अधिकारियों के बीच प्रमोशन को लेकर तकरार शुरू हो गया है. शिक्षकों का कहना है की प्रमोशन के नियम में अगर बदलाव हुआ तो वह इसके लिए संघर्ष करने के लिए तैयार हैं.
प्रदेश के राजकीय शिक्षकों पर प्रमोशन के लिए 1999 के नियम थोपे जा रहे हैं. एक तरफ विभाग नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू कर जूनियर हाईस्कूल में 30 बच्चों पर एक शिक्षक का नियम लागू कर रहा है. वहीं, 1999 के यूपी बोर्ड में 60 से 85 बच्चों पर एक शिक्षक का नियम लागू कर सरप्लस शिक्षक दिखाए जा रहे हैं.
इस पूरे मामले को लेकर शिक्षकों में इसे लेकर काफी आक्रोश है. वहीं, राजकीय शिक्षकों की वरिष्ठता सूची 24 साल से नहीं बनी है. इससे एलटी से प्रवक्ता की 100 फीसदी पोस्ट खाली पड़ी हैं. राजकीय शिक्षक संघ ने इन्हीं मांगों को लेकर शासन को अपने मत से अवगत करा दिया है.