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उन्नाव हादसा; बिना फिटनेस, इंश्योरेंस-रोड टैक्स के कैसे दौड़ रही थी बस, 16 RTO में क्यों नहीं हुई चेकिंग - Unnao Accident

सवाल परिवहन विभाग के अधिकारियों पर खड़ा हो रहा है. क्योंकि, बिहार से दिल्ली के बीच कुल 16 आरटीओ कार्यालय आते हैं. हर रोज प्रवर्तन कार्रवाई का दम भरने वाले परिवहन विभाग के अधिकारी भी इस हादसे में कम दोषी नहीं हैं. अगर चेकिंग के दौरान इस बस पर एक्शन लेते तो शायद आज इतना बड़ा हादसा न होता और डेढ़ दर्जन लोग असमय ही काल के गाल में नहीं समाते.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 2:53 PM IST

लखनऊ: बिहार से दिल्ली के बीच सड़क पर काल बनकर दौड़ने वाली स्लीपर कोच बस बुधवार तड़के आगरा एक्सप्रेस-वे पर उन्नाव में हादसे का शिकार हो गई. यह बस हर रोज बिहार से दिल्ली के बीच लगभग 1200 से 1300 किलोमीटर की यात्रा कर रही थी. यह सब संभव हो रहा था परिवहन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से. वजह है कि इस बस की फिटनेस, टैक्स और रूट परमिट कुछ भी नहीं था. पूरी तरह से यह बस डग्गामार थी.

सवाल परिवहन विभाग के अधिकारियों पर खड़ा हो रहा है. क्योंकि, बिहार से दिल्ली के बीच कुल 16 आरटीओ कार्यालय आते हैं. हर रोज प्रवर्तन कार्रवाई का दम भरने वाले परिवहन विभाग के अधिकारी भी इस हादसे में कम दोषी नहीं हैं. अगर चेकिंग के दौरान इस बस पर एक्शन लेते तो शायद आज इतना बड़ा हादसा न होता और डेढ़ दर्जन लोग असमय ही काल के गाल में नहीं समाते.

आगरा एक्सप्रेस वे पर बस हादसे में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि कई दर्जन यात्री बुरी तरह घायल हैं. बस यूपी 95 टी 4720 बिहार के मोतिहारी से दिल्ली के बीच आगरा एक्सप्रेस-वे होते हुए संचालित हो रही थी. बस की फिटनेस एक जनवरी 2021 को खत्म हो चुकी है. बस का टैक्स 30 नवंबर 2023 तक ही जमा था. जबकि बीमा भी इसी साल दो फरवरी को खत्म हो चुका है.

परमिट भी इसी साल दो जनवरी को और दूसरा 15 अप्रैल को खत्म हो गया. अब सवाल यह उठता है कि जब बस की फिटनेस भी नहीं है. रूट परमिट भी नहीं है. टैक्स भी जमा नहीं है और इंश्योरेंस भी नहीं है तो फिर चेकिंग अधिकारियों के हत्थे यह बस अब तक चढ़ी क्यों नहीं? जाहिर सी बात है कि अधिकारियों पर जब चढ़ावा चढ़ता हो तो उनके हत्थे यह बस भला चढ़ती भी तो कैसे.

बिहार से दिल्ली के बीच संचालित हो रही डग्गामार बस जब यूपी में प्रवेश करती है तो दिल्ली तक कुल 16 आरटीओ कार्यालय पड़ते हैं. इनमें कुशीनगर, गोरखपुर, संत कबीर नगर, बस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, लखनऊ, उन्नाव, हरदोई, कन्नौज, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, नोएडा और गाजियाबाद शामिल हैं. इन सभी आरटीओ कार्यालय को क्रॉस करते हुए बस दिल्ली पहुंचती है. गौर करने वाली बात यह है कि गाजियाबाद से दिल्ली में घुसने का एक ही गेट है और गाजियाबाद में शासन के खास लोग बैठते हैं, फिर भी यह बस धड़ल्ले से संचालित होती रही थी. ये अपने आप में बड़ा गंभीर सवाल है.

बस के कागजों में दर्ज पता भी फर्जी है. खेती करने वाले व्यक्ति के नाम से महोबा में यह बस रजिस्टर्ड है. एआरटीओ व पुलिस की जांच में पता चला है कि मेसर्स केसी जैन ट्रैवेल्स नाम की फर्म से रजिस्ट्रेशन हुआ है. केयर ऑफ में इस बस को महोबा के किसान पुष्पेंद्र सिंह के नाम से रजिस्टर्ड कराया गया है. पुष्पेंद्र का साफा कहना है कि उसके नाम से कोई भी बस रजिस्टर्ड है ही नहीं. बस के लिए पैसे कहां से आएंगे हमारे पास.

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