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महाकुंभ में 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बाद भी गंगाजल शुद्ध; वैज्ञानिक अजय सोनकर ने NGT की रिपोर्ट को किया खारिज - NGT REPORT ON GANGA JAL

अल्कलाइन वाटर से भी बेहतर गंगाजल, प्रयागराज के वैज्ञानिक पद्मश्री अजय सोनकर ने की जांच, संगम-अरैल समेत 5 घाटों से जल निकला शुद्ध

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अजय सोनकर की जांच में गंगाजल निकली निर्मल (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 20, 2025, 10:09 PM IST

प्रयागराज: करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था की प्रतीक गंगा की जलधारा को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की रिपोर्ट को प्रयागराज के वैज्ञानिक पद्मश्री अजय सोनकर ने खारिज कर दिया है. संगम नाेज समेत प्रयागराज के पांच गंगा घाटों से गंगाजल के सैंपल को उसकी जांच करने वाले वैज्ञानिक ने कहा कि अल्कलाइन वाटर से भी शुद्ध है गंगाजल. इससे न सिर्फ आचमन किया जा सकता है बल्कि इससे नहाने से किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं हो सकता है. महाकुंभ में अब तक 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, बावजूद इसके गंगा जल की शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ा है.

जांच में गंगा जल निकली शुद्ध
दरअसल डॉ. अजय कुमार सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में ये साबित किया है कि गंगा का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि अल्कलाइन वाटर जैसा शुद्ध है. गंगा नदी के जल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को देश के शीर्ष वैज्ञानिक ने अपनी प्रयोगशाला में झूठा साबित कर दिया है. उन्होंने अपने सामने गंगा जल लेकर प्रयोगशाला में जांचने की खुली चुनौती भी दी है.

वैज्ञानिक सोनकर ने गुरुवार को संगम और अरैल सहित 5 घाटों से गंगा जल लेकर उसकी जांच की. डॉ. सोनकर के लगातार तीन महीने के शोध में ये साबित किया कि गंगा जल सबसे शुद्ध है. यहां नहाने से शरीर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो सकता है. प्रयोगशाला में इसकी शुद्धता की पूरी तरह से पुष्टि हो गई है. बैक्टीरियोफेज के कारण गंगा जल की अद्भुत स्वच्छता क्षमता हर तरह से बरकरार है.

संगम नोज से सैंपल लेते वैज्ञानिक अजय सोनकर (Video Credit; ETV Bharat)
बैक्टीरियोफेज के कारण गंगा जल रहती साफ अजय कुमार ने अपने इस शोध में पाया कि गंगा जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं, जो किसी भी हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं. यही कारण है कि गंगा जल में 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने के बाद भी उसका पानी दूषित नहीं हुआ.NGT ने गंगा जल को आचमन और नहाने योग्य नहीं पाया

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अभी हाल ही में गंगा जल को आचमन और स्नान के लिए अयोग्य बताया गया था. वहीं दूसरी तरफ डॉ. सोनकर के शोध में पाया गया कि गंगा जल की अम्लीयता (पीएच) सामान्य से बेहतर है और उसमें किसी भी प्रकार की दुर्गंध या जीवाणु वृद्धि नहीं पाई गई. प्रयोगशाला में 8.4 से लेकर 8.6 तक पीएच स्तर का पाया गया है, जो काफी बेहतर माना गया है.

14 घंटे बाद भी गंगा जल में हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं
अजय कुमार सोनकर ने बताया कि प्रयोगशाला में जल के नमूनों को 14 घंटों तक इंक्यूबेशन तापमान पर रखा गया था. उनमें किसी भी प्रकार की हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई. डॉ. अजय कुमार सोनकर का दावा है कि कोई भी व्यक्ति उनके साथ घाटों पर जाकर जल के नमूने इकट्ठा कर सकता है और प्रयोगशाला में उनकी शुद्धता की पुष्टि कर सकता है.

यह भी पढ़ें : महाकुंभ 2025 में आध्यात्मिक गुरु 'MAAsterG', जानिए क्या है मिशन 800 करोड़?

प्रयागराज: करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था की प्रतीक गंगा की जलधारा को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की रिपोर्ट को प्रयागराज के वैज्ञानिक पद्मश्री अजय सोनकर ने खारिज कर दिया है. संगम नाेज समेत प्रयागराज के पांच गंगा घाटों से गंगाजल के सैंपल को उसकी जांच करने वाले वैज्ञानिक ने कहा कि अल्कलाइन वाटर से भी शुद्ध है गंगाजल. इससे न सिर्फ आचमन किया जा सकता है बल्कि इससे नहाने से किसी भी प्रकार का संक्रमण नहीं हो सकता है. महाकुंभ में अब तक 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं, बावजूद इसके गंगा जल की शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ा है.

जांच में गंगा जल निकली शुद्ध
दरअसल डॉ. अजय कुमार सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में ये साबित किया है कि गंगा का जल न केवल स्नान योग्य है, बल्कि अल्कलाइन वाटर जैसा शुद्ध है. गंगा नदी के जल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को देश के शीर्ष वैज्ञानिक ने अपनी प्रयोगशाला में झूठा साबित कर दिया है. उन्होंने अपने सामने गंगा जल लेकर प्रयोगशाला में जांचने की खुली चुनौती भी दी है.

वैज्ञानिक सोनकर ने गुरुवार को संगम और अरैल सहित 5 घाटों से गंगा जल लेकर उसकी जांच की. डॉ. सोनकर के लगातार तीन महीने के शोध में ये साबित किया कि गंगा जल सबसे शुद्ध है. यहां नहाने से शरीर को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो सकता है. प्रयोगशाला में इसकी शुद्धता की पूरी तरह से पुष्टि हो गई है. बैक्टीरियोफेज के कारण गंगा जल की अद्भुत स्वच्छता क्षमता हर तरह से बरकरार है.

संगम नोज से सैंपल लेते वैज्ञानिक अजय सोनकर (Video Credit; ETV Bharat)
बैक्टीरियोफेज के कारण गंगा जल रहती साफ अजय कुमार ने अपने इस शोध में पाया कि गंगा जल में 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं, जो किसी भी हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं. यही कारण है कि गंगा जल में 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने के बाद भी उसका पानी दूषित नहीं हुआ.NGT ने गंगा जल को आचमन और नहाने योग्य नहीं पाया

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अभी हाल ही में गंगा जल को आचमन और स्नान के लिए अयोग्य बताया गया था. वहीं दूसरी तरफ डॉ. सोनकर के शोध में पाया गया कि गंगा जल की अम्लीयता (पीएच) सामान्य से बेहतर है और उसमें किसी भी प्रकार की दुर्गंध या जीवाणु वृद्धि नहीं पाई गई. प्रयोगशाला में 8.4 से लेकर 8.6 तक पीएच स्तर का पाया गया है, जो काफी बेहतर माना गया है.

14 घंटे बाद भी गंगा जल में हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं
अजय कुमार सोनकर ने बताया कि प्रयोगशाला में जल के नमूनों को 14 घंटों तक इंक्यूबेशन तापमान पर रखा गया था. उनमें किसी भी प्रकार की हानिकारक बैक्टीरिया की वृद्धि नहीं हुई. डॉ. अजय कुमार सोनकर का दावा है कि कोई भी व्यक्ति उनके साथ घाटों पर जाकर जल के नमूने इकट्ठा कर सकता है और प्रयोगशाला में उनकी शुद्धता की पुष्टि कर सकता है.

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