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ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट, सेब पैकिंज मेटीरियल पर जीएसटी कटौती और रेल विस्तार, हिमाचल को केंद्रीय बजट से बहुत आस - BUDGET 2024

केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण कल मोदी 3.0 का पहला बजट पेश करेंगी. इस बजट से देश के साथ-साथ हिमाचल के हर वर्ग को बड़ी उम्मीदें हैं. महिलाएं और नौकरीपेशा जहां महंगाई से राहत चाहते हैं. वहीं, टैक्सपेयर्स टैक्स सलैब में छूट की मांग कर रहे हैं. वहीं, बागवानों को बजट से भारी उम्मीदें हैं.

बजट से हिमाचल को उम्मीदें
बजट से हिमाचल को उम्मीदें (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 7:42 PM IST

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे घर हिमाचल प्रदेश को केंद्रीय बजट से कई उम्मीदें हैं. केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है. मोदी 3.0 का ये पहला बजट है. हिमाचल में कांग्रेस सरकार है. हिमाचल प्रदेश को 2024 के पूरक बजट से अपनी मांगों को लेकर उम्मीदें हैं. हाल ही में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पीएम मोदी से भी मुलाकात की थी.

वैसे तो केंद्रीय बजट स्टेट स्पेसेफिक नहीं होता है, लेकिन हिमाचल को अपनी मांगों के पूरा होने की उम्मीद है. तय नियमों के अनुसार केंद्र का बजट आने से पहले राज्यों के साथ प्री-बजट बैठकें होती हैं. हिमाचल में कई सालों से रेल, रोड व हवाई कनेक्टिविटी के विस्तार का मामला केंद्र के सामने रख रहा है. इसके अलावा सेब उत्पादक राज्य के तौर पर हिमाचल ने सेब पैकिंग मेटिरियल पर जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने की मांग रखी थी. 2022 में हिमाचल ने सेब पैकिंग मेटिरियल पर तत्कालीन राज्य सरकार ने जीएसटी को 12 फीसदी करने के लिए एक्स्ट्रा छह फीसदी हिस्सा खुद वहन किया था.

ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए उम्मीद

हिमाचल के पास खुद के आर्थिक संसाधन सीमित हैं. ऐसे में बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए हिमाचल केंद्र की मदद पर निर्भर है. हिमाचल को पंद्रहवें वित्तायोग ने मंडी में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपए देने की सिफारिश की थी. उस सिफारिश पर केंद्र की तरफ से फिलहाल कोई खास रिस्पॉन्स नहीं आया था. हिमाचल को आशा है कि केंद्र सरकार पंद्रहवें वित्तायोग की सिफारिश को स्वीकार कर इस प्रोजेक्ट के लिए मदद करेगी.

टैक्स सलैब में छूट की उम्मीद

इसके अलावा हिमाचल प्रदेश का टैक्स अदा करने वाला वर्ग टैक्स स्लैब में राहत चाहता है. ये उम्मीद हर बजट में रहती है. काफी समय से केंद्र ने टैक्स स्लैब को लेकर कोई बड़ी राहत नहीं दी है. करदाताओं को उम्मीद है कि खाद्य महंगाई दर को देखते हुए केंद्र सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपये से ज्यादा बढ़ाने का ऐलान करेगी. 2019 के अंतरिम बजट स्टैंडर्ड डिक्शन को 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया था. 2024 के अनुपूरक बजट में भी करदाताओं ने ये उम्मीद लगाई थी, लेकिन केंद्र ने कोई राहत नहीं दी थी.

हिमाचल के रेलवे प्रोजेक्ट्स के लिए बजट की उम्मीद

हिमाचल को उम्मीद है कि इस बार बजट में कुछ राहत मिल सकती है. अब रेल बजट अलग से नहीं आता है. केंद्रीय बजट में ही रेल बजट इंक्लूड किया जाता है. हिमाचल में रेल विस्तार का मामला दशकों से लटका हुआ है. ऊना से हमीरपुर रेल लाइन का मामला सिरे नहीं चढ़ा है. कालका-शिमला रेल मार्ग के आधुनिकीकरण को लेकर भी उम्मीद है. इसके अलावा रेल विस्तार के लंबित प्रोजेक्ट्स के लिए बजट के प्रावधान की उम्मीद है. पांवटा साहिब से जगाधरी रेल लाइन उद्योग जगत की मांग है. इसी तरह से बद्दी-चंडीगढ़ रेल लाइन के लिए भी हिमाचल की मांग निरंतर चली आ रही है. भानुपल्ली, बिलासपुर-मनाली-लेह रेल मार्ग के मुआवजे और भूमि अधिग्रहण के कुछ मसले हैं. उनके लिए केंद्र से कुछ घोषणा की आशा है. ऊना से हमीरपुर रेल मार्ग तो सांसद अनुराग ठाकुर की भी ड्रीम परियोजनाओं में से एक है. देखना है कि वे इसके लिए केंद्र के समक्ष किस तरह की पैरवी करते हैं.

विदेशी सेव के आयात पर सौ फीसदी शुल्क लगाने की मांग

हिमाचल में सेब उत्पादकों के लिए विदेश से आयात होने वाले सेब पर शुल्क को सौ फीसदी करने की मांग दशकों पुरानी है. इस मांग को लेकर बागवानों ने कई आंदोलन भी किए हैं. राज्य सरकारें भी केंद्र के समक्ष इस मसले को उठाती हैं, लेकिन किसी सरकार ने सेब पर आयात शुल्क को सौ फीसदी नहीं किया है. इसकी मार हिमाचल के बागवानों पर पड़ती है. सेब के लिए पैकिंग मेटिरियल को भी सस्ता किए जाने की बागवानों ने मांग उठाई है.

उद्योग जगत के लिए कनेक्टिविटी मुद्दा

जहां तक उद्योग जगत की बात है, उसकी प्रमुख मांग कनेक्टिविटी की है. माल को पहुंचाने के लिए रेल विस्तार और औद्योगिक क्षेत्रों में सडक़ों की दशा सुधारने की मांग है. हवाई सेवा को बढ़ाने की भी मांग है. हिमाचल सरकार के पूर्व वित्त सचिव केआर भारती का मानना है कि केंद्र के बजट से वैसे तो राज्यों को सीधे तौर पर कोई मदद नहीं मिलती, लेकिन राज्य विशेष की परिस्थितियों के हिसाब से कोई प्रोजेक्ट घोषित हो सकता है. हिमाचल के लिए तो सबसे बड़ा मसला कनेक्टिविटी का है. इसके अलावा सेब के आयात शुल्क को सौ फीसदी करना हिमाचल की पुरानी मांग है.

हिमाचल में उद्योगों व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अलग से प्रोजेक्ट मिलना चाहिए. टूरिस्ट सर्किट विकसित करने के लिए केंद्र को हिमाचल की मदद करनी चाहिए. वहीं, वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय अन्थवाल का कहना है कि हिमाचल में सरकारी कर्मचारी अधिक संख्या में है. इसके अलावा आय बढ़ने से नए लोग आयकर के दायरे में आए हैं. ऐसे में हिमाचल की जनता को टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी की आशा है. हिमाचल को केंद्र से विभिन्न सेक्टर्स के लिए मदद मिलनी चाहिए, कारण ये है कि पहाड़ी राज्य के पास खुद के संसाधन सीमित हैं. वहीं, सरकार का मानना है कि हिमाचल को केंद्र से रेल विस्तार व सेब पैकिंग मेटिरियल में जीएसटी में छूट मिलनी चाहिए. उनका कहना है कि राज्य सरकार केंद्र को हिमाचल की जरूरतों के बारे में समय-समय पर अवगत करवाती रहेगी. बजट में राज्य को केंद्र से बहुत उम्मीद है.

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