बक्सर:बिहार के बक्सर गंगा नदी में रिवर रैचिंग के तहत 2 लाख मछली अंगुलिका (Fish Seed) डाले गए. बक्सर के अहिरौली घाट पर अंगुलिका का संचयन का शुभारंभ किया गया. मत्स्य निदेशालय, पटना के व्याख्याता टुनटुन सिंह ने बताया दो दशक पहले गंगा नदी में 143 किस्म की मछलियां पाई जाती थी. 63 प्रजाति विलुप्त होकर अब केवल 80 बची है. अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि यहीं स्थिति बनी रही तो 29 प्रजातियां और विलुप्त हो जाएगी.
"इंडस्ट्री में केमिकल और खेत में पेस्टिसाइड का इस्तेमाल हो रहे हैं. यह बारिश की पानी या डायरेक्ट नदियों में आ रहे हैं. इससे जलीय प्रदूषण बढ़ रहा है. जैव विविधता पर काफी प्रभाव पड़ा है. सही समय पर भी मछली नहीं पकड़ने के कारण प्रजाति विलुप्त हो रही है. पहले एक किमी के दायरे में 250 किलो मछली मिलती थी लेकिन अब 14 से 15 किलो मिलती है."-टुनटुन सिंह, व्याख्याता, मत्स्य निदेशालय
डीएम ने किया शुभारंभः बक्सर डीएम अंशुल अग्रवाल ने गंगा नदी में रिवर रैचिंग कार्यक्रम का शुभारंभ किया. डीएम बताया कि बढ़ते जल प्रदूषण के कारण नदियों में जल जीवों की संख्या, प्रजनक मछलियों और प्रजनन स्थल नष्ट हो जाने से मछलियों की संख्या लगातार घट रही है. नदियों में सामान्यतः पाई जाने वाले मछलियों की घटती संख्या से जलीय पारिस्थिकी तंत्र और जैव विविधता पर प्रतिकूल असर हुआ है. जिससे पूरा जैव समुदाय प्रभावित हो रहा है.
"प्राकृतिक जल संपदा को बचाने, मत्स्यजीवी को जीविका का अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराने और विलुप्त हो रहे मछलियों की प्रजाति के संरक्षण के लिए यह अभियान जलाया गया है. हेतु राज्य सरकार के द्वारा अपने संसाधन से प्रमुख नदियों में रिवर रैचिंग करने की योजना चलायी जा रही है."-अंशुल अग्रवाल, डीएम, बक्सर
8-10 साल में दिखेगा फायदाः रिवर रैचिंग के तहत करेह, कमला, बुढी गंडक, कोसी, बागमती में मूल कार्प प्रजाति की ब्रुडर से अंगुलिका का संचयन किया जाना है. यह एक दीर्घकालीन कार्यक्रम है. जिसके तहत 8-10 साल तक रिवर रैचिंग कार्यक्रम के पश्चात् इसका असर मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता पर दिखाई पड़ेगा. इस योजना के क्रियान्वयन से नदियों की उत्पादकता में अभिवृद्धि होगी.