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वसुंधरा का बड़ा बयान, बोलीं- आज लोग उसी उंगली को पहले काटते हैं, जिसे पकड़कर चलना सीखते हैं - Vasundhara Big Statement

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 23, 2024, 3:33 PM IST

Udaipur Vishisht Jan Samman 2024, दो दिवसीय दौरे पर मेवाड़ पहुंचीं वसुंधरा राजे का बयान काफी चर्चा में है. बयान को लेकर अब राजनीतिक पंडित अलग-अलग कयास लगा रहे हैं. वसुंधरा राजे ने कहा, "लोग आज उसी उंगली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसे पकड़कर वो चलना सीखते हैं." जानिए पूरी खबर.

वसुंधरा राजे का बयान
वसुंधरा राजे का बयान (ETV Bharat GFX)

उदयपुर. राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मेवाड़ की धरती से एक ऐसा बयान दिया, जिसकी अब चौतरफा चर्चा हो रही है. वसुंधरा राजे ने मेवाड़ की धरती से कहा कि "लोग आज उस उंगली को काटने का प्रयास करते हैं, जिसे पकड़कर वो चलना सीखते हैं." वसुंधरा के इस बयान को लेकर अब राजनीतिक पंडित अलग-अलग कयास लगा रहे हैं.

दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 के बाद वसुंधरा राजे का यह पहला दौरा है. दो दिवसीय दौरे पर मेवाड़ पहुंची वसुंधरा राजे ने पहले दिन राजसमंद के नाथद्वारा में स्थित पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ भगवान श्रीनाथजी के दर्शन किए.

कटारिया के साथ साझा किया मंच :वसुंधरा के इस बयान को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है. लोकसभा चुनाव में झालावाड़ सीट को छोड़कर वसुंधरा ने कहीं पर भी प्रचार नहीं किया था. रविवार को उदयपुर में सुंदर सिंह भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से विशिष्ट जन सम्मान समारोह एवं व्याख्यान माला का कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में वसुंधरा ने यह बयान दिया.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सुंदर सिंह भंडारी जी ने कितने कार्यकर्ताओं को आगे पहुंचाने का काम किया. हम सब लोगों को पता है कि भंडारी जी ने कैसे लोगों को आगे बढ़ने का काम किया. वसुंधरा ने आगे कहा कि वो वफा का दौर अलग था, जब लोग किसी के द्वारा किए हुए कामों को मानते थे, लेकिन आज बहुत कुछ देखने को मिलता है. लोग पहले उस उंगली को काटने की कोशिश करते हैं, जिसको पकड़कर लोग चलना सीखते हैं.

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संघ की जमकर तारीफ :इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी मां ने हमेशा हमें संघ के संस्कार दिए. राजे ने कहा कि उनकी माता विजयाराजे सिंधिया ने एमपी में 1967 में देश में पहली बार जनसंघ की सरकार बनाई और गोविंद नारायण सिंह को सीएम बनाया. तब भंडारी जी ने पत्र लिख कर खुशी जताई थी. मां ने बचपन से ही हमें संघ के संस्कार दिए. हमारे घर में तो कई बार संघ की शाखा लगती थी. अटल, आडवाणी, राजमाता, भैरोंसिंह, सुंदर सिंह भंडारी, रज्जू भैया, केएस सुदर्शन, दत्तोपंत ठेंगड़ी और कुशाभाऊ ठाकरे जैसे देशभक्तों का मार्गदर्शन हमें मिला.

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