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इस बार कब है ऊब छठ का व्रत, जानें कैसे करते हैं व्रत के दिन पूजन - Ub Chhath Festival

Ub Chhath Festival भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ (षष्ठी तिथि) ऊब छठ होती है. ऊब छठ को चन्दन षष्ठी, चानन छठ और चंद्र छठ के नाम से भी जाना जाता है. वहीं देश की कई राज्यों में इस दिन को हलषष्ठी के रूप में मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम का जन्म हुआ था और उनका शस्त्र हल था इसलिए इस दिन को हलषष्ठी भी कहा जाता है. वहीं कई जगह इस दिन को चंदन षष्ठी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार षष्ठी तिथि 24 अगस्त को है और इसी दिन ऊब छठ पर्व होगा.

Ub Chhath Festival
Ub Chhath Festival (FILE PHOTO)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 12, 2024, 8:40 AM IST

बीकानेर.भाद्र कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को ऊब छठ त्योहार मनाया जाता है. इस दिन विवाहिता और कुंआरी कन्याएं व्रत रखती हैं . पूरे दिन निर्जला (बिना पानी)-निराहार (बिना भोजन) रहती हैं. चानन छठ की कहानी सुनती हैं. ऊब छठ का व्रत और पूजा विवाहित स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए तथा कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर पाने के लिए करती हैं. सूर्यास्त के बाद से लेकर चांद के दिखने तक व्रत करने वाली महिला एवं युवती को खड़ा रहना होता है. इस दौरान जमीन पर नहीं बैठ सकती है इसलिए इसीलिए इसको ऊब छठ कहते हैं.

विधान से करें पूजा :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन के पूजन के लिए विधान है. सूर्यास्त पश्चात नहाने के बाद तैयार होकर पूजन किया जाता है. इसके लिए लकड़ी के एक पाटे पर जल का कलश रखें. उस पर रोली से एक सतिया बनाकर सात बिन्दी लगा एक गिलास में गेहूं रखकर, दक्षिणा रखें. हाथ में गेहूं के सात-सात दाने लेकर कथा सुनी जाती है. कहानी सुनने के बाद जल कलश तथा गेहूं उठाकर रख दिया जाता है. रात्रि में चन्द्रमा उदय होने पर अर्घ्य देकर गिलास का गेहूं तथा दक्षिणा ब्राह्मणी को दी जाती हैं. चन्द्रमा के उदय के पश्चात् एक कलश का चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को खोला अर्थात पारण करना चाहिए.

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भगवान बलराम का जन्म : मान्यता के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था. उनका मुख्य शस्त्र हल था इसलिए बलराम जी को हलधर भी कहा जाता है. इसलिए देश के कई राज्यों में इस दिन को हल छठ भी कहा जाता है. सूर्यास्त के बाद चंद्रोदय से पहले बड़ी संख्या में महिलाएं और युवतियां इस दिन कृष्ण मंदिरों में दर्शन करने के लिए जाती हैं. मंदिरों में इस दिन पुरुषों का प्रवेश इसलिए वर्जित कर दिया जाता है क्योंकि बड़ी संख्या में महिलाएं और युवतियां वहां पहुंचती है.

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