बीकानेर.भाद्र कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को ऊब छठ त्योहार मनाया जाता है. इस दिन विवाहिता और कुंआरी कन्याएं व्रत रखती हैं . पूरे दिन निर्जला (बिना पानी)-निराहार (बिना भोजन) रहती हैं. चानन छठ की कहानी सुनती हैं. ऊब छठ का व्रत और पूजा विवाहित स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए तथा कुंवारी लड़कियां सुयोग्य वर पाने के लिए करती हैं. सूर्यास्त के बाद से लेकर चांद के दिखने तक व्रत करने वाली महिला एवं युवती को खड़ा रहना होता है. इस दौरान जमीन पर नहीं बैठ सकती है इसलिए इसीलिए इसको ऊब छठ कहते हैं.
विधान से करें पूजा :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन के पूजन के लिए विधान है. सूर्यास्त पश्चात नहाने के बाद तैयार होकर पूजन किया जाता है. इसके लिए लकड़ी के एक पाटे पर जल का कलश रखें. उस पर रोली से एक सतिया बनाकर सात बिन्दी लगा एक गिलास में गेहूं रखकर, दक्षिणा रखें. हाथ में गेहूं के सात-सात दाने लेकर कथा सुनी जाती है. कहानी सुनने के बाद जल कलश तथा गेहूं उठाकर रख दिया जाता है. रात्रि में चन्द्रमा उदय होने पर अर्घ्य देकर गिलास का गेहूं तथा दक्षिणा ब्राह्मणी को दी जाती हैं. चन्द्रमा के उदय के पश्चात् एक कलश का चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को खोला अर्थात पारण करना चाहिए.