फरीदाबाद: फरीदाबाद में अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने दो बच्चों को जीवनदान दिया है. इनमें एक कुवैत का रहने वाला बच्चा है, जबकि दूसरा बच्चा फरीदाबाद का ही है. दोनों बच्चों की सफल सर्जरी कर डॉक्टरों ने दोनों को जीवनदान दिया है. दोनों बच्चों के परिजन डॉक्टरों की टीम का शुक्रिया अदा कर रहे हैं.
पीयूष के रीढ़ की हड्डी टूटने लगी:दरअसल, फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने दो सफल सर्जरी की है. कुवैत के रहने वाले 8 साल के पीयूष को छाती में एक ट्यूमर था. जब ट्यूमर का ऑपरेशन किया गया, तो पता चला कि पीयूष को कैंसर भी है. उसके छाती में ट्यूमर की सर्जरी और कीमोथेरेपी के बाद पीयूष के रीढ़ की हड्डी गिरने लगी, जिससे वो कूबर हो गया. कूबर होने से उसके दिल और फेफड़ों पर दबाब पड़ने लगा. सांस लेना कठिन हो गया. इसके साथ ही उसकी रीढ़ की हड्डी टूटने लगी.
कई अस्पतालों के काटे चक्कर:इसके बाद पीयूष के परिवार भारत आ गए. भारत में कई हॉस्पिटलों के चक्कर काटे, लेकिन कहीं भी उनको इलाज नहीं मिला. इसके बाद पीयूष के परिजन उसे फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल लेकर आए. यहां डॉक्टरों की टीम ने इलाज शुरू किया. लगभग 2 माह में कई सर्जरी और डॉक्टर की निगरानी से पीयूष पूरी तरह स्वस्थ हो गया.
10 साल के वैभव को था ट्यूमर:इसी तरह 10 साल के वैभव को सर्वाइकल ट्यूमर था, जिसकी सर्जरी को लेकर उसके पिता कई अस्पतालों के चक्कर काटने लगे. जहां पर डॉक्टरों ने बताया कि इसमें एक प्रतिशत ही सरवाइव के चांसेस हैं. इसके बाद कई सालों तक आयुर्वेदिक, एलोपैथिक से इलाज की कोशिश की गई, लेकिन वैभव ठीक नहीं हुआ. उसे अमृता हॉस्पिटल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया.
8 घंटे में हुई सर्जरी:सर्जरी के बाद उसके गर्दन में काइफो स्कोलियोसिस नाम की बीमारी हो गई, जिसकी वजह से उसकी गर्दन आगे की तरफ झुकने लगी. उसे लकवा का खतरा हो गया. इस बीच डॉक्टरों की टीम ने टॉप एडवांस्ड हेलो ग्रेविटी ट्रैक्शन का उपयोग किया, ताकि वैभव के गर्दन के झुकाव को काम किया जा सके. उसके बाद लगभग 8 घंटे का एक जटिल सर्जरी किया गया. इस दौरान डॉक्टरों ने सटीक हड्डी कटौती और मॉडर्न तकनीक का उपयोग करते हुए बच्चों की जान बचाई और रीढ़ की हड्डी को सीधा किया.
दोनों की रीढ़ की हड्डी पर पड़ा था असर:ईटीवी भारत ने इन सफल ऑपरेशन के बाद अमृता अस्पताल के डॉक्टरों की टीम और पेरेंट्स से बातचीत की. बातचीत के दौरान न्यूरो एनेस्थीसिया के हेड डॉक्टर गौरव कक्कड़ ने कहा, "ये दोनों एक ऐसे जटिल बीमारी के शिकार थे, जिसमें इंसान के पूरे बॉडी का पार्ट पर इफेक्ट पड़ता है. इन दोनों केसेस में रीढ़ की हड्डी पूरी तरह से इफेक्ट हो गई थी. झुक गई थी, जिसको लेकर कई घंटे का जटिल ऑपरेशन चला. फिर से इन दोनों को एक नया जीवन मिला. इस तरह की सर्जरी काफी टफ सर्जरी होती है. देश के गिने चुने अस्पतालों में ही इस तरह की सर्जरी की जाती है. अगर समय पर सर्जरी ना हो तो पेशेंट लकवा का शिकार हो जाता है. बॉडी ग्रोथ में भी फर्क पड़ता है."