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फरीदाबाद में डॉक्टरों ने किया कमाल, सक्सेसफुल सर्जरी कर दो बच्चों को दिया जीवनदान - SUCCESSFUL SURGERY IN FARIDABAD

फरीदाबाद में डॉक्टरों की टीम ने कमाल कर दिया. टीम ने सक्सेसफुल सर्जरी कर दो बच्चों को नया जीवनदान दिया है.

Faridabad Amrita Hospital doctors Team
फरीदाबाद में डॉक्टरों ने किया कमाल (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 12, 2025, 9:45 AM IST

फरीदाबाद: फरीदाबाद में अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने दो बच्चों को जीवनदान दिया है. इनमें एक कुवैत का रहने वाला बच्चा है, जबकि दूसरा बच्चा फरीदाबाद का ही है. दोनों बच्चों की सफल सर्जरी कर डॉक्टरों ने दोनों को जीवनदान दिया है. दोनों बच्चों के परिजन डॉक्टरों की टीम का शुक्रिया अदा कर रहे हैं.

पीयूष के रीढ़ की हड्डी टूटने लगी:दरअसल, फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने दो सफल सर्जरी की है. कुवैत के रहने वाले 8 साल के पीयूष को छाती में एक ट्यूमर था. जब ट्यूमर का ऑपरेशन किया गया, तो पता चला कि पीयूष को कैंसर भी है. उसके छाती में ट्यूमर की सर्जरी और कीमोथेरेपी के बाद पीयूष के रीढ़ की हड्डी गिरने लगी, जिससे वो कूबर हो गया. कूबर होने से उसके दिल और फेफड़ों पर दबाब पड़ने लगा. सांस लेना कठिन हो गया. इसके साथ ही उसकी रीढ़ की हड्डी टूटने लगी.

कई अस्पतालों के काटे चक्कर:इसके बाद पीयूष के परिवार भारत आ गए. भारत में कई हॉस्पिटलों के चक्कर काटे, लेकिन कहीं भी उनको इलाज नहीं मिला. इसके बाद पीयूष के परिजन उसे फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल लेकर आए. यहां डॉक्टरों की टीम ने इलाज शुरू किया. लगभग 2 माह में कई सर्जरी और डॉक्टर की निगरानी से पीयूष पूरी तरह स्वस्थ हो गया.

सक्सेसफुल सर्जरी कर दो बच्चों को दिया जीवनदान (ETV Bharat)

10 साल के वैभव को था ट्यूमर:इसी तरह 10 साल के वैभव को सर्वाइकल ट्यूमर था, जिसकी सर्जरी को लेकर उसके पिता कई अस्पतालों के चक्कर काटने लगे. जहां पर डॉक्टरों ने बताया कि इसमें एक प्रतिशत ही सरवाइव के चांसेस हैं. इसके बाद कई सालों तक आयुर्वेदिक, एलोपैथिक से इलाज की कोशिश की गई, लेकिन वैभव ठीक नहीं हुआ. उसे अमृता हॉस्पिटल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया.

8 घंटे में हुई सर्जरी:सर्जरी के बाद उसके गर्दन में काइफो स्कोलियोसिस नाम की बीमारी हो गई, जिसकी वजह से उसकी गर्दन आगे की तरफ झुकने लगी. उसे लकवा का खतरा हो गया. इस बीच डॉक्टरों की टीम ने टॉप एडवांस्ड हेलो ग्रेविटी ट्रैक्शन का उपयोग किया, ताकि वैभव के गर्दन के झुकाव को काम किया जा सके. उसके बाद लगभग 8 घंटे का एक जटिल सर्जरी किया गया. इस दौरान डॉक्टरों ने सटीक हड्डी कटौती और मॉडर्न तकनीक का उपयोग करते हुए बच्चों की जान बचाई और रीढ़ की हड्डी को सीधा किया.

दोनों की रीढ़ की हड्डी पर पड़ा था असर:ईटीवी भारत ने इन सफल ऑपरेशन के बाद अमृता अस्पताल के डॉक्टरों की टीम और पेरेंट्स से बातचीत की. बातचीत के दौरान न्यूरो एनेस्थीसिया के हेड डॉक्टर गौरव कक्कड़ ने कहा, "ये दोनों एक ऐसे जटिल बीमारी के शिकार थे, जिसमें इंसान के पूरे बॉडी का पार्ट पर इफेक्ट पड़ता है. इन दोनों केसेस में रीढ़ की हड्डी पूरी तरह से इफेक्ट हो गई थी. झुक गई थी, जिसको लेकर कई घंटे का जटिल ऑपरेशन चला. फिर से इन दोनों को एक नया जीवन मिला. इस तरह की सर्जरी काफी टफ सर्जरी होती है. देश के गिने चुने अस्पतालों में ही इस तरह की सर्जरी की जाती है. अगर समय पर सर्जरी ना हो तो पेशेंट लकवा का शिकार हो जाता है. बॉडी ग्रोथ में भी फर्क पड़ता है."

दोनों बच्चों को था ट्यूमर:वहीं, पीडियाट्रिक न्यूरोसर्जन डॉक्टर सचिन गुप्ता ने बताया, "दोनों बच्चे को ट्यूमर था, जिस वजह से यह भयानक रूप ले रहा था, जिसकी वजह से उसकी रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो रही थी. इसके बाद हमारी पूरी टीम ने डिस्कस किया. फिर इस जटिल ऑपरेशन को हमने सक्सेसफुली अंजाम दिया. वैभव को ट्यूमर था, जिसकी वजह से उसकी रीढ़ की हड्डी टेढ़ी हो रही थी. वहीं, पीयूष को ट्यूमर और कैंसर दोनों था, जिसका इलाज हुआ. इलाज के बाद रीढ़ की हड्डी टेढ़ी होने लगी, जिसके बाद उनके परिवार वालों ने कई जगह दिखाया, लेकिन बाद में वो हमारे पास आए. इसके बाद हमने ऑपरेशन किया."

कुवैत से भारत आई पीयूष की फैमिली:इसके अलावा स्पाइन सर्जरी के हेड डॉक्टर तरुण ने कहा, " यह दोनों बच्चे हमारी टीम के लिए एक चैलेंज थे, क्योंकि दोनों की रीढ़ की हड्डी में काफी ज्यादा टेड़ापन था. वैभव फरीदाबाद के रहने वाले हैं. पीयूष मूल रूप से अलीगढ़ के रहने वाले हैं, लेकिन अब वह कुवैत में रहते हैं. पीयूष का कुवैत में ट्यूमर का इलाज हुआ, लेकिन ट्रीटमेंट के बाद पीयूष की रीढ़ की हड्डी टेढ़ी होने लगी, जिसकी वजह से हार्ट और लंग्स पूरी तरह से दबने लगे. इसके बाद पीयूष की फैमिली कुवैत से भारत आ गए और भारत आने के बाद वह हमारे पास आए, जिसके बाद हमने ट्रीटमेंट शुरू किया. ऑपरेशन के बाद अब वो नॉर्मल है."

2 माह में बच्चा हुआ बिल्कुल स्वस्थ: वहीं, पीयूष की मां ने बताया, "पीयूष को एक ट्यूमर था, जिसका इलाज हमने कुवैत में करवाया था. जहां पर ट्यूमर का इलाज हुआ लेकिन उसके बाद पता चला कि इसे कैंसर भी है. फिर हम इसे भारत लेकर आ गए. हमने कई हॉस्पिटल में पता किया, लेकिन सब ने मना कर दिया. हम अमृता हॉस्पिटल आए, जहां पर लगभग 2 महीने का समय लगा. मेरा बच्चा आज पूरी तरह से स्वस्थ है.

वैभव भी पूरी तरह स्वस्थ: वहीं, फरीदाबाद में रहने वाले वैभव के पिता दीपक ने कहा, "जब मुझे पता चला कि वैभव को ट्यूमर है. इसके बाद मैंने कई हॉस्पिटलों के चक्कर काटे. सभी जगह डॉक्टर ने कहा कि सरवाइव का 1% ही चांसेस है. इसके बाद आयुर्वेदिक और एलोपैथिक इलाज शुरू करवाया, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा. उसकी रीढ़ की हड्डी पूरी तरह से टेढ़ी हो गई. हम उसे लेकर इस अस्पताल में आए. डॉक्टर ने कहा कि वैभव पूरी तरह से ठीक हो जाएगा. इसके बाद डॉक्टर ने वैभव का ऑपरेशन किया.आज वैभव पूरी तरह से ठीक हो गया है."

बता दें कि ये पहली बार नहीं है. इससे पहले भी फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने कई जटिल ऑपरेशन किए हैं. कईयों को जीवन दान दिया है. इन दो बच्चों को जीवनदान देकर डॉक्टरों की टीम ने ये साबित कर दिया कि धरती पर अगर भगवान है तो वो डॉक्टर हैं.

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