कांकेर लोकसभा सीट के रण में दो भोजराज , जानिए क्यों चुनाव लड़ते हैं हमनाम उम्मीदवार - Lok Sabha Election 2024
कांकेर लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की सूची जारी करने के बाद चुनाव चिन्ह बांट दिए गए हैं.इस दौरान हमनाम वाले प्रत्याशी भी सामने आए हैं. बीजेपी के भोजराज नाग के सामने उन्हीं का हमनाम प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में है.Two Bhojraj will contest elections
कांकेर :कहावत है नाम में क्या रखा है. लेकिन बात यदि चुनाव की हो तो नाम में बहुत कुछ रखा होता है. छत्तीसगढ़ के कांकेर में लोकसभा चुनाव होने वाला है.जिसके लिए कांकेर से 9 प्रत्याशी मैदान में हैं.लेकिन इन नौ प्रत्याशियों में दो भोजराज भी मैदान में हैं.एक भोजराज बीजेपी के प्रत्याशी हैं.वहीं दूसरे भोजराज की बात करें तो दूसरे निर्दलीय प्रत्याशी भोजराज मंडावी हैं.जिनका चुनाव चिन्ह भी आबंटित हो चुका है.
चुनाव मैदान में नौ प्रत्याशी :कांकेर लोकसभा क्षेत्र-11 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नाम तय हो चुके हैं. स्क्रूटनी के बाद कुल 09 अभ्यर्थी अंतिम रूप से निर्वाचन में हिस्सा लेंगे. कलेक्टर एवं रिटर्निंग अधिकारी अभिजीत सिंह ने सामान्य प्रेक्षक डॉ. एमटी रेजू की उपस्थिति में नामों की घोषणा की.इसी दौरान प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह भी बांटे गए.
प्रत्याशियों को मिला चुनाव चिन्ह :मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय पार्टी और राज्य राजनीतिक दलों से तिलक राम मरकाम को हाथी, बीरेश ठाकुर को पंजा और भोजराज नाग को कमल चुनाव चिन्ह मिला है.इसी प्रकार रजिस्ट्रीकृत राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों में से सर्वश्री जीवन लाल मातलाम को तुरहा बजाता आदमी, थाकेश माहला को बांसुरी, भोजराम मण्डावी को नारियल फार्म, विनोद नागवंशी को बाल्टी, सुकचंद नेताम को आरी और सोनसिंह को प्रतीक चिन्ह के तौर पर कोट का सिम्बॉल आबंटित किया गया है.
कब है कांकेर में चुनाव :आपको बता दें कि लोकसभा आम निर्वाचन-2024 के अंतर्गत 28 मार्च से नामनिर्देशन पत्र वितरित किया गया. जिसकी अंतिम तिथि 04 अप्रैल निर्धारित की गई थी. इसके बाद 05 अप्रैल को प्राप्त नाम निर्देशन पत्रों की संवीक्षा किए जाने के बाद कुल नौ अभ्यर्थी चुनाव मैदान में हैं. कांकेर लोकसभा सीट के लिए शुक्रवार 26 अप्रैल को मतदान होगा.मतगणना की तारीख 4 जून रखी गई है.
क्यों खड़े किए जाते हैं हमनाम उम्मीदवार :राजनीति में चुनाव के दौरान हर तरह के दांव पेच खेले जाते हैं. इसमें से एक दांव एक ही नाम से मिलते जुलते प्रत्याशियों को मैदान में उतारने का भी है.हमनाम वाले प्रत्याशी भले ही चुनाव ना जीत सके,लेकिन वोट काटने में माहिर होते हैं.इस वजह से कई बार तगड़े प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ता है.इसके कारण जीतने वाले प्रत्याशी के वोटों में कमी आती है और चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होते हैं.