रायपुर: पर्यावरण को बचाने में पेड़ों की अहम भूमिका है. लगातार वृक्षारोपण को बढ़ावा देने जन जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. गंभीर बात यह है कि जिस तेजी से आबादी बढ़ रही है, उस गति से वृक्षारोपण नहीं हो रहा है. पेड़ काटे भी जा रहे हैं. हद तो यह भी है कि जो पेड़ लगे हुए हैं, उन पर भी खतरा मंडराता रहता है.
क्यों हो रही ''पेड़ों की मौत'': पेड़ों को बचाने के बचाए मारने की कोशिश ज्यादा हो रही है. लोग पेड़ों के आसपास सुंदरता बढ़ाने या फिर साफ सफाई के लिए पेवर, कंक्रीट और टाइल्स लगा रहे हैं. यहां तक की नगर निगम ने भी पेड़ों के आसपास पेवर, कंक्रीट और टाइल्स लगाया है. अब इस वजह से पेड़ों के सूखने या मरने का खतरा बढ़ गया है. इसे लेकर नगरीय प्रशासन की ओर से नगर निगम को निर्देश भी दिए गए.
निगम की अपनी दलील (ETV Bharat)
नहीं हुआ आदेश का पालन: नगर निगम को ये निर्देश दिया गया है कि ऑक्सीजोन, उद्यानों और अन्य स्थानों जैसे सड़कों पर पेड़ों के चारों तरफ लगे पेवर, कंक्रीट, पत्थर या टाइल्स न लगाए जाएं और जो लगाए गए हैं, उन्हें भी हटाने की बात कही गई थी. लेकिन आज तक इस आदेश का पालन नहीं किया गया है.
पेड़ों को बचाने की अपील: सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी ने भी इस मामले का संज्ञान दिलाने नगर निगम को पत्र लिखा था. बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है. एक बार फिर नितिन सिंघवी ने नगर निगम रायपुर से इन पेड़ों को बचाने की पहल करने की अपील की है और पेड़ों के आसपास लगाए गए पेवर, कंक्रीट और टाइल्स को हटाने की मांग की है ताकि इन पेड़ों को बचाया जा सके.
सामाजिक कार्यकर्ता नितिन सिंघवी का कहना है कि आजकल लोग पेड़ों के आसपास कंक्रीट कर देते हैं. इस वजह से पेड़ों के अंदर पानी जाना रुक जाता है. पेड़ों को नीचे धूप नहीं मिल पाती है. धूप पेड़ों के लिए बहुत जरूरी है. इसकी वजह से पेड़ों की मौत हो जाती है. पेड़ों का डेवलपमेंट रुक जाता है. पेड़ों की जड़ें काफी दूर तक होती है लेकिन उसके आसपास कंक्रीट करने से वह दब जाती है -नितिन सिंघवी, सामाजिक कार्यकर्ता
बच गया था रीठा का पेड़: नितिन सिंघवी ने एक उदाहरण देकर बताया कि ऑक्सीजोन में एक रीठा का पेड़ था. इसके चारों तरफ कंक्रीट कर दिया गया था. जिसकी वजह से वह मरने लगा था. लेकिन चार पांच साल पहले जब कंक्रीट हटाया गया तो वह वापस से जीवित हो गया था. लेकिन अभी जब दोबारा गया तो पेड़ मर गया था. उस पेड़ के मरने की वजह पता नहीं है लेकिन यह जरूर है कि पेड़ के आसपास कंक्रीट या फिर टाइल्स नहीं लगानी चाहिए.
हाल ही में शासन की ओर से भी एक आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत पेड़ के आसपास लगभग 1 मीटर की दूरी में कंक्रीट टाइल्स हटाने के निर्देश दिए गए हैं. इससे कुछ हद तक पेड़ों को सुरक्षित रखा जाना संभव है. मैं फिर भी यह मांग करता हूं कि पेड़ों के आसपास कंक्रीट या फिर टाइल्स पत्थर वगैरह नहीं लगाने चाहिए - नितिन सिंघवी, सामाजिक कार्यकर्ता
कंक्रीट और टाइल्स हटाने के आदेश: इस दौरान नितिन सिंघवी ने बताया कि जिन पेड़ों के आसपास इस तरह की कंक्रीट टाइल्स पत्थर लगाया गया, उसे हटाने के आदेश पहले भी राज्य शासन की ओर से दिए गए हैं, इसे हटाया जाना चाहिए. नगरीय प्रशासन के इस पत्र के आधार पर भी हमने हाल ही में नगर निगम रायपुर को भी एक पत्र लिखा है, जहां ऑक्सीजोन सहित अन्य स्थानों पर पेड़ के आसपास कंक्रीट और पत्थर को हटाया जाए.
नहीं हुआ आदेश का पालन: नितिन सिंघवी ने साल 2019 में मुख्य सचिव को इस बात की जानकारी दी थी कि पूरे शहर में पेड़ों के चारों तरफ पेवर लगा दिए गए हैं, जो पेड़ों के स्वास्थ्य और विकास के लिए हानिकारक रहते हैं. कई पेड़ इस कारण से मारे गए हैं. इस पर 2019 में भी संचनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास द्वारा आयुक्त नगर पालिका निगम रायपुर को पेवर, कंक्रीट, पत्थर हटाने के आदेश दिए थे. उसके बावजूद कलेक्टर कार्यालय के बाजू में स्थित ऑक्सीजोन और कई स्थानों में पेडों से कुछ इंच छोड़ कर पेवर ब्लॉक लगा दिए गए.
नगरीय प्रशासन पर सवाल: साल 2024 में भी नितिन सिंघवी ने एक बार फिर शासन का ध्यान इस और आकर्षित कराया, जिस पर शासन के आदेश के बाद संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास ने 30 अक्टूबर 2024 को रायपुर शहर में, ऑक्सीजोन कलेक्ट्रेट सहित जहां भी पेड़ों के चारों तरफ एक मीटर तक पेवर ब्लॉक, कंक्रीट, पत्थर नहीं हटाये गए हैं, उन्हें तत्काल हटाये जाने की कार्यवाही करने के आदेश दिए.
नगर निगम से मांग: इस आदेश के बाद भी अब तक पेड़ों के आसपास से पेवर, कंक्रीट और पत्थर नहीं हटाए गए हैं. जिसके बाद नितिन सिंघवी ने एक बार फिर नगर निगम से इन पेड़ों को बचाने के लिए उसके आसपास लगे पेवर कंक्रीट टाइल्स और पत्थर को हटाने की मांग की है.
निगम आयुक्त की दलील: रायपुर नगर निगम अपर आयुक्त यू एस अग्रवाल का कहना है कि नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से अक्टूबर माह में एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें ऐसे पेड़ जो इस तरह से प्रभावित हो रहे हैं, उसके आसपास एक से डेढ़ मीटर की जगह छोड़ने के लिए निर्देश दिया है, उसका पालन कर रहे हैं. हमारे यहां या फिर हमारी जानकारी में ऐसे कोई पेड़ नहीं है, जिसमें यह पाया गया हो कि उसके आसपास टाइल्स लगाने या कंक्रीट के कारण वह पेड़ सूख गए हों या फिर उसे क्षति हो रही है.