लखनऊ : यूपी सरकार नवाचार और शोध पर जोर दे रही हैं. ताकि, आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर लोगों को इसका लाभ दिया जा सके. इसी के तहत सीबीएमआर शोधकर्ता और एसजीपीजीआई के प्रोफेसर ने एमआरआई तकनीक के जरिये स्लीप एपनिया (नींद के दौरान होने वाली समस्याएं) के एडवांस स्टेज का पता लगाने के लिए शोध किया जो सफल रहा. शोध से अब एडवांस एमआरआई से स्लीप एपनिया के एडवांस स्टेज का पता लगाया जा सकेगा. इसके जरिए मरीज का सही दिशा और सटीक इलाज हो सकेगा.
सिर की सूक्ष्म संरचना पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगा : सेंटर ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर) के शोधकर्ता डॉ. अहमद रजा खान ने एसजीपीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर जिया हाशिम और रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रोफेसर जफर नियाज के सहयोग से किए गए अध्ययन में एमआरआई तकनीक के जरिए ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) के मस्तिष्क की सूक्ष्म संरचना पर पड़ने वाले प्रभाव का पता लगाया है. इस तकनीक से कुछ माइक्रोन से लेकर 20-30 माइक्रोन तक के ऊतक परिवर्तनों की जांच की जा सकती है जो पारंपरिक एमआरआई माप से 100 से 1000 गुना अधिक संवेदनशील हो सकते हैं.
डॉ. अहमद ने बताया कि डिफ्यूजन एमआरआई ऊतकों में पानी के अणुओं के प्रसार को मापता है. जिससे ऊतक सूक्ष्म संरचना के बारे में जानकारी मिलती है. डिफ्यूजन एमआरआई में प्रगति, जैसे डिफ्यूजन कर्टोसिस इमेजिंग (डीकेआई), जटिल ऊतक वातावरण में गैर-गौसियन जल प्रसार व्यवहार की जांच करती है. बायोफिजिकल मॉडलिंग का उपयोग करते हुए, डीकेआई पैरामीटर एक्सोनल जल अंश जैसे श्वेत-पैरामीटर प्रदान कर सकते हैं. एक्सोन न्यूरॉन्स के ट्रंक हैं. इसलिए ऐसी जानकारी (एक्सोनल जल अंश), मस्तिष्क में सेलुलर स्तर की न्यूरोनल संरचना को दर्शाती है.