देहरादूनःउत्तराखंड की जनता को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं. प्रदेश के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़ा अभाव है. जिस कारण मरीज को इलाज और उपचार के लिए देहरादून, ऋषिकेश और दिल्ली की ओर रुख करना पड़ता है. इसकी सिर्फ एक वजह ही नहीं है. दरअसल कई राजकीय चिकित्सालयों में पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं है. जबकि प्रदेश के कई पर्तवीय जिले ऐसे हैं जहां आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज ही नहीं हो रहा है.
उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रदेश की, खासकर पर्वतीय और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करना सरकार के लिए शुरू से ही एक बड़ी चुनौती रही है. क्योंकि शुरू से ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ पहाड़ चढ़ने से कतराते रहे हैं, जिसके चलते पर्वतीय क्षेत्रों पर हमेशा ही डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी होती रही है. यही नहीं, कई जगहों पर पैरामेडिकल स्टाफ है तो डॉक्टर्स नहीं है. कहीं डॉक्टर हैं तो पैरामेडिकल स्टाफ नहीं है. इसके अलावा कई राजकीय चिकित्सालय ऐसे भी हैं. जहां एक्स-रे मशीन तो है लेकिन एक्स-रे टेक्नीशियन नहीं है.
यही कारण है कि पर्वतीय क्षेत्रों में मरीज को निजी अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है. हालांकि, जो इलाज खर्च को उठा सकते हैं वो तो निजी अस्पतालों में इलाज करवा लेते हैं. लेकिन जिनके पास निजी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं होते हैं. वो देहरादून की तरफ रुख करते हैं. ताकि देहरादून स्थित जिला अस्पताल या दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आयुष्मान कार्ड के जरिए इलाज करा सके. इसके अलावा, देहरादून के निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के जरिए आसानी से इलाज हो जाता है.