नई दिल्ली:दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि मुनक नहर के जरिए आने वाले पानी का ट्रांसमिशन लाॅस में 25 फीसदी तक की कमी आई है. साथ ही 3500 किलोमीटर पाइप लाइन बदलने और 7300 किलोमीटर नई पाइप लाइन डालने से लीकेज अंतरराष्ट्रीय मानक से भी कम हो गया है. पानी की किल्लत से जूझ रही दिल्ली में पानी बचाने को लेकर लिए गए उपायों की जानकारी देते हुए जल मंत्री आतिशी ने बताया कि, सरकार ने मुनक नहर के ट्रांसमिशन लाॅस रोकने के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए, जिससे पानी की बर्बादी 30 से घटकर 5 फीसदी पर आ गई है. उन्होंने कहा कि पिछले नौ सालों में लीकेज से पानी की बर्बादी रोकने के लिए 3500 किलोमीटर की पाइपलाइन को बदला गया है. इसके अलावा जल बोर्ड ने 1323 चालान किए और 179 अवैध कनेक्शन काटे हैं.
मंत्री आतिशी ने कहा, वर्तमान में हरियाणा से यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़े जाने की वजह से दिल्ली में पानी का प्रोडक्शन 50 एमजीडी तक कम हो गया है. इस कारण कई इलाकों में पानी की किल्लत हो रही है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर दिल्ली में पानी की बर्बादी को रोकने और पानी का उत्पादन बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी दी है. दिल्ली में चल रहे जलसंकट पर पिछले एक सप्ताह से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कल सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई में दिल्ली सरकार से पूछा था कि दिल्ली सरकार पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए क्या क्या कदम उठा रही है? इसके बाद गुरुवार को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने पिछले एक साल से उठाये जा रहे कदमों को और वर्तमान में जलसंकट की स्थिति में पिछले एक महीने किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया.
उन्होंने आगे बताया, इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने पानी के फ्लो को मापने के लिये पूरी दिल्ली में बड़े स्तर पर 3285 बल्क फ्लो मीटर लगाए गए है. जिन जगहों से पानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से बाहर निकलता है, जिन पॉइंट्स पर पानी की पाइपलाइन अलग होती है और जिन पॉइंट्स पर पानी की पाइपलाइन यूजीआर तक पहुंचती है उन हर पॉइंट्स पर फ्लो मीटर लगाए गए है. दिल्ली में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से प्राथमिक यूजीआर और यूजीआर पर हाल ही में करवाए गए वाटर ऑडिट के अनुसार, यहां अंतरराष्ट्रीय मानकों से भी कम पानी की लीकेज है.