तिनगढ़ के ग्रामीणों का दर्द (वीडियो सोर्स- ETV Bharat) टिहरी:बीते दिनों घनसाली विधानसभा क्षेत्र के भिलंगना ब्लॉक के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में आसमानी कहर देखने को मिला. तिनगढ़ गांव में लोगों के आंखों के सामने ही उनके आशियाने उजड़ गए. पहाड़ी से आए सैलाब से चंद मिनटों में गांव का नक्शा बदल गया, जिसमें ग्रामीणों का सब कुछ दफन हो गया. अब ग्रामीण राहत शिविर में रहने को मजबूर हैं, जहां उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. वो अभी भी अब उस मंजर को याद कर सिहर रहे हैं.
27 जुलाई को तिनगढ़ गांव में हुआ लैंडस्लाइड (फोटो सोर्स- ETV Bharat) 'पाई-पाई जोड़कर उनके पुरखों ने तिनगढ़ गांव में आशियाने बनाए थे. उन आशियानों को हमने अपनी आंखों के सामने उजड़ता देखा. भूस्खलन ने ऐसा कहर ढाया कि चंद मिनटों में गांव का नक्शा ही बदल गया. हमारे बच्चों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र के साथ सब कुछ मिट्टी में दफन हो गए.' ये दर्द भरे शब्द उन लोगों के हैं, जो बीती 27 जुलाई को आई आपदा से बेघर हो गए हैं.
अपना आशियाना खोने के बाद मायूस ग्रामीण (फोटो सोर्स- ETV Bharat) लैंडस्लाइड से क्षतिग्रस्त हुए थे 15 घर:राहत शिविर में रह रहे तिनगढ़ गांव के लोगों की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. हर किसी को अपनी छत और बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है. बता दें कि भिलंगना ब्लॉक के तिनगढ़ गांव में 90 परिवार रहते हैं. बीती शनिवार को गांव के ऊपर से हुए भूस्खलन से 15 घर क्षतिग्रस्त हो गए. जिसके चलते इन घरों में रहने वाले लोग एक झटके में बेघर हो गए. ये लोग जमीदोंज हुए घरों को देखकर बस रोए जा रहे हैं.
तिनगढ़ की महिलाओं के नहीं थम रहे आंसू (फोटो सोर्स- ETV Bharat) ग्राम प्रधान रीना देवी ने बताई आपबीती:तिनगढ़ गांव की प्रधान रीना देवी रुंधे गले से बताती हैं कि उनका घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. घर के अंदर रखा सारा सामान भी मलबे में दब गया है. अब कुछ नहीं बचा है. सब कुछ पल भर में खत्म हो गया. रीना के पति शंभू प्रसाद खेती करके अपने दो बच्चों का पालन पोषण करते हैं. मकान टूटने के दुख में ग्राम प्रधान रीना देवी के आंसू नहीं थम रहे हैं.
जीवन जीने की जद्दोजहद में ग्रामीण (फोटो सोर्स- ETV Bharat) पहनने के लिए कपड़े तक नहीं बचे:रीना देवी ने बताया कि उनके पास पहनने के लिए कपड़े तक भी नहीं बचे. आपदा में उनका घर धराशायी हो गया. उनके पिता शिवशरण खेती किसानी कर परिवार चलते हैं. दो बड़े भाई नौकरी पर हैं, लेकिन घर मलबे में दब जाने से उनके पास कुछ भी नहीं है. उन्होंने बताया कि उनके और उनकी छोटी बहन के स्कूल प्रमाणपत्र भी आपदा में दफन हो गए हैं.
मरीज के साथ राहत शिविर में रहने को मजबूर लोग (फोटो सोर्स- ETV Bharat) बुजुर्ग महिला बबीता बोलीं- आज तक नहीं देखी ऐसी लैंडस्लाइड:वहीं, तिनगढ़ की बुजुर्ग महिला बबीता कहती हैं कि सरकार उन्हें जल्द घर दे. कब तक वो ऐसे ही शिविर में रहेंगे. उनकी उम्र 60 साल है. इससे पहले कभी उन्होंने गांव में इस तरह से भूस्खलन होता नहीं देखा. उन्होंने बताया कि वो अपने बेटे बासु, बहू, पोते अनुराग, आयुष, अनुष्का और ज्योति के साथ शिविर में रह रही हैं. बता दें कि इस आपदा के बाद ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ठहराया गया है.
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