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बाघ रक्षक योजना को मिली मंजूरी, हॉग डियर और मगरमच्छों की घटती संख्या पर होगा शोध - TIGER CONSERVATION IN UTTARAKHAND

उत्तराखंड में बाघ संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में प्रदेश में बाघ रक्षक योजना को मंजूरी दी गई.

Tiger Protector Scheme approved
अधिकारियों के साथ बैठक करते वन मंत्री सुबोध उनियाल (Photo-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 27, 2024, 6:40 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने बाघ संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को बढ़ाने के लिए "बाघ रक्षक योजना" को मंजूरी दे दी है. दरअसल, वन मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन फॉर सीटीआर (Corbett Tiger Reserve) के शासी निकाय की 10 वीं बैठक की गई. बैठक के दौरान बाघ संरक्षण को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा हुई. साथ ही वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बाघ रक्षक योजना को मंजूरी दे दी. हालांकि, बैठक के दौरान मंत्री ने इस योजना को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए.

बाघ रक्षक योजना के तहत कई चरणों में काम किए जायेंगे. इस योजना के पहले चरण में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बाघ संरक्षण स्वयं सेवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा. साथ ही योजना के तहत शैक्षणिक संस्थानों में जैव विविधता दीवारें और प्रकृति क्लब भी बनाए जाएंगे. इसके अगले चरण में बाघों की सुरक्षा में सभी लोगों के सहयोग को बढ़ाने के लिए जनता और कॉर्पोरेट क्षेत्र को भी शामिल किया जाएगा.

इसके अलावा, इस योजना में टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन के जरिए नेचर गाइड और फ्रंट लाइन कर्मचारियों के लिए 10 लाख रुपये तक के जीवन बीमा कवरेज की भी व्यवस्था है. बैठक के दौरान, ये भी निर्णय लिया गया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के पर्यटक क्षेत्र में बने वॉच टावर का अब पर्यटन गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा.

रिजर्व में हॉग डियर और मगरमच्छों (hog deer and crocodiles) की संख्या में हो रही कमी के मद्देनजर, उन पर शोध करने पर सहमति बनी है. क्योंकि दोनों प्रजातियों को रिजर्व के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है. इसके अलावा, फाउंडेशन ने रिजर्व के वन विश्राम गृहों को भी अपग्रेड करने की मंजूरी दी है.

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