कोरबा:शहर के राताखार स्थित मेनोनाइट चर्च के पीछे की खाली जमीन की पोजीशन को लेकर तीन समाज आमने-सामने आ गए हैं. मसीही समाज का कहना है कि अंग्रेजों के जमाने से यह भूमि हमारे पूर्वजों की है. जिसे गलत तरीके से 2 अन्य समाज को आवंटित किया गया है जबकि सिंधी और अग्रवाल समाज के लोग शासन की तरफ से नियमों के तहत आवंटित करने का दावा कर रहे हैं.
जमीन को लेकर हो रहे विवाद को खत्म करने प्रशासन और पुलिस और तीनों समाज के लोग मौके पर पहुंचे. इस दौरान तीनों समाज के लोगों में काफी बहस हुई. जमीन का सीमांकन तो नहीं हो सका, बल्कि प्रशासन ने वहां मौजदू समाज के लोगों के बीच हुए विवाद को शांत कराया और सीमांकन के लिए एक हफ्ते बाद 14 मार्च का दिन तय किया गया.
पूर्वजों की जमीन का गलत आवंटन :मेनोनाइट चर्च और मसीही समाज के अध्यक्ष अटल बाघ ने अग्रवाल और सिंधी समाज के लोगों पर कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से जमीन का आवंटन शासन से करवाने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि समाज के हमारे प्रमुख पदाधिकारी फिलहाल बाहर हैं. जिनके पास दस्तावेज हैं. वह फिलहाल बाहर है. जिन्हें नोटिस की तमिली भी नहीं कराई गई है. इसलिए हम आज सीमांकन का विरोध करने यहां पहुंचे हैं.
दो अलग अलग समाजों को इस जमीन का कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से आवंटन कर दिया गया. जिसके विरोध में यहां इकट्ठे हुए हैं. - अटल बाघ, अध्यक्ष, मेनोनाईट संस्था व मसीही
नियमों का पालन करते हुए कराई जमीन की रजिस्ट्री : इधर मसीही समाज के लोगों के आरोपों को दोनों समाज के लोगों ने निराधार बताया है.अग्रवाल समाज के अध्यक्ष श्रीकांत बुधिया ने बताया कि कुल साढ़े 17 एकड़ जमीन है. जिसमें से साढ़े 3 एकड़ जमीन अग्रवाल समाज को और एक एकड़ 55 डिसमिल जमीन सिंधी समाज को शासन की तरफ से दी गई है. जमीन आवंटन के दौरान नियमों का पूरी तरह पालन किया गया है.