हजारीबागः वो विद्यालय, जिस परिसर में खूब दौड़े-भागे, दोस्तों के साथ खूब लड़े, बाल्यकाल से लेकर किशोर अवस्था तक नये-नये स्वप्न गढ़े, एक छत के नीचे बैठकर ककहरा पढ़े. पिता के बाद बच्चे भी इसी स्कूल परिसर में बड़े हुए. पढ़-लिखकर आज आगे बढ़े, ये यादें आज भी इन भाइयों के जहन में उभर आते हैं. अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरा करते हुए हजारीबाग के ये तीन भाई आज समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गये हैं. आज आपको ईटीवी भारत ऐसे तीन भाइयों के बारे में बताने जा रहा है, जिन्होंने समाज को यह बताने की कोशिश की है कि अगर आप सक्षम हैं तो कुछ ऐसा कीजिए. जिससे समाज का भला हो जाए.
सरकारी स्कूल का कायाकल्प
शहर के जादो बाबू चौक निवासी स्व. महेन्द्र प्रसाद गुप्ता के तीन पुत्रों राजेश गुप्ता, रूपेश गुप्ता और रितेश गुप्ता ने जिस सरकारी बालिका मध्य विद्यालय कुम्हारटोली, कानी बाजार में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी. उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करते हुए उस विद्यालय का कायाकल्प करते हुए स्कूल की तस्वीर पूरी तरह से बदल दी. जिस विद्यालय में चारों ओर कभी कचरे का अंबार रहता था, टूटी चहारदीवारी के भीतर बच्चे पढ़ाई छोड़ अन्य गलत संगत में बेकार के काम थे. लेकिन गुप्ता बंधुओं के निजी प्रयास से इसकी तस्वीर बदल गई है. 13 अगस्त को ये परिवार जिला प्रशासन को विद्यालय हैंडओवर करेगा. पूरे विद्यालय को नए रूप में तैयार किया गया है. तस्वीर बदलने का काम सितंबर 2022 से शुरू हुई. जब उपायुक्त से विभागीय अनुमति लेकर जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ किया गया.
पिता की थी अंतिम इच्छा
स्व. महेन्द्र प्रसाद गुप्ता के बड़े पुत्र राजेश गुप्ता ने बताया कि पिता ने अखबार में पढ़ा था कि जिस स्कूल में उन्होंने पढ़ाई की थी उसे वहां के छात्र की निजी प्रयास से जीर्णोद्धार किया गया था. पिता की चाहत थी कि उनके पुत्र भी कुछ ऐसा ही करें और ये इच्छा ही उनके पिता की अंतिम इच्छा बन गयी. क्योंकि कोरोना काल में उनके पिता का साया उठ गया. इसके बाद तीनों भाइयों ने मिलकर अपने पिता की आखिरी ख्वाहिश को पूरा करते हुए स्कूल का कायाकल्प कर दिया.
राजेश गुप्ता का कहना है कि तीनों भाई ने प्रारंभिक शिक्षा इसी सरकारी स्कूल से प्राप्त की थी. इसी स्कूल की देन है कि आज तीनों भाई समाज में स्थापित है. छोटा भाई रितेश गुप्ता साउथ अफ्रीका में सीए की नौकरी करता है. राकेश गुप्ता रूपेश गुप्ता हजारीबाग में ही व्यवसाय करते हैं. आज हम ऐसे में तीनों भाई सक्षम है. तीनों के सामूहिक प्रयास से स्कूल का कार्यक्रम किया गया है.