बागेश्वर: कुमाउं में राग, फाग और रंग के पर्व होली की मस्ती अब परवान चढ़ने लगी है. ग्रामीण अंचल में होली मनाने के लिए प्रवासी भी अपने घरों तक पहुंचे हैं. होली की चतुर्दशी के दिन पौराणिक बागनाथ मंदिर में धुराफाट, जोलकांडे, खोली, बहुली, दयांगद,बमराड़ी, बिलौना, आरे, खरई पट्टी समेत दर्जनों गांवों के होल्यारों ने माथा टेक शिव की अराधना कर होली गायन किया.
बागेश्वर जिले के पौराणिक बागनाथ मंदिर में सामूहिक होली गायन की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. चतुर्दशी के दिन होल्यार बागनाथ मंदिर के प्रांगण में एकत्र होते हैं. सभी गांवों की होलियों के आने पर मंदिर के प्रागण में होली गायन किया जाता है. आज चतुर्दशी के दिन होल्यारों ने बाबा बागनाथ को अबीर-गुलाल चढ़ाकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा. गांवों के ढोलक एक थाप पर बजने लगे तो समूचा शहर गूंजने लगा. होल्यारों ने हां जी शंभो तुम क्यों न खेले होरी लला, ब्रह्मा जी खेले, विष्णु जी खेले, तुम क्यों न खेले होरी लला.. का गायन किया.