ETV Bharat Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

महाकुंभ में बिछड़े तो यहां करें संपर्क, ना हों निराश... 100 साल पुरानी ये संस्था 24 घंटे कर रही मदद - MAHA KUMBH 2025

रोते बिलखते लोग कर रहे अपनों का इंतजार, आंसू भरी आंखों में उम्मीद फिर से अपनों से मिलने की

Etv Bharat
अपनों के इंतजार में बुजुर्ग (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 28, 2025, 4:09 PM IST

प्रयागराज: सिनेमा और किस्से-कहानियों में आपने कुंभ में बिछड़ने की कहानी को जरूर सुनी होगी. महाकुंभ में आने वाले लोगों के मन में भी ये सवाल जरुर उठते होंगे खासकर महिलाओं और बुजुर्गों में, लेकिन अब ये बात पुरानी हो गई है. महाकुंभ मेला क्षेत्र में कई संस्थाएं और सरकारी एजेंसियों ने कैंप लगाएं हैं जो 24 घंटे बिछड़े लोगों को अपनों से मिलाने में लगे हैं. ऐसी एक संस्था है जो साल 1924 से प्रयागराज में कुंभ के दौरान शिविर लगा रही है और ये पुण्य का कार्य कर रही है.

दरअसल प्रयागराज महाकुंभ में हर सेक्टर और हर क्षेत्र में भूले बिछड़े लोगों को मिलने के लिए कैंप लगाए गए हैं. सरकारी कैंप के साथ ही कई निजी संस्थाओं और सामाजिक संस्थाओं ने भी इसमें बढ़-चढ़कर जिम्मेदारी निभा रही है. पूर्व सांसद रीता बहुगुणा जोशी की माताजी कमला बहुगुणा ने 1924 में कुंभ के आयोजन के दौरान इस तरह के भूले बिछड़े लोगों की शिविर की शुरुआत की थी, जो आज भी संचालित हो रहा है. लगातार शिविर में हो रहे अनाउंसमेंट के जरिए पूरे मेला क्षेत्र में बिछड़ने वाले लोगों को अपनों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता है.

महाकुंभ में खोया पाया केंद्र (Video Credit; ETV Bharat)

80 साल की मारकुंडी से आईं विमली देवी हो या फिर 82 साल की शाहजहांपुर की रहने वाली सुकरानी देवी अपनों से महाकुंभ की भीड़ में बिछड़ गईं हैं. विमली देवी दो दिनों से अपनों के आने की राह देख रही है और सुकरानी देवी 4 दिनों से परेशान है. ना कोई फोन ना कोई संपर्क बस उम्मीद यही की अपने आएंगे और उन्हें साथ लेकर जाएंगे. महाकुंभ के भूले बिछड़े लोगों के शिविरों में ऐसे बहुत से बुजुर्ग हैं जो कई दिनों से अपनों से बिछड़ने के बाद यहीं पर इसी उम्मीद के साथ रह रहे हैं कि शायद कोई अपना आएगा और उन्हें वापस लेकर जाएगा.

in article image
बिछड़े लोगों के बारे में जानकारी जुटाते लोग (Photo Credit; ETV Bharat)

शिविर के संयोजक संतलाल बताते हैं कि रोजाना 1000 से 1500 लोगों की पर्चियां यहां पर आती हैं. इन पर्चियां को इकट्ठा करके हर 15 -15 मिनट पर अनाउंसमेंट की जाती है. अनाउंसमेंट के जरिये लोगों तक ये जानकारी पहुंचाई जाती है कि उनका कोई अपना हमारे शिविर में है आइये और ले जाइए. उन्होंने बताया कि संक्रांति से लेकर अब तक लगभग 5000 लोगों को हमने अपनों से मिलवाया है, लेकिन करीब 100 से ज्यादा लोग ऐसे भी हैं. जिनको पुलिस की मदद से उनके परिवार तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है.

पर्ची से लोगों के बारे में किया जाता अनाउंसमेंट (Photo Credit; ETV Bharat)

भूले बिछड़े शिविर में भटके लोगों को कोई दिक्कत ना हो उसके लिए अलग टेंट की व्यवस्था है. जहां पर कंबल रजाई के साथ रुकने का प्रबंध है. दोनों वक्त का भोजन दिया जाता है और शौचालय के साथ अन्य तरह की सुविधा भी मुहैया कराई जाती है, ताकि उन्हें कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े. संतलाल का कहना है कि रोजाना हम लगभग 100 से ज्यादा लोगों को अपनों तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं और ये प्रयास लगातार जारी है.

अपनों के इंतजार में महिला (Photo Credit; ETV Bharat)

पूरे मेला क्षेत्र में अलग-अलग ऐसे कई कैंप बने हैं, लेकिन इन शिविरों में जो भूले बिछड़े लोग होते हैं, उन्हें लेकर आने के लिए लगाए गए वॉलिंटियर्स भी बड़ी भूमिका निभाते हैं. पूरे मेला क्षेत्र में घूम-घूम कर या ऐसे लोगों को तो रास्ते हैं जो अपनों से बिछड़ गए हैं. उन्हें कैंप तक लाते हैं उनकी देखभाल करते हैं और अनाउंसमेंट के जरिए उन्हें अपनों तक पहुंचाने का प्रयास करवाते हैं. एक पूरी टीम इस पूरे काम का अंजाम देती है. अधिकांश तो अपनों से मिल जाते हैं लेकिन कईयों को अपनों का इंतजार करते कई दिन और सप्ताह बीत जाता है. बाद में पुलिस की मदद से इन्हें अपनों तक पहुंचाने की कोशिश होती है.

यह भी पढ़ें :महाकुंभ में 27 पीपा पुल बंद, सिर्फ 3 ही खुले, संगम के करीब से लौटाए जा रहे श्रद्धालु

ABOUT THE AUTHOR

...view details