नई दिल्ली: दिल्ली में मॉनसून अभी पूरी तरह से नहीं आया है लेकिन बीच-बीच में होने वाली भारी बारिश के चलते राजधानी में जगह-जगह वॉटर लॉगिंग जैसी परेशानी सामने आ रही है. इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार और दूसरी कई एजेंसियां मिलकर कार्रवाई में भी जुटी हैं. दिल्ली हाई कोर्ट भी इस मामले को लेकर कड़ा रुख अपनाए हुए है. कोर्ट की तरफ से इस समस्या का ठोस समाधान निकालने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश दिए गए हैं. इसी कड़ी में सरकार रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (RWHS) के नियमों को सख्ती से लागू कराने पर फोकस कर रही है. साथ ही शहर में रिचार्ज पिट्स बनाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है.
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दिल्ली के इंटीग्रेटेड ड्रेन मैनेजमेंट सिस्टम को लेकर अलग-अलग विभागों की तरफ से भी एक्शन प्लान तैयार कर उस पर गंभीरता से काम किया जा रहा है. इसको लेकर सभी संबंधित विभागों की तरफ से फाइनल एक्शन रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है. दरअसल, इस एक्शन रिपोर्ट को दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा. दिल्ली हाई कोर्ट में 22 जुलाई को होने वाली सुनवाई से पहले दिल्ली सरकार के तमाम विभागों के अलावा केंद्र सरकार के अधीनस्थ विभाग डीडीए भी इस मामले पर चर्चा कर एक्शन टेकन रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की तैयारी में जुटा है.
दिल्ली सरकार के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद गठित इंटीग्रेटेड ड्रेन मैनेजमेंट सेल (आईडीएमसी) इसको लेकर पूरी गंभीरता से काम कर रही है. 22 जुलाई को कोर्ट में पेश होने वाली विभागों की एक्शन टेकन रिपोर्ट को फाइनल करने के लिए आईएमडीसी की खास मीटिंग भी सोमवार को चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार की अध्यक्षता में बुलाई गई है. इस मीटिंग में खास फोकस लोक निर्माण विभाग, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली विकास प्राधिकरण, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग और राजस्व विभाग आदि के एक्शन टेकन रिपोर्ट को फाइनलाइज करने पर रहेगा. सरकार की ओर से जून में भी दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष बिंदुवार एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई थी.
बारिश के पानी के इस तरह होगा इस्तेमाल
दिल्ली में वॉटर लॉगिंग की समस्या से निपटने और बारिश के पानी का उपयोग करने के लिए सरकार कई स्तर पर काम कर रही है. दिल्ली जल बोर्ड की ओर से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और निचले इलाकों में पिट्स बनाने को लेकर बड़े स्तर पर काम किया जा रहा है. सरकार की ओर से इस बारे में कोर्ट को भी अवगत कराया गया है. इस पर अदालत की तरफ से प्रगति रिपोर्ट पर कुछ संतुष्टि जताई गई है. सूत्र बताते हैं कि दिल्ली जल बोर्ड की ओर से अब तक दिल्ली भर में 1646 रिचार्ज पिट्स का निर्माण किया गया है. साथ ही दिल्ली के लो लेइंग एरिया यानी निचले स्तर के क्षेत्रों में इस तरह के वाटर रिचार्ज पिट्स बनाए जाने वाली जगहों का भी पता लगाया जा रहा है, जहां पर इनको बनाने का काम किया जा सकेगा. इससे ग्राउंउ वाटर लेवल को बढ़ाने में भी मदद मिल सकेगी.
नए कंस्ट्रक्शन के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली के यूनिफाइड बिल्डिंग बाय लॉज 2016 के मुताबिक 105 वर्ग मीटर से ऊपर के किसी भी नए कंस्ट्रक्शन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम यानी वर्षा जल संचयन प्रणाली का निर्माण किया जाना अनिवार्य है. जो शहर के समावेशी और टिकाऊ ग्रीन अर्बन डेवलपमेंट के लिए जरूरी माना जाता है. इस सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली जल बोर्ड की ओर से पानी के बिल में सब्सिडी और छूट के जरिए भी प्रोत्साहन दिया जाता है.
दिल्ली के 1362 सरकारी भवनों पर RWHS स्थापित होंगे
दिल्ली जल बोर्ड के आंकड़ों की माने तो अभी 1362 सरकारी भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को स्थापित करना बाकी है, जहां RWHS स्थापित करना संभव भी है. दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी की तरफ से भी स्वीकार किया गया है कि बारिश के पानी को किस तरीके से संचित किया जा सकता है. उसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य रूप से लागू करने की खास आवश्यकता है. साथ ही वाटर बॉडीज की स्टोरेज कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए आसपास के अतिक्रमण को हटाने और गाद आदि निकालने के अलावा उन सभी चैनलों में रुकावटों को हटाना जरूरी है जो उसके पानी को वापस लाने में रुकावट पैदा करते हैं. इन सभी सरकारी भवनों पर आगामी 30 सितंबर, 2024 तक रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की डेडलाइन पर तेजी से काम किया जा रहा है.
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