पलामू: 2024 चुनावी वर्ष रहा है. पहले लोकसभा चुनाव हुए और वर्ष के अंत में विधानसभा के चुनाव हुए. पलामू के इलाके में शुरू से किसी भी की तरह का चुनाव करवाना एक बड़ी चुनौती रही है. 90 के दशक के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि चुनाव के दौरान पलामू में किसी भी प्रकार की नक्सल हिंसा नहीं हुई है. नक्सली संगठन किसी भी प्रकार से लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव को प्रभावित नहीं कर पाए.
अविभाजित बिहार में 2004 में ही माओवादियों ने चुनाव के दौरान पलामू के इलाके से ही इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट की शुरूआत की थी. पलामू के इलाके में चुनाव के दौरान आईईडी विस्फोट एवं नक्सली हमले का खतरा हमेशा बना रहता था. मगर 2024 के चुनाव में कहीं भी यह खतरा नजर नहीं आया. पहली बार मनातू के चक इलाके में पोलिंग पार्टी सड़क मार्ग से पहुंची थी. इस इलाके में 2000 के बाद से हेली ड्रॉपिंग के माध्यम से चुनाव हुए.
माओवादी, वोट बहिष्कार का फरमान जारी नहीं कर पाए
2024 के लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव में पहली बार माओवादियों की ओर से वोट बहिष्कार का फरमान जारी नहीं हुआ. पलामू में लोकसभा चुनाव में 59.99 प्रतिशत वोटिंग हुई थी वहीं विधानसभा चुनाव में 63.5 प्रतिशत वोटिंग हुई. चुनाव से ठीक एक वर्ष पहले, पलामू से सीआरपीएफ की पूरी बटालियन को क्लोज कर दिया गया था. 2024 में लोकसभा चुनाव में पलामू संसदीय सीट से लगातार तीसरी बार विष्णुदयाल राम चुनाव जीते.
एक दशक बाद पलामू को मिला मंत्री, हुए कई उलटफेर