रांची:किसी भी राज्य की राजधानी में अगर पुलिस व्यवस्था दुरुस्त हो तो पूरे राज्य में एक अच्छा संदेश जाता है. लेकिन रांची की पुलिसिंग से तो एक तरह का मजाक ही किया जा रहा है. आश्चर्य की बात है कि जो राजधानी जाम से हर दिन कराह रही हो वहां ट्रैफिक एसपी ही न हो, लेकिन यह हकीकत है. रांची में पिछले दो सालों से ट्रैफिक एसपी का पद खाली है.
रांची में नहीं टिक पाया कोई ट्रैफिक एसपी
रांची में आईपीएस अजीत पीटर डुंगडुंग के तबादले के बाद रांची के ट्रैफिक एसपी के पद पर कोई टिक ही नहीं पाया. दो सालों में साल भर तो ट्रैफिक एसपी का पद प्रभार में ही रहा, लेकिन तीन बार बकायदा एक-एक कर आईपीएस अंजनी अंजन, आईपीएस हरिश बिन जमा और आईपीएस कुमार गौरव की बतौर रांची ट्रैफिक एसपी के पोस्टिंग हुई, लेकिन इनमें से कोई इस पद पर टिका नहीं, नतीजा वर्तमान में भी कोई रांची के स्थाई ट्रैफिक एसपी नहीं है, जबकि आईपीएस दर्जन भर हैं.
खलारी-हेड क्वार्टर जैसे डीएसपी के पद खाली
रांची के ग्रामीण इलाकों में टीपीसी और पीएलएफआई के उग्रवादी लगातार अपने प्रभाव को बढ़ाने में लगे हैं, लेकिन दोनों उग्रवादी संगठनों के लिए संवेदनशील माने जाने वाले खलारी और हेडक्वार्टर वन डीएसपी के पद खाली पड़े हुए हैं. सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि खलारी में एक माह पूर्व एक डीएसपी की पोस्टिंग भी कर दी गई, लेकिन डीएसपी के ज्वाइन करने के दो दिन बाद ही उनका तबादला जमशेदपुर कर दिया गया. वहीं, हेड क्वार्टर डीएसपी वन का पद काफी समय से खाली पड़ा हुआ है.
सबसे बुरा हाल नए डीएसपी का
सबसे बुरा हाल तो झारखंड में इंस्पेक्टर से प्रमोशन पाकर बने डीएसपी रैंक के अधिकारियों का है. 3 साल के लंबे इंतजार के बाद 93 इंस्पेक्टर डीएसपी रैंक में प्रोन्नत हुए. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि प्रमोशन की अधिसूचना जारी होने को दो माह बीत गए, लेकिन 93 में से 79 डीएसपी अभी भी इंस्पेक्टर का ही काम कर रहे हैं. झारखंड के लगभग हर जिले में इंस्पेक्टर से डीएसपी बने अफसरों का यही हाल है.
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