कुचामनसिटी:जिले में कापड़ोद गांव में मावलिया माताजी का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. इस कारण यहां सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं. यहां लोग बच्चों का जडूला उतारने की परम्परा है, यानि छोटे बच्चो के बाल अर्पित किए जाते हैं. इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालुओं में सबसे ज्यादा नवविवाहित जोड़े होते हैं, जो यहां जात देने के साथ साथ अपने सुखी वैवाहिक जीवन की मंगल कामना करते हैं.
पंडित छोटूलाल शास्त्री ने बताया कि इस मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है. यहां डीडवाना के साथ ही नागौर, सीकर, झुंझुनू, अजमेर, जोधपुर के अलावा देश के अलग प्रांतों से भी दर्शनार्थी पहुंचते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं. उन्होंने बताया कि मावलिया माता मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां एक साल में दो बार मेला भरा जाता है. प्रथम मेला भाद्रपद शुक्ल पक्ष सप्तमी को भरता है, जबकि दूसरा मेला माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी को भरता है. दोनों ही मेलों में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर दर्शन लाभ लेते हैं.