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शिल्पग्राम महोत्सव का आज होगा आगाज, राज्यपाल करेंगे महोत्सव का उद्घाटन - SHILPGRAM FESTIVAL 2024

उदयपुर में आज से दस दिवसीय शिल्पग्राम महोत्सव का राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे आगाज करेंगे.

शिल्पग्राम महोत्सव
शिल्पग्राम महोत्सव (फोटो ईटीवी भारत उदयपुर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 5 hours ago

उदयपुर.उदयपुर. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर द्वारा आयोजित विश्व प्रसिद्ध शिल्पग्राम महोत्सव का उद्घाटन आज यानी शनिवार को राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे द्वारा किया जाएगा. यह महोत्सव 21 दिसंबर से 30 दिसंबर तक आयोजित होगा और इसका थीम है ‘लोक के रंग-लोक के संग’.

मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल के अलावा, इस अवसर पर सांसद सीपी जोशी, विधायक ताराचंद जैन, फूलसिंह मीणा, मन्नालाल रावत, और चुन्नी लाल गरासिया मौजूद रहेंगे. राज्यपाल बागडे महोत्सव के उद्घाटन के बाद गोल्फ क्राफ्ट द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन करेंगे. गवर्नर हरिभाऊ किशनराव बागडे शाम छह बजे शिल्पग्राम पहुंचेंगे. इस मौके पर राज्यपाल हरिभाऊ किशनराव बागडे समारोह में डॉ. कोमल कोठारी लाइफ टाइम अचीवमेंट लोक कला पुरस्कार से डॉ. रूप सिंह शेखावत (भवाई लोक नृत्य) और गणपत सखाराम मसगे (कठपुतली एवं चित्रकला) को सम्मानित करेंगे.

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शिल्पग्राम महोत्सव में शनिवार (21 दिसंबर) दोपहर 3 बजे बाद लोगों के लिए नि:शुल्क प्रवेश रहेगा. केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत रविवार को शिल्पग्राम महोत्सव में शिरकत करेंगे. महोत्सव में आज सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में ‘रिदम ऑफ इंडिया’, ‘फोक फ्यूजन’, मणिपुरी नृत्य ‘थौगोऊ जागोई’, कश्मीर का रौफ डांस, राजस्थान का ‘चरी’ नृत्य, गुजरात का ‘राठवा’ और ‘तलवार रास’ नृत्य प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहेंगे.

तलवार रास : इस लोक नृत्य में चाहे ‘रास’ यानी ‘रस’ जुड़ा हो, लेकिन इसके मायने ‘वीर रस’ से है. यह डांस अंग्रेजों के खिलाफ दिए गए क्रांतिकारियों के बलिदान की याद दिलाता है. बताते हैं पोरबंदर के पास बाडो पर्वत की तलहटी के वीर मानेक ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाया था. उन्होंने अपनी छोटी सी वीरों की टुकड़ी से अंग्रेजों से युद्ध किया और विजय प्राप्त की. इस युद्ध में उन्होंने तलवार और ढाल का इतने कौशल से प्रयोग किया कि अंग्रेजों को घुटने टेकने पड़े. यह युद्ध साल 1591 में भूचर मोरी में हुआ था. इस युद्ध में शहीद हुए राजपूत वीरों का कौशल प्रदर्शित करने के लिए तलवार-ढाल लेकर लोक नृत्य किया जाता है. यह तलवार रास नृत्य कहलाता है. इसमें 10 डांसर युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हैं. इन डांसर्स की वेशभूषा में केडिया (लहंगा), मेहर पगड़ी, खेस (कंधे पर दुपट्टा) और हाथ में तलवार और ढाल होते हैं.

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रौफ यानी बुमरो-बुमरो श्याम रंग बुमरो : बॉलीवुड का हिट गाना बुमरो-बुमरो श्याम रंग बुमरो, हर कला प्रेमी देख-सुन चुका है. रौफ डांस को यह लोक गीत खूब लोकप्रिय बना रहा है. टीम लीडर गुलजार अहमद बट बताते हैं, ‘कश्मीर का यह फोक डांस खुशी के मौकों पर पेश करने की परंपरा है यानी दिवाली, बैसाखी, ईद सहित तमाम खुशी के मौकों पर यह डांस पेश किया जाता है’ इसमें बुमरो का अर्थ है भंवरा है, यह श्याम रंग के भंवरे पर यह गीत है. गुलजार ने बताया कि यह डांस सिर्फ युवतियां करती हैं. वेशभूषा में कश्मीरी फहरन, ज्वेलरी, सलवार आदि पहनती हैं. इसमें खास वाद्ययंत्रों- रबाब, सारंगी, तुमबकनारी, नूट (मटना), हारमोनियम और संतूर का प्रयोग होता है.

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