नई दिल्ली:विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच अलग-अलग वर्ग के मतदाताओं की गोलबंदी करने की कोशिश जारी है. बीते दो दिनों से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने राजधानी के अलग-अलग इलाकों में धार्मिक स्थलों को तोड़ने संबंधी आदेश को लेकर एलजी वीके सक्सेना की भूमिका पर सवाल खड़े किए. वहीं, बुधवार को सीएम आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यहां तक कहा कि उपराज्यपाल के आदेश पर कई सारे मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों को तोड़े जाएंगे. अब इस पर एक बार फिर उपराज्यपाल सचिवालय ने आपत्ति दर्ज कराई है.
गुरुवार शाम को एलजी सचिवालय की तरफ से जारी विज्ञप्ति में आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी और आम आदमी पार्टी द्वारा चलाए जा रहे फर्जीवाड़े और सांप्रदायिक स्वरों वाले राजनीतिक खेलों की निंदा की गई है.
केजरीवाल ने नौ मंदिरों को तोड़ने की दी थी मंजूरी:उपराज्यपाल सचिवालय ने आज उन दस्तावेजों को सामने लाया, जिनमें दावा किया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद 8 फरवरी 2023 को दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में नौ मंदिरों को ध्वस्त करने की सिफारिश की थी. उपराज्यपाल सचिवालय की तरफ से कहा गया है कि केजरीवाल और तत्कालीन गृहमंत्री मनीष सिसोदिया ने नौ मंदिरों को तोड़ने की धार्मिक समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी थी. केजरीवाल ने जिन नौ मंदिरों को तोड़ने की मंजूरी दी, उनमें से सात मंदिर करावल नगर इलाके में स्थित थे, जबकि अन्य दो मंदिर न्यू उस्मानपुर इलाके में थे.
हिंदू धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने की दी थी मंजूरी:उपराज्यपाल सचिवालय के मुताबिक, इससे पहले 23 जून 2016 को दिल्ली के तत्कालीन गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन ने भी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में आठ मंदिरों को तोड़ने की मंजूरी दी थी. दस्तावेज़ों के अनुसार, 2016 से 2023 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्रियों द्वारा 22 मंदिरों और सिर्फ दो मुस्लिम धार्मिक संरचनाओं सहित 24 हिंदू धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने की मंजूरी दी गई थी.