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स्यूणा के ग्रामीणों की 'मौत' से आंख मिचौली! उफनती भागीरथी नदी किनारे से ऐसे कर रहे आवाजाही - Syuna Villagers Problem Uttarkashi - SYUNA VILLAGERS PROBLEM UTTARKASHI

Syuna Villagers Risking Their Lives in Uttarkashi साल दर साल बीतता गया, लेकिन स्यूणा के ग्रामीणों की जिंदगी से परेशानी दूर नहीं हो पाई. जहां पुल और सड़क न होने से ग्रामीण जान हथेली में लेकर आवाजाही के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. ग्रामीणों की मौत के साथ आंख मिचौली का खेल सालों से चला आ रहा है. क्योंकि, नीचे उफनती भागीरथी नदी का रौद्र रूप और ऊपर से पत्थर गिरने का डर है, लेकिन ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ रही है.

Syuna Villagers Problem
स्यूणा के ग्रामीणों की पीड़ा (फोटो- ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 25, 2024, 7:23 PM IST

Updated : Jul 25, 2024, 9:37 PM IST

स्यूणा के ग्रामीणों की परेशानी (वीडियो सोर्स- ETV Bharat)

उत्तरकाशी: नीचे उफनती भागीरथी नदी और ऊपर ट्रॉली पर जूझती अकेली महिला. ट्रॉली का रस्सा बार-बार फंसता है, जिसे खींचने के लिए महिला को संघर्ष करना पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर महिला सिलेंडर सिर पर उठाकर जंगली रास्ता नाप रही है तो कुछ लोग नदी को पार करते हुए गांव की ओर जा रहे हैं. ये कहानी स्यूणा गांव के ग्रामीणों की है.

झूला पुल या सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे ग्रामीण:स्यूणा के ग्रामीणों का कहना है कि वो लंबे समय से गांव को झूला पुल या सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सिस्टम की उपेक्षा के चलते न तो पुल बन पाया है और न ही सड़क. ऐसे में ग्रामीण मटमैले और उफनते भागीरथी नदी के किनारे जान जोखिम में डाल कर जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं.

मटमैला और उफनती भागीरथी के बीच से जाते ग्रामीण (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से महज 4 किमी दूरी पर है स्यूणा गांव:बता दें कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से स्यूणा गांव की दूरी महज 4 किमी है. भटवाड़ी ब्लॉक के इस गांव में 35 से ज्यादा परिवार रहते हैं. यहां बीते कई सालों से ग्रामीण गांव को झूला पुल या सड़क से जोड़े जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है. जहां ग्रामीण आवागमन के लिए आज भी जूझ रहे हैं.

ट्रॉली पर सफर करना जोखिम भरा:स्यूणा गांव को जोड़ने के लिए 3-4 साल पहले भागीरथी नदी के ऊपर ट्रॉली लगाई है. जिस पर सफर करना भी जोखिम भरा है. इस बार भी एक महिला अकेले ही जूझती हुई दिखी. ट्रॉली के दोनों और मदद के लिए कोई नहीं था. ट्रॉली का रस्सा फंसने से ट्रॉली पलटने का खतरा बना हुआ था.

फिसलन भरे पत्थरों के बीच से सिलेंडर लेकर जाती महिला (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

ट्रॉली के हाल भी खस्ता: गांव के लिए लगी ट्रॉली के भी बुरे हाल हैं. यहां न तो कोई सुरक्षा के इंतजामात हैं न ही सुरक्षाकर्मी तैनात है. वहीं, दूसरी ओर पैदल जंगलों के रास्ता और भागीरथी नदी के किनारे को पार करने के बाद ही ग्रामीण रोजमर्रा के काम के लिए जिला मुख्यालय आ पाते हैं.

ट्रॉली से नदी पार करने की जद्दोजहद में महिला (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

स्यूणा की आरती असवाल अपने सिर पर सिलेंडर लेकर जंगली रास्ते से होते हुए नदी किनारे आ रही थी. आरती ने बताया कि उसकी शादी इस गांव में करीब 14-15 साल पहले हुई थी. तब से लेकर आज तक गांव की स्थिति जस की तस है. युवाओं के साथ उनके बच्चों को भी आवागमन के लिए जूझना पड़ता है.

पहाड़ी से पत्थर गिरने का खतरा:आरती बताती हैं कि जंगली रास्ते पर कई बार पहाड़ी से पत्थर गिरने का खतरा रहता है. कई बार जंगली जानवर की चहलकदमी से भी पत्थर गिरते हैं. आरती का ये बताना था भी कि उसकी बात को पुख्ता करने घुरड़ भी पहाड़ी पर निकल आया.

भागीरथी नदी के किनारे से जाती महिला (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

आरती ने बताया कि स्कूल की छुट्टी के बाद जब तक उनके बच्चे सही सलामत घर नहीं पहुंच जाते, उनकी चिंता सताती रहती है. उन्होंने बताया कि सिलेंडर खाली है, जिसे भराने के लिए वह बाजार जा रही हैं. वहीं, आजकल भागीरथी का जलस्तर बढ़ने से लोग नदी पार कर जिला मुख्यालय आ और जा रहे हैं, जिससे कभी भी बढ़ा हादसा हो सकता है.

"एक महीने पहले ही स्यूणा गांव के लिए शासन ने झूला पुल निर्माण को स्वीकृति दी है. जिसके डिजाइन के लिए निविदा जारी की जाएगी. जिसमें कंसलटेंट सर्वे कर साइट सिलेक्शन, मिट्टी की टेस्टिंग के बाद डिजाइन अप्रूव कराएगा, इसके बाद निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी." -नीरज अग्रवाल, अधिशासी अभियंता, लोनिवि भटवाड़ी

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Last Updated : Jul 25, 2024, 9:37 PM IST

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