उत्तरकाशी: नीचे उफनती भागीरथी नदी और ऊपर ट्रॉली पर जूझती अकेली महिला. ट्रॉली का रस्सा बार-बार फंसता है, जिसे खींचने के लिए महिला को संघर्ष करना पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर महिला सिलेंडर सिर पर उठाकर जंगली रास्ता नाप रही है तो कुछ लोग नदी को पार करते हुए गांव की ओर जा रहे हैं. ये कहानी स्यूणा गांव के ग्रामीणों की है.
झूला पुल या सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे ग्रामीण:स्यूणा के ग्रामीणों का कहना है कि वो लंबे समय से गांव को झूला पुल या सड़क से जोड़ने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सिस्टम की उपेक्षा के चलते न तो पुल बन पाया है और न ही सड़क. ऐसे में ग्रामीण मटमैले और उफनते भागीरथी नदी के किनारे जान जोखिम में डाल कर जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं.
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से महज 4 किमी दूरी पर है स्यूणा गांव:बता दें कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से स्यूणा गांव की दूरी महज 4 किमी है. भटवाड़ी ब्लॉक के इस गांव में 35 से ज्यादा परिवार रहते हैं. यहां बीते कई सालों से ग्रामीण गांव को झूला पुल या सड़क से जोड़े जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है. जहां ग्रामीण आवागमन के लिए आज भी जूझ रहे हैं.
ट्रॉली पर सफर करना जोखिम भरा:स्यूणा गांव को जोड़ने के लिए 3-4 साल पहले भागीरथी नदी के ऊपर ट्रॉली लगाई है. जिस पर सफर करना भी जोखिम भरा है. इस बार भी एक महिला अकेले ही जूझती हुई दिखी. ट्रॉली के दोनों और मदद के लिए कोई नहीं था. ट्रॉली का रस्सा फंसने से ट्रॉली पलटने का खतरा बना हुआ था.
ट्रॉली के हाल भी खस्ता: गांव के लिए लगी ट्रॉली के भी बुरे हाल हैं. यहां न तो कोई सुरक्षा के इंतजामात हैं न ही सुरक्षाकर्मी तैनात है. वहीं, दूसरी ओर पैदल जंगलों के रास्ता और भागीरथी नदी के किनारे को पार करने के बाद ही ग्रामीण रोजमर्रा के काम के लिए जिला मुख्यालय आ पाते हैं.