पंचकूला: हरियाणा की अफसरशाही को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ी राहत मिली है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 4 अक्टूबर के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सिविल प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा वापस लेने का फैसला सुनाया गया था.
सुरक्षा वापस लेने की जरूरत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिविल एवं अर्ध न्यायिक कार्यों से निपटने के लिए तैनात आईएएस अधिकारियों को दी गई सुरक्षा वापस लेने की जरूरत नहीं है. साथ ही राज्य में विभिन्न पदों पर कार्यरत आईएएस अधिकारियों को दी गई सुरक्षा भी जारी रहेगी. जबकि इससे पहले हाईकोर्ट के सुरक्षा वापसी के आदेश के बाद से आईएएस अधिकारियों में खलबली थी. ऐसे में हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.
सुरक्षा प्रावधान पर विचार का कारण नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत के लिए याचिका पर विचार करते समय वीआईपी, वीवीआईपी और अन्य नागरिकों को सुरक्षा के प्रावधान के पहलुओं पर विचार करने का कोई कारण नहीं था. हमारे विचार से अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना पर निर्णय करते समय हाईकोर्ट इन सभी सवालों पर विचार नहीं कर सकता.
हाईकोर्ट विचार करने से परहेज करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि हाईकोर्ट इन मुद्दों पर विचार करने से परहेज करेगा. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह ने हरियाणा सरकार द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए.
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