जयपुरःसुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की 23 हजार खान संचालकों को बड़ी राहत दी है. अदालत ने इनकी खनन वैधता को 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है. वहीं, अदालत ने कहा है कि जो खनन पट्टा धारक जिला स्तरीय पर्यावरणीय प्रभाव आकलन प्राधिकरण से मंजूरी लेकर चल रहे हैं, वे तीन सप्ताह के भीतर राज्य स्तरीय प्राधिकरण में पर्यावरणीय मंजूरी के लिए आवेदन करें. सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिकाःराज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने बताया कि एनजीटी ने गत 8 अगस्त को आदेश दिया था कि जिला स्तरीय पर्यावरण प्राधिकरण से पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त खनन लाइसेंस का 7 नवंबर तक राज्य स्तरीय प्राधिकरण से भी पुनः परीक्षण कराया जाए. ऐसा नहीं करने पर एनजीटी ने खनन कार्य बंद करने को कहा था. इस पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनजीटी में प्रार्थना पत्र पेश कर पुनः परीक्षण के लिए समय बढ़ाने की गुहार की थी. जिसे एनजीटी ने गत दिनों खारिज कर दिया था. इस पर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई.