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'सक्षमता परीक्षा पास करिए या छोड़ दीजिए नौकरी' बिहार के 85 हजार नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका - Bihar Sakshamta Pariksha

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 28, 2024, 8:59 AM IST

Updated : Jun 28, 2024, 11:32 AM IST

Supreme Court: बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले नियोजित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा धटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि नौकरी करनी है तो सक्षमता परीक्षा पास करना होगा वरना नौकरी छोड़ दें. गुरुवार को इस मामले में में कोर्ट ने सुनवाई की. पढ़ें पूरी खबर.

सक्षमता परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सक्षमता परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला (Concept Image)

पटनाःबिहार में सक्षमता परीक्षा को लेकर नियोजित शिक्षकों की मांग को पटना हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए स्पष्ट कहा कि नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा देनी पड़ेगी. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शिक्षक ऐसा नहीं करता है तो उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए.

क्या है मामला? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में शिक्षक संघ द्वारा एक याचिका दायर की गई थी. परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ और बिहार प्रारंभिक शिक्षक संघ की याचिका में सक्षमता परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभ्यर्थियों को सरकार के नियम के अनुसार ही परीक्षा देनी होगी. इसी के साथ अदालत ने याचिका रद्द कर दी.

'एग्जाम पास करिए या नौकरी छोड़ दीजिए': इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भूयान की वैकेशन बेंच ने बिहार के 85 हजार नियोजित शिक्षकों पर तल्क टिप्पणियां भी की. कोर्ट ने कहा कि अगर बिहार सरकार शिक्षकों के बेहतरी के लिए कोई फैसला ले रही है तो उसका समर्थन करना चाहिए न कि उसका विरोध. शिक्षक राष्ट्र निर्माण करते हैं. अगर आप इन परीक्षाओं का सामना नहीं कर सकते हैं तो आपको इस्तीफा दे देना चाहिए.

'नौकरी कैसे मिल गई?' : कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि देश की शिक्षण एक महान पेशा है, लेकिन आप लोगों को इसमें नहीं प्रमोशन और वेतन में इंट्रेस्ट है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या देश में शिक्षा का यही स्तर है, जब एक पोस्ट ग्रेजुएट को नौकरी मिल जाए और वो एक लीव एप्लीकेशन (छुट्टी) तक नहीं लिख सकता है. बिहार में जब इस व्यवस्था को सुधारने की कोशिश होती है, इसके लिए योग्यता परीक्षा ली जा रही है तो आप लोग उसका विरोध कर रहे हैं.

शिक्षक नियमावली का विरोध क्यों? : सुप्रीम कोर्ट में शिक्षक संघ द्वारा जो याचिका दायक की गई थी. उसमें शिक्षक नियमावली 2023 का विरोध किया गया था. नियमावली के मुताबिक नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा पाना है तो उन्हें सक्षमता परीक्षा पास करना होगा. शिक्षक संघ का कहना है कि इस नियमावली पर शिक्षक संघ या संगठन से कोई राय नहीं ली गई. नियमावली में कई त्रुटियां है. हालांकि नई नियमावली का शिक्षक संघ ने साफ किया है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए यह जरूरी है लेकिन इसमें कुछ संशोधन जरूरी हैं. इसलिए नियोजित शिक्षक संघ विरोध कर रहा है. जानिए कौन हैं नियोजित शिक्षक

कौन हैं नियोजित शिक्षक?:साल 2023 में बिहार सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा मित्र को बहाल करने का निर्णय लिया था. इस योजना के तहत बिहार के ग्रामीण इलाकों के बेरोजगारों को नौकरी का मौका मिला. शिक्षक बढ़ने से स्कूल की स्थिति भी सुधरी. बता दें कि शिक्षा मित्रों की बहाली 10वीं और 12वीं के मार्क्स के आधार पर 11 महीने के कांट्रैक्ट पर हुआ था. वेतन के रूप में 1500 रुपए प्रति माह दिया गया. इसके बाद धीरे-धीरे वेतन और कांट्रैक्ट भी बढ़ता रहा.

शिक्षकों को फैसला मंजूर नहींः शिक्षा मित्र ही नियोजित शिक्षक हैं जो राज्यकर्मी की दर्जा का मांग कर रहे हैं. नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए सरकार ने सक्षमता परीक्षा का प्रावधान किया है. इसे पास करने वाले शिक्षको को ही राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा. इसके लिए शिक्षकों को एक से ज्यादा बार परीक्षा में बै ठने का मौका दिया जाएगा. हालांकि नियोजित शिक्षक और शिक्षक संघ को यह मंजूर नहीं है इसलिए विरोध किया जा रहा है.

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Last Updated : Jun 28, 2024, 11:32 AM IST

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