गया: पितृपक्ष मेला 2024 के तीसरे दिन राम कुंड, रामशिला, काकबली में पिंडदान और प्रेतशिला स्थित ब्रह्म कुंड पर श्रद्धा करना चाहिए. प्रेतशिला में पिंडदान से पितरों को प्रेत योनि की बाधा से मुक्ति मिल जाती है और उन्हें ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. भगवान राम ने भी यहां पहुंचकर प्रेतशिला स्थित ब्रह्म कुंड में स्नान किया था. तीसरे दिन आश्विन कृष्ण प्रतिपदा को प्रेत शिला में पिंडदान का विधान है. इसके अलावे रामकुंड, रामशिला और काकबली पर श्राद्ध करना चाहिए. प्रेतशिला स्थित ब्रह्मा कुंड में स्नान कर ही यहां पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड करना चाहिए. इस तरह तीसरे दिन प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, रामकुंड, रामशिला और काकबाली पर पिंडदान श्राद्ध का विधान है.
प्रेतयोनि में चले जाते हैं अकाल मृत्यु वाले: अकाल मृत्यु का शिकार हुए पितरों के लिए प्रेतशिला में पिंडदान का विधान है. पितृपक्ष मेले के तीसरे दिन प्रेत शिला में मुख्य रूप से पिंडदान किया जाता है. प्रेत शिला स्थित ब्रह्मकुंड सरोवर में स्नान के बाद ही प्रेतशिला पिंडवेदी पर पिंडदान करना चाहिए. इसके अलावे रामकुंड एवं रामशिला और काकबली पर भी पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड होता है. अकाल मृत्यु वाले पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति के लिए प्रेत शिला में पिंडदान किया जाता है.
कैसे होते ही अकाल मृत्यु?: जो भी व्यक्ति अकाल मृत्यु का शिकार हुए हैं, जिनकी मौत जलने से, आत्महत्या से, एक्सीडेंट, डूबने, किसी के द्वारा हत्या कर दिए जाने या अन्य किसी घटना में हुई है, ऐसे अकाल मृत्यु वाले पितर प्रेत योनि में चले जाते हैं और माना जाता है कि प्रेतशिला पिंड वेदी पर पर उनका वास होता है. इसे लेकर पिंडदानी अपने पितरों को प्रेत योनि की बाधा से मुक्त करने के लिए यहां पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड करते हैं. मान्यता है कि प्रेतशिला में पिंडदान से पितरों को जहां प्रेत योनि बाधा से मुक्ति मिल जाती है. वहीं उन्हें ब्रह्म लोक की प्राप्ति भी हो जाती है.
भगवान श्री राम भी आए थे प्रेतशिला पिंडवेदी: प्रेतशिला भगवान श्रीराम से भी जुड़ा है. प्रेतशिला स्थित ब्रह्मकुंड सरोवर में भगवान श्रीराम ने स्नान किया था. ब्रह्म कुंड में भी पूर्वजों का पिंडदान किया जाता है. पितृ पक्ष मेले के तीसरे दिन आश्विन कृष्ण प्रतिपदा को चावल और आटे से पिंडदान करने का विधान है. चावल आटे के पिंंड के पिंडदान से पितरों को जहां प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. वहीं, ब्रह्मलोक की प्राप्ति भी हो जाती है.
पिंडदान करने वाले को अक्षय फल की प्राप्ति: जिस प्रकार भगवान विष्णु की पूजा करने पर सभी प्रकार के यज्ञ पूर्ण हो जाते हैं. उसी प्रकार प्रेतशिला में श्राद्ध, तर्पण, स्नान एवं पिंडदान करने से पितरों को प्रेत योनी से मुक्ति और ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है. वहीं, पिंडदान करने वाले को अक्षय फल की प्राप्ति भी होती है.
सैंकड़ों सीढ़ियां चढ़कर प्रेत शिला पहुंचते हैं पिंडदानी: सैकड़ों सीढ़ियां चढ़कर पिंडरानी प्रेत शिला पहुंचते हैं. प्रेत शिला गयाजी धाम की मुख्य पिंड वेदियों में से एक है. प्रेतशिला पहाड़ी के नीचे तीन कुंड हैं, जिसे निगरा कुंड, सुख कुंड और सीता कुंड कहा जाता है. इसके अलावे यहां ब्रह्म कुंड है. जहां पिंडदानी पहुंचकर सबसे पहले स्नान करते हैं और उसके बाद पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड करते हैं. प्रेतशिला के पास ही ब्रह्म कुंड है. मान्यता है कि वनवास के दिनों में भगवान राम यहां आए थे और इस ब्रह्म कुंड में स्नान किया था. यहां पूर्वजों के निमित्त पिंडदान भी किया जाता है.
एक लाख से अधिक पिंडदानी गया धाम पहुंचे: इन दिनों पितृ पक्ष मेला चल रहा है और देश के कोने-कोने से पिंडदानियों का आगमन हो रहा है. वहीं, विदेशों से भी पिंडदानी पहुंच रहे हैं. अब तक एक लाख से अधिक पिंडदानी गया धाम को पहुंच चुके हैं. धीरे-धीरे पिंडारियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पिछली बार 15 लाख के करीब पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर गया धाम आए थे. इस बार 15 लाख से अधिक तीर्थ यात्री अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान श्राद्ध तर्पण का कर्मकांड करेंगे.
"बुधवार को गया जी पहुंचे तीर्थ यात्रियों ने गया पाल पंडों से पिंडदान करने किया का आज्ञा लिया. गया जी में पिंडदान का कर्मकांड का अधिकार हम लोगों ने तीर्थ यात्रियों को दिया, जिसके बाद पिंडदान का कर्मकांड पिंडदानियों के द्वारा शुरू किया गया है. पावन फल्गु तट पर आज का पिंडदान होता है. यह अमावस के दूसरे दिन नाना नानी का श्राद्ध तक चलेगा."- गजाधर लाल कटरियार, गयापाल पंडा
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