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बनारस के इस बैंक से 5 लाख महिलाओं को स्वस्थ रहने का दिया गया है मैसेज, बेटियों कर रही है जागरूक - aware periods in Varanasi

बाजार में पैड लेने जाने से बच्चियों भी डरती हैं और उनके घर वाले भी. यही वजह है कि वाराणसी का एक बैंक ऐसे गंभीर मामले पर न सिर्फ लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है, बल्कि बच्चियों तक निशुल्क पैड भी पहुंचा रहा है.

सुनीता भार्गव और उनकी टीम बेटियों को कर रही है जागरूक
सुनीता भार्गव और उनकी टीम बेटियों को कर रही है जागरूक (Photo Credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 6:33 AM IST

वाराणसी: पीरियड महिलाओं के 5 दिन की इस जटिल समस्या से वहीं महिलाएं जुझती हैं, जो इस दौर से गुजर रही होती हैं. बच्चियों के लिए भी अचानक से शुरू होने वाली यह प्रक्रिया निश्चित तौर पर परेशान करने वाली होती है, लेकिन आज भी इस पर खुलकर बात करने से लोग डरते हैं. बाजार में पैड लेने जाने से बच्चियों भी डरती हैं और उनके घर वाले भी. यही वजह है कि वाराणसी का एक बैंक ऐसे गंभीर मामले पर न सिर्फ लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है, बल्कि बच्चियों तक निशुल्क पैड भी पहुंचा रहा है. अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन की रियल स्टोरी वाराणसी के तमाम इलाकों में महिलाओं के ग्रुप के साथ चरितार्थ दिखाई देती है.

सुनीता भार्गव और उनकी टीम बेटियों को कर रही है जागरूक (Video Credit: ETV Bharat)

दरअसल, वाराणसी की सुनीता भार्गव और उनकी टीम 10 सालों से सखी पद बैंक का संचालन कर रही है. सुनीता बताती हैं कि डिजिटल दौर में उनके पास लगभग 10 साल पहले एक ऐसा मैसेज आया, जिसने उन्हें विचलित कर दिया. उसमें महिलाओं की इस गंभीर समस्या पर किस तरह से पर्दा डालकर घर की महिलाएं ही बच्चियों को भ्रांतियां के साथ जीने पर मजबूर करती हैं. वह उस एक सोशल मीडिया के वीडियो में दिखाया गया था.

उस वीडियो को देखने के बाद मेरी बेटी ने मुझे इस बारे में डिस्कशन किया और मुझे भी यह बात समझ में आई कि यह मामला बेहद गंभीर है आज भी महिलाएं गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती हैं और भ्रांतियां के साथ जीती हैं. अचार ना छूना पानी के मटके को हाथ ना लगाना 5 दिनों तक घर के कोने में बैठे रहना, अलग बर्तन का इस्तेमाल करना और किचन में प्रवेश न करना. यह कुछ ऐसी भ्रांतियां हैं, जो पुराने वक्त में तो सही थी, लेकिन आज के बदल चुके दौर में इन चीजों को साथ लेकर चलना मुश्किल है.

उन्होंने कहा कि आज महिलाएं अलग अपने परिवार के साथ मेट्रो सिटीज में रहती हैं. नौकरी करती हैं और इसी दौर में ऑफिस जाकर खाना-पीना बनाने से लेकर सब काम करती हैं. ऐसे में इन भ्रांतियां का दूर होना बेहद जरूरी है. यही वजह है कि हमने महिलाओं का एक ग्रुप तैयार किया और सभी महिलाओं ने 10 साल पहले 5000-5000 जोड़कर इस बैंक की शुरुआत की. पारदर्शिता बनी रहे. इसके लिए हमने बैंक अकाउंट ओपन किया और सभी ने उसी के जरिए पद बैंक में पैड जमा करना शुरू किया. सुनीता का कहना है कि बैंक लेनदेन करता है. हम लेते तो अपने ग्रुप से हैं, लेकिन देते उन लोगों को हैं, जिनको इसकी जरूरत होती है.

सुनीता बताती है कि हमारी महिलाओं का ग्रुप महीने में हर रविवार को किसी न किसी मलिन बस्ती या कॉलोनी में जाकर महिलाओं और लड़कियों को जागरूक करने का काम करता है. हर रोज दोपहर 2 से 5 तक हर महिला के घर पर कोई भी महिला या बेटी पहुंचकर निशुल्क पैड ले सकती है. हर महीने एक बड़ा कैंप लगता है, जो किसी गर्ल्स स्कूल या कॉलेज या फिर ऐसी जगह होता है. जहां 500 से 1000 बच्चियों इकट्ठा हो जाती हैं. यहां पर हम पहले उन्हें जागरुक करते हैं. इन भ्रांतियां के बारे में उन्हें बात कर उनका भ्रम तोड़ते हैं और यह भी बताते हैं कि अगर आपको कोई यह काहे की आचार छूने से खराब होने वाला है, तो पीरियड के दौरान आचार को एक कटोरी में निकाल कर रख लीजिए और 15 दिनों तक उसकी निगरानी में रखिए अगर अचार खराब नहीं होता, तो अपनी मम्मी और घर के लोगों से बात कीजिए, कि यह भ्रांतियां हैं. इनको दूर कीजिए. ऐसा कुछ होता नहीं है. जबरदस्ती लड़कियों पर यह चीज लादी जाती हैं.

सुनीता का कहना है कि बदलते वक्त के साथ अब चीज बदल रहीं है, तो पीरियड जैसी गंभीर परेशानी को लेकर बेमतलब का प्रोपेगेंडा बनाया जाना उचित नहीं है. हमारा बैंक इसी प्रोपेगेंडा को दूर करने का काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि हम जल्द ही अलग-अलग स्थान पर पद एटीएम मशीन लगाने जा रहे हैं मैं 1 रुपये के सिक्के के जरिए पैड उपलब्ध हो जाएगा. अभी हमने तीन जगह पर इसको लगा दिया है और बाकी जगहों पर लगाने के लिए प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं. हमारा प्रयास है कि हर गर्ल्स कॉलेज और स्कूल के अलावा सार्वजनिक शौचालय में से लगवाया जा सके, ताकि महिलाओं को अचानक से आने वाली समस्या के दौरान असहज महसूस ना करना पड़े और इधर-उधर भागना आना पड़े.

फिलहाल 10 सालों से यह बैंक अपने अनोखे लेनदेन के जरिए न सिर्फ इस बड़ी समस्या की भ्रांतियों को दूर कर रहा है बल्कि महिलाओं को गंदे कपड़े इस्तेमाल होने से बचने के लिए निशुल्क पैड का वितरण भी कर रहा है. सुनीता का कहना है कि हमने अब तक 5 लाख से ज्यादा पैड वितरित किए हैं और यह संख्या आने वाले 2 साल में 10 लाख करने का टारगेट है.

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