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राजस्थान के कोटा से 3 गुना अधिक हुए इस राज्य में सुसाइड, NCRB DATA में सामने आई ये सच्चाई - SUICIDE CASES IN KOTA

Student Suicide Cases : NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक सुसाइड्स के मामलों में राजस्थान काफी पीछे है तो फिर एजुकेशन हब को क्यों सुसाइड हब कहा जाने लगा ? सुसाइड के मामलों के कारण कोटा ही नहीं राजस्थान की भी छवि धूमिल हुई. इसका नुकसान कोटा की अर्थव्यवस्था के साथ ही व्यापारी और स्थानीय लोगों को भी हुआ है...देखें ये रिपोर्ट

सुसाइड के आंकड़ों पर रिपोर्ट
सुसाइड के आंकड़ों पर रिपोर्ट (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 3, 2024, 12:48 PM IST

Updated : Sep 4, 2024, 8:04 AM IST

क्यों शिक्षा नगरी पर लगा कलंक? (ETV Bharat Kota)

कोटा :नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के साल 2022 और 2021 के आंकड़ों पर एनजीओ आईसी-3 ने एनालिसिस किया है. इसके आधार पर साफ है कि राजस्थान सुसाइड के मामलों में निचले पायदान पर है. इस पूरी रिपोर्ट पर कोटा के शिक्षाविद, हॉस्टल संचालक और मनोचिकित्सकों का कहना है कि कोटा को पूरे देश में बदनाम किया जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार अकेले महाराष्ट्र में साल 2021 में 1834 सुसाइड हुए हैं. राजस्थान में यह आंकड़ा 633 ही है. इसमें कोटा के ज्यादा मामले नहीं हैं, जबकि यहां पर देश भर से पढ़ने आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या लाखों में है. इस साल सुसाइड के आंकड़ों के चलते कोटा में पढ़ने आने वाले छात्रों की संख्या कम हो गई है. इसका नुकसान कोटा और यहां के अर्थव्यवस्था के साथ-साथ व्यापारी और स्थानीय लोग झेल रहे हैं.

रिपोर्ट साफ करती है कि राजस्थान काफी पीछे :शिक्षाविद निलेश गुप्ता का कहना है कि नई रिपोर्ट साफ कहती है कि राजस्थान का स्टूडेंट सुसाइड रेट रेश्यो काफी कम है. राष्ट्रीय औसत 12.4 से राजस्थान काफी पीछे है. यहां औसत आत्महत्या की दर 6.6 प्रति लाख व्यक्ति है, जबकि राजस्थान और कोटा को सुसाइड के मामले में जानकर हाइलाइट किया जा रहा है. आईसी-3 एनजीओ संस्था स्टूडेंट के सुसाइड पर स्टडी कर रही है. इसके अनुसार राजस्थान टॉप 6 में भी नहीं है. इससे काफी आगे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व तमिलनाडु हैं.

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बाहर के बड़े स्कूल और कोचिंग संस्थानों का हाथ :शिक्षाविद निलेश गुप्ता का कहना है कि कोटा में पूरा इको सिस्टम बना हुआ है. यह दूसरे शहरों से काफी ज्यादा बेहतर है. बच्चों के लिए रहने और खाने के लिए पर्याप्त और अच्छी व्यवस्था है. स्टूडेंट का ज्यादा समय ट्रांसपोर्टेशन में जाया नहीं जाता है. सब कुछ यहां पर नजदीक में है. छात्रों के लिए शांतिप्रिय वातावरण है. उनका आरोप है कि यही बात बाहर के बड़े स्कूल और कोचिंग संस्थानों को खटक रही थी कि कोटा छोटे स्तर पर होने के बावजूद भी आगे क्यों बढ़ रहा है? कोटा से जलन की वजह से ही सुसाइड को प्रायोजित रूप देकर बढ़ावा दिया गया है.

देखें आंकड़ें (ETV Bharat GFX)

टॉपर्स और सिलेक्शन में आगे इसीलिए की गई साजिश :कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि कोटा को जान बूझकर बदनाम किया गया है. आत्महत्या को लेकर कोटा की छवि को बिगाड़ी गई है. उनका आरोप है कि इसके पीछे अन्य राज्यों में चल रहे कोचिंग संस्थान हैं. लगातार काफी सालों से इस तरह की साजिश कोटा को लेकर चल रही है. एनसीआरबी की 2021 और 2022 की रिपोर्ट को देखा जाए तो राजस्थान का नाम काफी पीछे है. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा व तमिलनाडु आगे है, जबकि केवल कोटा को बदनाम किया गया है. यहां पर दो से ढाई लाख छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए आते हैं. यहां से हर साल नीट, जेईई के टॉपर्स आते हैं. यहां का सिलेक्शन का रेश्यो भी देश में ज्यादा है. कोटा की बदौलत ही इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस में राजस्थान टॉप 3 स्टेट में आता है. यहां इतने छात्र कोचिंग के लिए आ रहे हैं और सिलेक्शन हो रहे हैं, इसीलिए पूरी साजिश की गई.

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सभी के प्रयास से कम हो रहे हैं आंकड़े :मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सक डॉ. विनोद दड़िया ने कहा कि हाईकोर्ट में याचिका चल रही थी. इसके साथ ही जिला प्रशासन भी कोटा को लेकर काफी मेहनत कर रहा है. मेंटल हेल्थ स्टडी भी शुरू की, जिसमें स्क्रीनिंग में कुछ छात्र सामने आए हैं, जिनकी पहचान की गई. इसके अलावा गेट कीपर ट्रेनिंग और फर्स्ट कॉन्टैक्ट पर्सन को भी हमने ट्रेंड किया था. हॉस्टल में जाकर छात्रों की काउंसलिंग की गई. पेरेंट्स को भी समझाया गया. हॉस्टल कोचिंग और सभी के समन्वित प्रयास हुए. मेंटल हेल्थ इश्यू को सॉल्व किया गया. सभी के प्रयास से अच्छे परिणाम आए और सुसाइड के आंकड़े गिर रहे हैं.

सुसाइड का टैग कोटा के लिए नुकसान :डॉ. दड़िया का कहना है कि कोटा पर सुसाइड का टैग लग गया है. इस टैग के चलते कोटा को नुकसान हुआ है, जबकि कोटा और राजस्थान सुसाइड में अव्वल भी नहीं है. कोटा में बहुत अच्छी पढ़ाई हो रही है. कोटा में जिस तरह का एक बड़ा सिस्टम है, वह एकाएक दूसरी जगह होना संभव नहीं है. यहां पर अच्छी फैकल्टी है और पूरी सुविधाएं भी अच्छी हैं. कोटा के जैसा सिस्टम दूसरी जगह पर धीरे-धीरे बनेगा, इसीलिए यहां आने वाले छात्रों को फायदा मिलना चाहिए.

देखें आंकड़ें (ETV Bharat GFX)

कोरोना के बाद ज्यादा हुई सुसाइड की संख्या :आईसी-3 की रिपोर्ट के अनुसार 2001 में जहां पर 5425 स्टूडेंट के सुसाइड होते थे, यह आंकड़ा 2021 आते-आते बढ़कर 13089 हो गया है. साल 2019 में जहां 10335 सुसाइड थे, इनमें महज 1.7 फ़ीसदी की बढ़ोतरी बीते साल 2018 से हुई थी. जबकि 2020 में यह सुसाइड का आंकड़ा 21.2 फीसदी बढ़कर 12526 पहुंच गया था. साथ ही 2021 में 4.5 फ़ीसदी के बढ़ोतरी हुई हैा. साफ है कि कोविड-19 के बाद सुसाइड के आंकड़े में एकदम से उछाल आया.

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एनसीआरबी के आंकड़े भी राजस्थान में आत्महत्याओं के कम आंकड़ों की बात स्वीकारते हैं

  1. सुसाइड के मामले में राजस्थान बड़ा स्टेट होने के बावजूद 13 स्थान पर आता है, जबकि इससे छोटे स्टेट केरल, गुजरात, ओडिशा, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु सूची में ऊपर हैं.
  2. राजस्थान में 2022 में 5343 आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. यह देश में हुई 170924 आत्महत्या का महज 3.1 फीसदी है.
  3. आत्महत्या की दर की बात की जाए तो राजस्थान में 8 करोड़ की जनसंख्या है और महज आत्महत्याओं की दर 6.6 प्रति लाख व्यक्ति है. केरल में यह आंकड़ा 28.5, छत्तीसगढ़ में 28.2, तेलंगाना में 26.3, तमिलनाडु में 25.9, कर्नाटक में 20.2, महाराष्ट्र में 18.01 मध्य प्रदेश में 17.9 है.
  4. साल 2022 में भारत का राष्ट्रीय औसत प्रति लाख जनसंख्या पर 12.4 आत्महत्याओं के मामले में हैं, जबकि राजस्थान का औसत 6.6 है.
Last Updated : Sep 4, 2024, 8:04 AM IST

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