भरतपुर: ये कहानी एक बेटी और एक बेटा की सफलता की है. पिता ने सपोर्ट किया तो बेटी ने कुश्ती में देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में अपने माता-पिता और राजस्थान का नाम रोशन कर दिया. राष्ट्रीय स्तर पर तो मानो मेडल्स की झड़ी लगा दी. वहीं, पहलवान छगन मीणा का मन पढ़ाई में नहीं लगा तो कुश्ती में जमकर दमखम दिखाया और कुश्ती ने ही करियर चमका दिया. आज खेल कोटा से पुलिस में हेड कांस्टेबल के रूप में अपनी सेवाएं देने के साथ ही कुश्ती में लगातार 8 साल से राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत रहे हैं.
वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो बार धाक जमाई : राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में भादरा की रहने वाली मोनिका श्योराण को बचपन से ही घर परिवार में खेल का माहौल मिला. पिता कबड्डी खिलाड़ी रहे, इसलिए पिता ने बेटी मोनिका का हौसला बढ़ाया और कुश्ती के दंगल में उतार दिया.
मोनिका ने बताया कि उन्होंने 11वीं कक्षा से दंगल लड़ना शुरू किया. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. मोनिका ने बताया कि वर्ष 2018 से वो लगातार राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में मेडल जीत रही हैं. वहीं, वर्ल्ड रेस्टलिंग चैंपियनशिप 2022 और 2023 में लगातार कांस्य पदक जीतकर राजस्थान और देश का नाम रोशन कर दिया. मोनिका का कहना है कि पहलवानों को हमेशा शुद्ध खानपान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. फास्टफूड और प्रोटीन पाउडर के सेवन से बचना चाहिए. इनके बहुत की नकारात्मक प्रभाव सामने आते हैं. इसलिए इनसब से बचकर शुद्ध खानपान के साथ जीजान से मेहनत करनी चाहिए.
पढ़ाई में मन नहीं लगा तो कुश्ती ने चमकाई किस्मत : सीकर जिले के रहने वाले छगन मीणा के पिता किसान हैं. पिता का सपना था कि बेटा अच्छा पढ़ लिखकर नौकरी हासिल करे, लेकिन छगन का मन पढ़ाई में नहीं लगता था. यही वजह थी कि छगन मीणा ने 6वीं कक्षा से ही गांवों के दंगलों में कुश्ती लड़ना शुरू कर दिया. पहलवान छगन ने बताया कि घरवालों ने भी पूरा सपोर्ट किया और कुश्ती के दम पर खेल कोटा से वर्ष 2018 में राजस्थान पुलिस में भर्ती हो गए. आज हेड कांस्टेबल के रूप में सीकर पुलिस लाइन में तैनात हैं. पहलवान छगन मीणा ने बताया कि वर्ष 2016 से वर्ष 2024 तक वो लगातार नेशनल में मेडल जीत रहे हैं. साथ ही वर्ष 2019 में वर्ल्ड पुलिस गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर नाम रोशन कर दिया.
पहलवान छगन मीणा का कहना है कि वो हमेशा से देशी और शुद्ध खान पान पर निर्भर रहे हैं. उनके यहां ज्वार, बाजरा, मक्का आदि की पैदावार अधिक होती है और उसी का सेवन किया जाता है. खेतों में रसायनों का इस्तेमाल नहीं क्या जाता, साथ भी भैंस, भेड़, बकरी और यहां तक उन्होंने ऊंटनी के दूध का भी सेवन किया है. पहलवान छगन आजकल के युवाओं को प्रोटीन पाउडर जैसे केमिकल युक्त सप्लीमेंट के सेवन नहीं करने की सलाह देते हैं.
पहलवान छगन मीणा का कहना है कि परिजनों को अपने बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाना चाहिए. यदि बच्चे गेम्स में आगे निकलेंगे तो वो शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहेंगे. पहलवान छगन ने उदाहरण देते हुए बताया कि खिलाड़ी मानसिक रूप से भी इतने मजबूत हो जाते हैं कि कभी किसी खिलाड़ी को आत्महत्या जैसा कदम उठाते हुए नहीं देखा गया.
गौरतलब है कि भरतपुर में 23 से 25 नवंबर तक राजस्थान राज्यस्तरीय सीनियर पुरुष फ्री स्टाइल व ग्रीको रोमन और महिला कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. जिसमें पूरे राजस्थान से करीब 500 से अधिक पहलवानों ने भाग लिया. पहलवान मोनिका और पहलवान छगन भी इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए यहां आए.