करनाल:हरियाणा में बढ़ते ठंड के साथ ही लोगों में नॉनवेज की डिमांड भी बढ़ी है. नॉनवेज में सबसे अधिक हेल्दी मछली होता है. मछली खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है. साथ ही हेल्दी भी माना जाता है. कई बीमारी में तो डॉक्टर भी लोगों को मछली खाने की सलाह देते हैं. इस बीच मछली पालन की ओर लोगों का रुझान काफी बढ़ा है. कई लोग तो मछली पालन रोजगार को अपनाकर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं.
करनाल के जय भगवान कर रहे मछली पालन: दरअसल हम बात कर रहे हैं करनाल जिले में रहने वाले जय भगवान की. जय भगवान पहले खेती करते थे. हालांकि पिछले कई सालों से मछली पालन कर रहे है. उन्होंने रोजगार के लिए छोटे स्तर पर मछली पालन शुरू किया था. हालांकि अब जय भगवान 15 एकड़ में इस व्यवसाय को कर के लाखों रुपए कमा रहे हैं. सरकार की ओर से भी उनको अच्छी खासी सब्सिडी मिल रही है. अब जय भगवान दूसरे लोगों को भी मछली पालन करने की सलाह देने के साथ ही निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं. ताकि अन्य लोग भी इस रोजगार के जरिए आर्थिक रुप से मजबूत बन सके.
2008 में की शुरुआत:करनाल के रहने वाले जय भगवान ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि साल 2008 में अपने एक दोस्त के साथ मिलकर मैंने मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया था. धीरे-धीरे करनाल के काछवा रोड के पास 15 एकड़ जमीन पर तलाब बनाए और इसमें भिन्न-भिन्न प्रकार की मछलियों को लाकर रखा. इनमें ज्यादातर ऐसी मछलियां थी, जिसका डिमांड बहुत ज्यादा था. मछलियों के बड़े होने पर उनको देश के अलग-अलग मंडियों में बेचने के लिए ले जाया जाता है. जहां उनको इसका अच्छा मुनाफा मिल जाता है. एक किलो मछली से 30 से 40 रुपये का मुनाफा व्यापारी को मिल जाता है, जो कि काफी है.
मछली पालन की विधि:जय भगवान बताते है कि शुरू में जमीन पर तालाबों की खुदाई की जाती है. फिर इसमें ऊपर तक पानी भरा जाता है. अपने फार्म पर ही मछली के बच्चे को तैयार किया जाता है. उसके बाद बच्चों को इन्हीं तलाबों में डाल दिया जाता है. चार लेयर में मछली को रखा जाता है. एक तलाब में मराकी मछली, जो नीचे की खुराक खाती है. दूसरा तलाब में गोल्डन मछली, जो तालाब के बीच की खुराक खाती है. तीसरा तलाब में रोहू मछली है, जो बीच की खुराक खाती है. चौथे तलाब में कतला मछली है, जो सिर्फ ऊपर की खुराक खाती है.
करनाल के "भगवान" को मछली से मुनाफा (ETV Bharat) इस तरह होती है देख रेख: जय भगवान बताते हैं इस सारे काम को 5 से 6 लोग देखते हैं. समय पर मछलियों को उनके हिसाब से खुराक दी जाती है. तालाबों के पानी को समय-समय पर बदला जाता है, ताकि तालाब का पानी साफ रहे. मछलियों की ग्रोथ गर्मियों में ज्यादा होती है. सर्दियों में मछलियों को बीमारियों से बचाना पड़ता है. सर्दियों में मछलियों के मांस में जुएं लग जाती है. जब इस प्रकार की बीमारी लग जाती है तो मछलियों की खुराक में दवाई मिलाकर दी जाती है, तो इस बीमारी से छुटकारा मिल जाता है. गर्मियों में मछलियों में गैस की बीमारी होती है, जिससे ऑक्सिजन की कमी होने पर मछलियां मर जाती है, जिसके लिए जिओलेट दवाई का प्रयोग खुराक में मिलाकर करने से बीमारी से निजात मिलती है.
सरकार की ओर से मिलती है सब्सिडी:जय भगवान बताते हैं कि इस व्यवसाय में सरकार अच्छी सब्सिडी देती है. 7 से 8 लाख की सब्सिडी सरकार से मिल जाती है. जनरल केटेगिरी में 40 प्रतिशत और एससी, बीसी में 60 प्रतिशत सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाती है. ढाई एकड़ में तलाब की खुदाई के लिए 3 से 4 लाख रुपये सरकार की तरफ से सब्सिडी मिल जाती है. मछली पालन का तकनीकी प्रशिक्षण लेने के बाद मार्च के महीने में 2 एकड़ जमीन पर कोई भी इस व्यवसाय की शुरुआत कर सकता है. सर्दी के मौसम में जमीन पर तलाब के लिए खुदाई करें और मार्च के महीने में पानी भर कर मछली पालन शुरू करें. इस व्यवसाय को शुरू करने में 4 लाख तक का खर्चा आ जाता है. तलाबों के किनारे फल, फूल, सब्जियों का व्यवसाय भी किया जा सकता है, जिससे आर्थिक लाभ में और भी मजबूती आएगी.
अधिक सब्सिडी की मांग: जय भगवान के मछली फार्म पर काम करने वाले विजय बहादुर ने बताया कि जैसे 5 एकड़ जमीन पर तलाब की खुदाई का खर्चा करीब 10 से 12 लाख आ जाता है. सरकार की तरफ से 60% सब्सिडी मिल जाती है. फिर जाल लगाने पर 40 फीसद, इसके साथ खाद, खुराक और मछली बच्चे के लिए भी 40 फीसद सब्सिडी मिलती है. मछली बेचने के लिए थोड़ी दिक्कत है. इसे बेचने के लिए हमे अलग-अलग मंडियों में जाना पड़ता है. करनाल में इसके लिए कोई मंडी नहीं है जो कि होनी चाहिए. मेरी सरकार से अपील है कि छोटे किसानों के लिए सरकार ज्यादा सब्सिडी देने का प्रवाधान करें.
बता दें कि बढते ठंड के कारण लोगों का रूख नॉनवेज के तरफ बढ़ा है. लोग नॉनवेज खाना ज्यादा पसंद करते हैं. नॉनवेज में भी मछली हेल्दी होने के कारण लोग मछली खाना ज्यादा प्रेफर करते हैं. ऐसे में मछली पालन कर लोग लाखों में मुनाफा कमा सकते हैं. करनाल के जय भगवान ने सालों पहले इस व्यवसाय को चुना था. आज इस व्यापार के जरिए वो लाखों कमा रहे हैं. साथ ही लोगों को मछली पालन का प्रशिक्षण और रोजगार देकर आर्थिक तौर पर मजबूती देने का काम कर रहे हैं.
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