राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

जैसलमेर में खोखले साबित हो रहे शिक्षा को लेकर सरकार के दावे... झोपड़े में पढ़ने को मजबूर विद्यार्थी - Hut School In Jaisalmer

Hut School In Jaisalmer, जैसलमेर का भुर्जगढ़ ग्राम पंचायत का गणेशपुरा गांव, जहां बच्चे बिना भवन के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं. ना यहां टॉयलेट, ना पानी और ना ही बिजली. एक झोपड़े में पिछले 2 साल से स्कूल चल रहा है. एक ही झोपड़ी में पांचवीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं. आजादी के 77 साल बाद भी जिले वासी शिक्षा की मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट -

HUT SCHOOL IN JAISALMER
HUT SCHOOL IN JAISALMER (फोटो ईटीवी भारत जैसलमेर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 6, 2024, 8:55 AM IST

Updated : May 6, 2024, 11:28 AM IST

सरकारी स्कूल की दुर्दशा (फोटो ईटीवी भारत जैसलमेर)

जैसलमेर.सरकार विकास के चाहे कितने भी बड़े-बड़े दावे क्यों न कर लें, मगर कहीं न कहीं कोई तस्वीर मिल ही जाती है जो एक अलग ही परिवेश बयां करती है. शुक्रवार को ईटीवी भारत ने अपने दर्शकों को ऐसी ही एक तस्वीर बताई जिसमें टीन शेड के नीच विद्यार्थी पिछले 2 सालों से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. ये मामला था बाड़मेर का लेकिन अब एक ओर ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसको देखकर हर कोई हैरत में पड़ जाएगा और पूछेगा कि क्या यह आजादी के 77 साल बाद वाला भारत है ? सरकारी विद्यालय की तस्वीरें सरकार और प्रशासन की अनदेखी को बयां करने वाली हैं. छात्रों को बेंच-कुर्सी छोड़िए, दरी पट्टी भी नसीब नहीं हैं. आलिशान स्कूल भवन छोड़िए दीवारें तक इन बच्चों को मयस्सर नहीं हैं. जैसलमेर की यह तस्वीरे चौंकाने वाली है, जहां सरकारी स्कूल के विद्यार्थी झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं.

जैसलमेर के फलसूण्ड का भुर्जगढ़ ग्राम पंचायत, जो इस युग में भी पाषाण काल की याद दिलाता है. शिक्षा व्यवस्था के लिए ये कहीं से भी अच्छे संकेत नहीं हैं. भुर्जगढ़ ग्राम पंचायत के राजस्व गांव गणेशपुरा में राजकीय प्राथमिक विद्यालय कच्चे झोपड़े में चल रहा है. यहां बच्चे जमीन पर बैठकर झोपड़ी में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. आंधी व बारिश के मौसम में बच्चों को बहुत सारी परेशानियां होती हैं. केंद्र व राज्य सरकार हर साल शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, ताकि स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके. लेकिन गणेशपुरा गांव में राजकीय प्राथमिक विद्यालय पिछले 2 वर्षों से झोपड़ी में ही चल रहा है. विद्यालय में 28 बच्चे पढ़ाई करते हैं. बच्चे जमीन पर दरी बिछाकर बैठते हैं. साथ ही एक ही झोपड़ी में पांचवीं तक की कक्षाएं संचालित होती हैं.

इसे भी पढ़ें- बाड़मेर में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल, 40 डिग्री तापमान में टिन के शेड के नीचे बच्चे पढ़ने को मजबूर - Govt School Without A Building

गांव के ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में 28 बच्चे रजिस्टर्ड हैं और अन्य 15 बच्चे झोपड़ी में पढ़ाई करने के लिए लेकर आते हैं, लेकिन अभी तक विभाग की ओर से विद्यालय का भवन निर्माण कार्य नहीं हो सका है. विद्यालय में दो शिक्षिका पदस्थापित है. वहीं बच्चों को शौच के लिए भी झाड़ियों में जाना पड़ रहा है, जिससे उनको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन जिम्मेदारों की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार जन प्रतिनिधियों व अधिकारियों को अवगत करवाया गया है लेकिन कई बैठकें लेने के बावजूद अब तक इस पर कोई विशेष कार्रवाई नहीं की गई, जिससे यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों व शिक्षकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बारिश में करनी पड़ती है छुट्टी : मौसम में बदलाव के कारण कभी बारिश होती है तो स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है. तेज आंधी के दौरान झोंपड़े के गिरने या बिखरने से हादसे की भी आशंका बनी रहती है. कई बार तेज हवा चलने पर झोंपड़े पर लगा विद्यालय का बोर्ड भी गिर जाता है.

इसे भी पढ़ें-मानव तस्करी एक कलंक ! राष्ट्रीय मानव तस्करी जागरूकता दिवस आज, जानिए राजस्थान के हालात

नहीं है पानी-बिजली की सुविधा : विद्यालय में पानी बिजली की कोई सुविधा नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को घर से बोतलों में पानी लाना पड़ता है. बिजली की कोई व्यवस्था नहीं होने से भीषण गर्मी में उनका हाल बेहाल हो जाता है. यही नहीं पानी के अभाव में मिड-डे-मील के पोषाहार को लेकर भी परेशानी हो रही है.

भीषण गर्मी में काटते हैं 5 घंटे : तेज गर्मी हो या सर्दी फिर भी बच्चे यहां पढ़ने आते हैं. इन दिनों करीब 40 से 45 डिग्री के तापमान के बीच बच्चे यहां पढ़ने आ रहे हैं. रेत भी इतनी गर्म है कि जिससे खाना बन जाए. ऐसे में इस तपते मौसम में विद्यार्थी बिना भवन के यहां पढ़ने को मजबूर हैं. गर्मी और लू में बच्चे पसीने से भींग जाते हैं लेकिन अपने सुनहरे भविष्य के लिए 5 घंटे यहां काटने को विवश हैं. आजादी के इतने सालों बाद भी ऐसी तस्वीरें सरकारों के मुंह पर कड़ा तमाचा है जो शिक्षा के नाम पर बड़ी-बड़ी योजना और बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन हकीकत तो यहां कुछ और ही बयां हो रही है.

इस विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे मासूम देश का भविष्य हैं. इन मासूमों को शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं में शुरुआती दिनों मे ही इस प्रकार की कमी शायद इनकी शैक्षिक गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो जिस विकास की परिकल्पना को साकार करने में देश की सरकारें जुटी हैं शायद मुश्किल होगा. उम्मीद है इन तस्वीरों को देखकर जिम्मेदार कुछ सुध लेंगे,जिससे बच्चों का बेहतर भविष्य बन सके.

Last Updated : May 6, 2024, 11:28 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details