अलवर :यदि मन में लक्ष्य को पाने की इच्छा हो तो आभाव के बाद भी सफलता कदम चूमती है. यह साबित कर दिखाया है अलवर शहर के रहने वाले कुलदीप जैमन ने. इन्होंने राजस्थान की सबसे कठिन माने जाने वाली आरएएस की परीक्षा को 2018 में पास कर ऐसे लोगों के लिए उम्मीद जगाई, जो फिजिकल डिसेबिलिटी के चलते अपने आप को जिंदगी में हारा हुआ मान लेते हैं. कुलदीप जैमन ने दृष्टिबाधित होने के बावजूद भी इस एग्जाम में सफलता हासिल की. आज कुलदीप अलवर जिले के उमरैण ब्लॉक में सफलतापूर्वक अपने कार्य का निर्वहन कर रहे हैं.
कुलदीप जैमन ने बताया कि वे शहर के खास मोहल्ला के निवासी है. उन्हें शुरुआत से ही दिखाई न देने की समस्या थी. इसके बावजूद भी बचपन से ही उन्हें अपने जीवन में ऊंचे मुकाम हासिल करने की लग्न थी. बस उन्हें एक साथ की जरूरत थी, जो उन्होंने नव दिशा संस्थान से मिला. साल 1999 में नव दिशा संस्थान का साथ उन्हें मिला, जिसके सहारे उन्होंने अपने सपनों को धीरे-धीरे संजोना शुरू किया. कुलदीप की मेहनत और संस्थान के मार्गदर्शन के चलते आज उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. इस संस्थान के जुड़कर उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत की. वहीं, उनकी उच्च शिक्षा अलवर के बाबू शोभाराम कॉलेज से हुई. कुलदीप ने बताया कि उन्हें खेल से भी लगाव था, जिसके चलते उन्होंने यही चेस खेल खेलना सीखा. उन्होंने चेस खेल में नेशनल लेवल में हिस्सा लिया और मेडल भी अपने नाम किए.
टेक्नोलॉजी से भी मिली मदद : कुलदीप ने बताया कि उन्होंने 2013 से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करना शुरू किया था. उन्होंने 2018 के आरएएस एग्जाम को पास किया. इसके लिए उन्होंने किसी तरह की कोई कोचिंग नहीं की. वे रूटीन सेल्फ स्टडी करते थे. हालांकि, इस दौरान कई समस्याएं भी आईं, लेकिन उन्होंने सभी को पार किया. उन्होंने बताया कि दृष्टिबाधित लोगों के साथ पढ़ने में समस्या होती है, इसके लिए उन्हें किसी व्यक्ति से जिस टॉपिक को वह पढ़ना चाहते है वह रीड करवानी पड़ती है. कई बार यह बहुत ही चैलेंजिंग होता है, लेकिन जैसे जैसे टेक्नोलॉजी का इजाद हो रहा है, वैसे-वैसे यह दृष्टिबाधित लोगों के जीवन में सफलता की सीढ़ी बनती जा रही है.