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कारसेवक की जुबानी: सरयू का रंग हो गया था लाल, आज भगवान के आने की खुशी ही कुछ और है - कारसेवक की कहानी

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर 2024 (Ram Mandir 2024) में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा (Ramlalla Pran Pratistha) होने जा रही है. इसको लेकर सभी राम भक्तों में उत्लाह है. वहीं, इस मंदिर में कारसेवकों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. आज कारसेवकों की आंखों में खुशी के आंसू हैं, जिन्होंने मंदिर के लिए संघर्ष किया था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 21, 2024, 11:04 PM IST

कारसेवक ओम प्रकाश तिवारी से बातचीत

अयोध्या: रामनगरी में रामलला विराजमान हो चुके हैं. अयोध्या के राजा के टाट से ठाठ में आने की खुशी चारो ओर दिखाई पड़ रही है. लेकिन, इन खुशियों के पीछे का जो एक संघर्ष रहा है, वह कभी नहीं भूलने वाला है. जो आज अपने भगवान को महल में बैठा देख रहे हैं, उन्हें इस बात की खुशी भी है और कुछ गम भी है. लेकिन, हम आज सिर्फ खुशियों पर ही बात करने जा रहे हैं. इस संघर्ष में शामिल कारसेवकों ने अपना जीवन खपा दिया. इस इंतजार में कि एक दिन रामलला मंदिर में विराजमान होंगे. इन्हीं कारसेवकों में से एक कारसेवक ओम प्रकाश तिवारी हैं, जिन्होंने भरी आंखों से कहा कि कारसेवकों के रक्त से सरयू लाल थी. आज प्राण प्रतिष्ठा से मन बहुत खुश है.

ओम प्रकाश तिवारी बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में ये स्थिति थी. उन्होंने हिन्दू जनमानस को चैलेंज किया था कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. हम लोग नंदीग्राम भरत कुंड तपस्थली से रातभर गन्ने और खेतों की मेडों पर चलते हुए बिना किसी साधन के अयोध्या पहुंचे थे. ट्रेनें सारी बंद कर दी गई थीं. इसके बावजूद मुलायम सिंह यादव की तानाशाही भाषा का जवाब देना चाहते थे. लाखों की संख्या में कारसेवक, जब भी विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस द्वारा आह्वान किया जाता था, हम लोग तन-मन-धन से अयोध्या नगरी में अपने प्रभु राम का मंदिर बनाने का संकल्प लेकर आया करते थे.

सरयू का रंग हो गया था लाल:ओम प्रकाश तिवारी बताते हैं कि 1990 में मुलायम सिंह की सरकार थी. स्थिति ये थी कि कारसेवक निहत्थे थे. कारसेवा के लिए वे लोग जा रहे थे. मुलायम सिंह का आदेश आता है कि निहत्थे कारसेवकों पर गोलियां चला दी जाती हैं. निहत्थे कारसेवकों पर जिस तरह से गोलियां चलाई गई थीं. सरयू का पानी लाल हो गया था. कितने कारसेवक शहीद हो गए थे. हम लोग उस वक्त बीएस दूसरे साल के छात्र थे. साकेत महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे. अयोध्या की गलियों-गलियों से वाकिफ थे. शिवसेना के संतोष दुबे भी थे. जिस समय ढांचा गिराया गया, वे दब भी गए थे. उस दौर में अंदर प्रवेश करने की अनुमति भी नहीं थी. इस तरह का माहौल अयोध्या में बनाकर रखा गया था.

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परिक्रमा पर लगी रोक और बंद कराया स्नान:ओम प्रकाश तिवारी बताते हैं कि चौरासी कोसी परिक्रमा को भी रोक दिया गया था. साधुओं को सरयू नदी में स्नान तक नहीं करने दिया जा रहा था. वह भी दिन याद है कि हम लोग हनुमान गढ़ी के पूर्व दिशा में बैठे थे, जिस समय गोली चली थी और विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल गाजे-बाजे के साथ आए थे. हम हनुमान गढ़ी के पास जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए लाखों कारसेवकों के साथ जमीन पर बैठे हुए थे. इसके बाद भी पुलिस के जवानों ने शासन के आदेश के बाद निहत्थे कारसेवकों पर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया. जिस तरह से लाठियां बरसाई गईं थी, वह बहुत ही निंदनीय है.

कारसेवकों के दिल में खुशी के भाव:अब जब 22 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, तो ओम प्रकाश तिवारी के चेहरे पर वह खुशी देखते बन रही है. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी को यहां आने से रोका है. सभी अपने घरों पर इसकी खुशी मनाएंगे. मन आज इतना खुश है कि जिसका वर्णन शब्दों के माध्यम से नहीं कर सकते हैं. इसीलिए कार्यक्रम से पहले भगवान राम का और हनुमान जी का दर्शन किया जा रहा है. बिना हनुमान जी के दर्शन के भगवान राम का दर्शन अधूरा रहता है. हमारी इस नगरी के परम सेवक राम के हनुमान जी हैं. उनका दर्शन अनिवार्य है. रामलला का मंदिर बन रहा है और प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. इसकी खुशी हम कारसेवकों के मन में बहुत ही अधिक है.

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