लातेहारः जिले के सदर प्रखंड के बनबिरवा गांव का विद्यालय समाज के उन लोगों के लिए एक सबक है, जो थोड़ी सी तकलीफ में हिम्मत हार जाते हैं. इस विद्यालय के भवन को नक्सलियों के द्वारा दो बार ध्वस्त किया गया था. इसके बावजूद आज यह विद्यालय लातेहार जिले के बेहतर सरकारी विद्यालयों में गिना जाता है. यह विद्यालय समाज को आईना दिखाता है कि यदि हौसला बुलंद हो तो कोई भी कठिनाई रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती.
दरअसल लगभग 10 साल पहले तक लातेहार जिला उग्रवादियों का गढ़ हुआ करता था. उस दौरान उग्रवादियों के द्वारा सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचाया जाता था. इनमें शिक्षा के मंदिर स्कूल भी शामिल थे. जिस भी विद्यालय में सुरक्षा बल के जवान अभियान के दौरान ठहर जाते थे. उस विद्यालय को भी नक्सली अपने निशाने पर ले लेते थे.
लातेहार सदर प्रखंड के बनबिरवा गांव में स्थित स्कूल सड़क के किनारे होने के कारण सुरक्षा बल के लोग यहां अक्सर रुकते थे. इससे नाराज होकर नक्सलियों ने इस विद्यालय को टारगेट कर रखा था. वर्ष 2005 से लेकर 2011 तक में नक्सलियों ने इस विद्यालय के भवन को दो बार पूरी तरह ध्वस्त कर दिया था. दो दो बार स्कूल भवन ध्वस्त हो जाने के कारण ऐसी संभावना बन गई थी कि अब शायद इस स्कूल का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, परंतु यहां के ग्रामीणों ने भी यह ठान लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए स्कूल बंद नहीं होने देंगे. जब स्कूल का भवन ध्वस्त हो गया था तो बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करने आते थे.
फिर से बना नया भवन और स्कूल की व्यवस्था सुधरी
इधर सरकारी स्तर पर एक बार फिर से स्कूल के नए भवन का निर्माण कराया गया. इस बार ग्रामीणों ने भी संकल्प ले लिया था कि यदि अब नक्सली स्कूल भवन को ध्वस्त करने आएंगे तो उनका विरोध किया जाएगा. नया स्कूल भवन बनने के बाद फिर से एक बार स्कूल की रौनक बढ़ने लगी और बच्चों की संख्या में भी इजाफा होने लगा. वर्तमान में यह स्कूल लातेहार जिले के बेहतर स्कूलों में से एक माना जाता है. यहां बच्चों की संख्या लगभग 250 है. वर्ग 1 से लेकर आठवीं क्लास तक यहां पढ़ाई होती है.
स्कूल में बच्चों का अनुशासन, शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद की भी बेहतर व्यवस्था की गई. वर्तमान में स्थिति ऐसी हो गई है कि यह सरकारी स्कूल अपनी व्यवस्था के कारण प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहा है. स्कूल की छात्रा ललिता कुमारी बताती है कि उसके स्कूल में बच्चों को काफी बेहतर शिक्षा मिलती है. अब तो उन्हें कंप्यूटर की भी पढ़ाई कराई जा रही है. वहीं स्थानीय ग्रामीण महिला उर्मिला देवी ने बताया कि इस विद्यालय के भवन को दो बार नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिया था. उस समय बच्चों की संख्या भी काफी कम हो गई थी. परंतु अब स्कूल काफी बेहतर हो गया है. कुछ शिक्षकों की कमी है. यदि वह पूरी हो जाए तो यहां के बच्चे आगे बढ़कर काफी नाम कर सकते हैं.
बच्चों को शिक्षित के साथ-साथ हुनरमंद भी बनाने का है प्रयास