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साइबर ठगी का महाफ्रॉड; शेयर मार्केट में निवेश करने के नाम पर पति-पत्नी ने ठगे 150 करोड़, STF ने दबोचा - Cyber Fraud

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 17, 2024, 7:46 PM IST

उत्तर प्रदेश एसटीएफ एक ऐसे पति-पत्नी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जो अभी तक हजारों लोगों से डेढ़ अरब से अधिक रुपये की ठगी कर चुके थे. आरोपियों ने जो ठगी का तरीका अपनाया था, वह काफी चौंकाने वाला है.

एसटीएफ ने चार शातिर ठगों को किया गिरफ्तार.
एसटीएफ ने चार शातिर ठगों को किया गिरफ्तार. (Etv Bharat)

लखनऊ:यूपी एसटीएफ ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो शेयर बाजार में लोगों से डीमैट अकाउंट खोलकर ट्रेडिंग कराने के नाम पर ठगी करता था. यह गिरोह सेबी जैसी संस्थाओं के फर्जी लाइसेंस दिखा कर अब तक 150 करोड़ रुपए की ठगी कर चुका है. एसटीएफ ने लखनऊ के रहने वाले गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है. यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी दीपक सिंह ने बताया कि सरोजनीनगर निवासी नासिर अली अपनी पत्नी, भाई व अन्य लोगों के साथ मिलकर शेयर मार्केट में निवेश कराकर निवेशकों के पैसे हड़प रहा था. ये लोग अभी तक 150 करोड़ रुपये ठग चुके हैं. चारों आरोपियों को सरोजनीनगर से गिरफ्तार किया गया है.

ठगी के लिए बनाई थी कई फर्म
डीएसपी ने बताया कि जांच में सामने आया कि नासिर अली 2018 से शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर ठगी कर रहा है. जिसके लिए उसने कई फर्म (Fans Capital Services, Ambia Insurance Marketing Private Limited, Ambia Infratech Private Limited, Fans Wealth Management & IMF Private Limited, Ambia Technology Limited) बनाई थी. इन्हीं फर्जी कंपनियों में लोगों का पैसा इन्वेस्ट कराता था. पकड़े गए सभी आरोपी लोगों से वादा करते थे कि यह एक सुरक्षित निवेश है. निवेशक की मूल पूंजी हमेशा सुरक्षित रहेगी. यदि निवेशक अपना पैसा वापस लेना चाहे तो तीन दिन पहले सूचना देकर अपनी निवेश पूंजी अपने बैंक खाते में वापस ले सकता है. निवेशक की पूरी निवेश पूंजी के उपयोग करने का अधिकार नासिर अली व सलमा बानो के पास रहेगा. निवेशक को उसके निवेश की पूंजी का 10 प्रतिशत प्रति माह उसके खाते में जमा भी कराई जाएगी.

झांसे के लिए एक एप्लिकेशन भी बनाई
एसटीएफ डीएसपी ने बताया कि निवेशकों को किसी प्रकार का शक न हो इसके लिए गिरोह ने गूगल प्ले स्टोर पर एक एप 'फैन कैपिटल सर्विसेस" के नाम से बनाया गया था, जिसका एडमिन राईट नासिर अली के पास था. इस एप के माध्यम से निवेशकों की डिटेल लेकर उनका खाता खोला जाता था. जिस पर निवेशकों की निवेश रकम का ब्योरा अपने अनुसार दिखाया जाता था. खोले गये फर्जी डीमैट खाता नम्बरों को उसी एप के माध्यम से निवेश धनराशि का लाभ दिखाने के लिए किया जाता था. लेकिन बैकएण्ड पर कोई इस तरह के बैंकिंग सिस्टम को न संचालित करते हुए केवल निवेशकों को पैसों से ही उन्हें भुगतान करते हुए झूठा बैलेंस दिखाते थे. कुछ समय बाद लाग को खाते में न दिखाते हुए उसे प्रिंसिपल अकाउंट में ऐड करना बताया जाता था.

पैसा मांगने पर झूठे मुकदमें फंसा देता था
बाद में अपने ही अंतर्गत एप्प का एडमिन राईट होने से उसे नियंत्रित करते हुए जिन खातों की देनदारी अधिक हो जाती थी, उसे डीएक्टिवेट करके निवेशकों को झूठी सूचना देते रहना तथा पैसा मांगने पर सर्वर अपडेट, सॉफ्टवेर अपडेट, आदि बहाने बताकर भुगतान को लंबित रखना एवं धीरे-धीरे निवेशकों को कानूनी दांवपेंच में फंसाने की धौंस दिखाने के लिए अपनी कम्पनी में काम करने वाली लड़कियों और अपने अनुसूचित जाति के ड्राइवर के माध्यम से प्रार्थना पत्र देकर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने की धमकी देकर डराता रहता था. पैसे न देने के नियत से एडमिन पैनल से उनके खातों में हेराफेरी कर बैलेंस को निल कर देने का कार्य भी करता था. जिन निवेशकों द्वारा अत्यधिक दबाव बनाया गया, उन्हें फर्जी हस्ताक्षर का चेक दे देता था, जो बाद में बाउंस हो जाते थे.

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