रांची: लोकसभा चुनाव 2024 की दहलीज पर देश खड़ा है. भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दल यहां तक कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों में इंडि गठबंधन में भी चुनावी तैयारी और गठबंधन आकार लेता दिख रहा है, लेकिन 14 लोकसभा सीट वाले झारखंड में माहौल दूसरा ही है. झारखंड में भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी आजसू पार्टी जहां लगातार कार्यक्रम और बैठक कर रही है. वहीं इंडिया दलों के बीच आपस में ही घमासान मचा है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि पहले से ही बेहद मुश्किल लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरोध के लिए एकजुट हुई पार्टियों के अंदर का असंतोष क्या गुल खिलाने जा रहा है.
झारखंड में भाजपा के सामने सत्ताधारी दलों की तैयारियां कहीं दिख नहीं रही हैं. दिख रही है तो सिर्फ आपसी खींचतान और गुटबाजी. ऐसे में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता को उम्मीद है कि इस बार झारखंड के लोकसभा चुनाव देशभर से अलग होगा. यहां की जनता हेमंत सोरेन पर किये गए जुल्म के खिलाफ स्वतः गोलबंद होकर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को सबक सिखाएगी.
इंडि गठबंधन में दोस्ताना संघर्ष के बन रहे हैं हालात
राज्य में जिस तरह से सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले, मासस, राजद और आप की लोकसभा चुनाव लड़ने की चाहत है. झामुमो-कांग्रेस एक सीमा तक ही बड़ा दिल दिखाने को तैयार है. बहुत मुमकिन है कि झारखंड में लोकसभा चुनाव की स्थिति कमोबेश 2019 जैसी न हो जाए. तब राजद को महागठबंधन में एक लोकसभा सीट पलामू मिला था और तब चतरा से भी राजद ने कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार दे दिया था और भाजपा ने चतरा और पलामू दोनों सीट जीत ली थी.
सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक कहते हैं कि हजारीबाग में कांग्रेस का कोई आधार नहीं है. भाजपा को वहां दो बार किसी ने हराया है तो वह सीपीआई ही है.
चुनाव की घोषणा होते ही कई नेता पाला भी बदलेंगे
इंडिया दल एक-दूसरे पर बयानबाजी ही नहीं कर रहे हैं. सूत्र बताते हैं कि बहुत संभव है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही राज्य में इंडिया दलों के नेता दल बदल भी करेंगे. सूत्र बताते हैं कि इंडिया दल के कई नेता ने अलग अलग लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की उम्मीदें पाल रखी हैं. अगर वह पूरा नहीं होता दिखा तो दलबदल से भी ऐसे नेताओं को कोई परहेज नहीं होगा.
क्या राज्य के इंडिया दल बढ़ा पायेंगे लोकसभा सीट या NDA कर जाएगा क्लीन स्वीप