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बचपन में साढ़े तीन रुपए न होने पर स्कूल का ग्रुप फोटो नहीं ले पाए थे बीरबल, बाद में कैमरे में कैद किया एक लाख छायाचित्रों का खजाना - Photographer Birbal Sharma

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 19, 2024, 7:14 PM IST

photographer Birbal Sharma: हिमाचल प्रदेश का फोटोग्राफी की दुनिया में एक ऐसा नाम जिसके बारे में आप में से कई लोगों ने सुना होगा. इन शख्स का नाम है बीरबल शर्मा. कभी अभावों के कारण ये अपने स्कूल का ग्रुप फोटो नहीं खरीद पाए थे. विश्व फोटोग्राफी दिवस पर देखिये उनके द्वारा कैमरे में कैद की गई शानदार तस्वीरें...

बीरबल शर्मा, फोटोग्राफर
बीरबल शर्मा, फोटोग्राफर (@Birbal Sharma)

शिमला: कैमरे के जादुई क्लिक की दुनिया में विचरण करने वाले प्रेमियों से यदि बीरबल शर्मा का जिक्र किया जाए तो उनकी जुबान से अनेक किस्से झरने लगते हैं. बीरबल शर्मा का जीवन हिमाचल के दुर्गम इलाकों में दुर्लभ छायाचित्र संजोने में निरंतर जुटा हुआ है. कभी अभावों के कारण महज साढ़े तीन रुपए का स्कूल ग्रुप फोटो नहीं ले पाए थे.

हिमाचल प्रदेश में रिवर राफ्टिंग करते पर्यटक (@Birbal Sharma)
चंद्रताल लेक लाहौल-स्पीति हिमाचल प्रदेश (@Birbal Sharma)

ये टीस उनके मन में रह-रहकर उभरती रही. बाद में इन्हीं बीरबल शर्मा ने अपने कैमरे से ऐसे-ऐसे चित्र कैद किए कि बड़े राजनेताओं से लेकर कला प्रेमियों के मन में अमिट छाप छोड़ गए. बीरबल शर्मा को हिमाचल गौरव सहित अनेक सम्मान मिले हैं. उन्होंने हिमाचल के हर कोने से विभिन्न विषयों के एक लाख से अधिक चित्र खींचे हैं. उनकी आर्ट गैलरी कला प्रेमियों के लिए विस्मय भरी यात्रा होती है. विश्व फोटोग्राफी दिवस पर बीरबल शर्मा के योगदान की चर्चा जरूरी है.

सोलंग वैली मनाली हिमाचल प्रदेश (@Birbal Sharma)

हमीरपुर में जन्म, मंडी बनी कर्मभूमि

बीरबल शर्मा का जन्म हमीरपुर जिला के हरसौर में हुआ है. आठवीं कक्षा में जब ग्रुप फोटो खींचा गया तो उनके पास चित्र लेने के लिए साढ़े तीन रुपए नहीं थे. इसी टीस ने उनके मन में कैमरे के प्रति ललक जगा दी थी.

हिमाचल के पहाड़ों में लकड़ी उठाए हुए एक लड़की (@Birbal Sharma)

सिर्फ 15 साल की आयु में वह रोजगार की तलाश में मंडी आए और दस साल तक फोटोग्राफी की. वर्ष 1982 में उन्होंने मंडी में अपना फोटो स्टूडियो स्थापित किया.

पुराने समय में मंडी शहर (@Birbal Sharma)

उनके मन में दुर्गम इलाकों के जनजीवन को कैमरे में कैद करने की इच्छा थी फिर उन्होंने मंदिरों आदि की शानदार फोटोज खींचे. दूरस्थ इलाकों की यात्राएं की और वहां के जीवन को नजदीक से निहारा और कैमरे में समेट लिया. फिर 1988 में उनकी पहली प्रदर्शनी लगी. पहली प्रदर्शनी से मिली सराहना से उनका ये सफर आगे बढ़ा.

चंबा के चुराह में एक स्कूली बच्चा (@Birbal Sharma)

कैमरे में कैच किए पहाड़, दर्रे, मौत से भी हुआ सामना

बीरबल शर्मा ने प्रदेश के दुर्गम इलाकों की यात्रा में कई पहाड़ चढ़े, कई दर्रों को लांघा, विशाल पत्थरों के नीचे रातें काटी. कई बार उनका मौत से भी सामना हुआ.

रोहतांग पास पर घास चरती भेड़ें (@Birbal Sharma)

उनके पास धीरे-धीरे हिमाचल के सभी प्राचीन मंदिरों, किलों, स्मारकों, कुदरती झीलों, मेलों, त्यौहारों, उत्सवों, कठिन लेकिन उल्लास भरे जनजीवन सहित हर पल के जीवन के छायांकन जुट गए.

श्रीखंड महादेव जिला कुल्लू (@Birbal Sharma)

वर्ष 1996 में मंडी के गांधी भवन में लगी उनकी प्रदर्शनी कला प्रेमियों के आग्रह पर 15 दिन तक चली और रिकॉर्ड 70 हजार लोगों ने उसे देखा. लोगों के रिस्पांस से उत्साहित बीरबल शर्मा ने 24 अप्रैल 1997 को नेशनल हाइवे-21 मंडी-कुल्लू मार्ग पर बिंद्रावणी में हिमाचल दर्शन फोटो गैलरी की स्थापना की.

किन्नौरी परिधान में किन्नौर की एक युवती (@Birbal Sharma)

बीते 27 साल में यहां पांच लाख दर्शक आ चुके हैं. एक दशक पहले एनआईटी हमीरपुर में दीक्षांत समारोह के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति के दौरे के लिए भी उनकी प्रदर्शनी लगी. बीरबल शर्मा के खींचे चित्रों से हिमाचल की संस्कृति, कला, जनजीवन आदि को समझने में मदद मिलती है.

चंबा जिला के पांगी में एक बुजुर्ग महिला (@Birbal Sharma)

कई शोधार्थी उनके चित्रों से लाभ उठा चुके हैं. बीरबल शर्मा के खाते में हिमाचल गौरव सहित कई सम्मान मिल चुके हैं. उन्हें राष्ट्रीय स्तर के भी कई अवॉर्ड मिले हैं. उनकी आर्ट गैलरी को देश के 569 म्यूजियम में शामिल किया गया है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के एंटीक व मोनुमेंट विंग ने इसे शोध संस्थान के रूप में भी मान्यता दी है.
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