जोधपुर.कभी राजस्थान सरकार को भरपूर टैक्स की कमाई देने वाली ग्वार इंडस्ट्रीज अब सरकार की नीतियों के चलते ही दम तोड़ रही है. पड़ोसी राज्य गुजरात, हरियाणा और पंजाब में ग्वार गम के प्लांट शिफ्ट हो रहे हैं. वजह है प्रदेश की कृषि मंडी में लगने वाला टैक्स जिसके चलते किसान अपनी उपज सीधे इन राज्यों की इंडस्ट्रीज में जाकर बेच रहा है. इससे उसे मंडी टैक्स 2.60 प्रतिशत की बचत हो रही है. खास बात यह है भी है कि ग्वार बेचने जाना वाला किसान उन्हीं फैक्ट्रियों से वापस पशु आहार के लिए चूरी खरीद कर ला रहा है. इससे सरकार और व्यापारियों को दोहरा नुकसान हो रहा है. किसानों और व्यापारियों का पलायन रोकने के लिए राजस्थान ग्वार गम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने टैक्स में छूट देने के लिए मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है. एसोसिएशन के सचिव श्रेयांस मेहता ने बताया कि टैक्स की वजह से कभी निर्यात में सबसे आगे रहने वाला ग्वार गम व्यवसाय आज दम तोड़ रहा है.
सबसे बड़ा उत्पाद राजस्थान और खपत भी यहीं :पूरे भारत का 70 फीसदी से अधिक ग्वार राजस्थान में पैदा होता है. इसकी खपत भी सर्वाधिक राजस्थान में होती है. खासकर हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर व सांचौर जिले के पशु पालक इसका उपयोग करते हैं. इसके अलावा इसका पाउडर जिसे गम कहा जाता है, वह एक्सपोर्ट होता था, लेकिन विगत 3 सालों से टैक्स की मार के चलते धीरे-धीरे जोधपुर की इंडस्ट्रीज बंद होने लगी है. कमोबेश यही हाल जैसलमेर और बीकानेर के हैं. अब सरकार पड़ोसी राज्यों की तरह यहां भी टैक्स में छूट दे तो ही वापस इंडस्ट्रीज चल सकेगी और हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा.