ETV Bharat / health

डायबिटीज और मोटापे के कारण हो सकता है लीवर कैंसर - Liver Cancer

एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि डायबिटीज और मोटापा लिवर कैंसर को दोबारा विकसित कर सकता है. जानें कैसे, पढ़ें पूरी खबर...

author img

By ETV Bharat Health Team

Published : 2 hours ago

Balancing health: diabetes and obesity increase risk of liver cancer relapse
डायबिटीज और मोटापे के कारण हो सकता है लीवर कैंसर (ETV Bharat)

एक स्टडी के अनुसार, मधुमेह और मोटापा लीवर कैंसर के दोबारा होने को बढ़ावा दे सकते हैं, यह दुनिया भर में छठा सबसे आम कैंसर है. ओसाका मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) पर ध्यान केंद्रित किया गया. हेपेटाइटिस संक्रमण से जुड़ा एक प्रकार का लीवर कैंसर, जिसे कैंसर हटाने के बाद हाई रिकरन्स रेट के लिए जाना जाता है.

यह वैश्विक स्तर पर कैंसर से संबंधित मौतों का तीसरा प्रमुख कारण भी है. मोटापा और मधुमेह, जो मेटाबोलिक सिंड्रोम के विकास से निकटता से जुड़े हैं, स्टीटोटिक लीवर रोगों को प्रेरित करने के लिए जाने जाते हैं, जो संभावित रूप से लीवर सिरोसिस और HCC विकास का कारण बनते हैं. हालांकि, रोगी के जीवित रहने और कैंसर की पुनरावृत्ति पर मोटापे और डायबिटीज के प्रभाव स्पष्ट नहीं हैं.

यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन में डॉ. हिरोजी शिंकावा की शोध टीम ने कहा कि चूंकि सहवर्ती मोटापे और डायबिटीज के साथ हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा में देर से पुनरावृत्ति का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए मोटापे और डायबिटीज को कंट्रोल करना लीवर कैंसर के लिए एक महत्वपूर्ण इलाज रणनीति है. जर्नल लिवर कैंसर में प्रकाशित अध्ययन में, टीम ने हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा से पीड़ित 1,644 रोगियों में डायबिटीज, मोटापे और ऑपरेशन के बाद के परिणामों के बीच संबंधों का विश्लेषण किया, जिन्होंने लीवर रिसेक्शन करवाया था.

परिणामों से पता चला कि मोटापे के कारण ऑपरेशन के दो साल बाद बीमारी के फिर से होने का खतरा लगभग 1.5 गुना बढ़ गया, और मधुमेह के मामले में, खतरा 1.3 गुना अधिक था. इसके अलावा, ऑपरेशन के बाद पांच साल बाद बीमारी के फिर से होने का खतरा मोटापे के साथ 3.8 गुना अधिक था, जबकि डायबिटीज के साथ यह 2 गुना अधिक था.

डॉ. शिंकावा ने कहा कि निष्कर्ष कैंसर के फिर से होने का जल्द पता लगाने और उचित उपचार रणनीतियों के डिजाइन में योगदान दे सकते हैं. मोटापा टाइप 2 मधुमेह के लिए एक कॉमन रिस्क फैक्टर है, और दोनों स्थितियां अक्सर जुड़ी होती हैं. हाल के शोध से पता चला है कि अगले 40 वर्षों में मोटापे से ग्रस्त वयस्कों की संख्या छह गुना बढ़ जाएगी, जबकि डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या 2040 तक 642 मिलियन हो जाएगी.

सोर्स-

https://www.sciencedaily.com/releases/2024/10/241003123551.htm#:~:text=%22Because%20the%20risk%20of%20late,were%20published%20in%20Liver%20Cancer.

ये भी पढ़ें

एक स्टडी के अनुसार, मधुमेह और मोटापा लीवर कैंसर के दोबारा होने को बढ़ावा दे सकते हैं, यह दुनिया भर में छठा सबसे आम कैंसर है. ओसाका मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन में हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) पर ध्यान केंद्रित किया गया. हेपेटाइटिस संक्रमण से जुड़ा एक प्रकार का लीवर कैंसर, जिसे कैंसर हटाने के बाद हाई रिकरन्स रेट के लिए जाना जाता है.

यह वैश्विक स्तर पर कैंसर से संबंधित मौतों का तीसरा प्रमुख कारण भी है. मोटापा और मधुमेह, जो मेटाबोलिक सिंड्रोम के विकास से निकटता से जुड़े हैं, स्टीटोटिक लीवर रोगों को प्रेरित करने के लिए जाने जाते हैं, जो संभावित रूप से लीवर सिरोसिस और HCC विकास का कारण बनते हैं. हालांकि, रोगी के जीवित रहने और कैंसर की पुनरावृत्ति पर मोटापे और डायबिटीज के प्रभाव स्पष्ट नहीं हैं.

यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन में डॉ. हिरोजी शिंकावा की शोध टीम ने कहा कि चूंकि सहवर्ती मोटापे और डायबिटीज के साथ हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा में देर से पुनरावृत्ति का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए मोटापे और डायबिटीज को कंट्रोल करना लीवर कैंसर के लिए एक महत्वपूर्ण इलाज रणनीति है. जर्नल लिवर कैंसर में प्रकाशित अध्ययन में, टीम ने हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा से पीड़ित 1,644 रोगियों में डायबिटीज, मोटापे और ऑपरेशन के बाद के परिणामों के बीच संबंधों का विश्लेषण किया, जिन्होंने लीवर रिसेक्शन करवाया था.

परिणामों से पता चला कि मोटापे के कारण ऑपरेशन के दो साल बाद बीमारी के फिर से होने का खतरा लगभग 1.5 गुना बढ़ गया, और मधुमेह के मामले में, खतरा 1.3 गुना अधिक था. इसके अलावा, ऑपरेशन के बाद पांच साल बाद बीमारी के फिर से होने का खतरा मोटापे के साथ 3.8 गुना अधिक था, जबकि डायबिटीज के साथ यह 2 गुना अधिक था.

डॉ. शिंकावा ने कहा कि निष्कर्ष कैंसर के फिर से होने का जल्द पता लगाने और उचित उपचार रणनीतियों के डिजाइन में योगदान दे सकते हैं. मोटापा टाइप 2 मधुमेह के लिए एक कॉमन रिस्क फैक्टर है, और दोनों स्थितियां अक्सर जुड़ी होती हैं. हाल के शोध से पता चला है कि अगले 40 वर्षों में मोटापे से ग्रस्त वयस्कों की संख्या छह गुना बढ़ जाएगी, जबकि डायबिटीज से पीड़ित लोगों की संख्या 2040 तक 642 मिलियन हो जाएगी.

सोर्स-

https://www.sciencedaily.com/releases/2024/10/241003123551.htm#:~:text=%22Because%20the%20risk%20of%20late,were%20published%20in%20Liver%20Cancer.

ये भी पढ़ें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.