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ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा मिलेगा लाभ, चमकेगी किस्मत - Navratri 3rd Day

नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा कैसे करें? देवी को कौन सा रंग पसंद है, साथ ही जानें कैसे भगवती को प्रसन्न करें.

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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

Worship Maa Chandraghanta in this way to get benefits
मां चंद्रघंटा की पूजा की ऐसे करें पूजा मिलेगा लाभ (ETV Bharat)

नवरात्रि शुरू हो गई है और माहौल भक्ति और उत्सव के उत्साह से भर गया है. यह त्यौहार मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों का सम्मान करता है, और तीसरा दिन या तृतीया, देवी चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए समर्पित है, जो सुंदरता और बहादुरी का प्रतीक हैं.

मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की अपनी विशेष विशेषता है एवं महत्व है, मां चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है इस कारण उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राक्षसों का वध करने के लिए और संसार में शांति स्थापित करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था, मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिदेव की शक्ति समाहित है. मां का वाहन बाघ है, मां चंद्रघंटा की आराधना से सुख शांति एवं सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है,उनके आशीर्वाद से जीवन में निर्भयता रहती है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार असुरों के राजा महिषासुर ने स्वर्ग लोक पर कब्जा कर लिया था जिससे संपूर्ण जगत में हाहाकार मच गया. तीनों लोक के प्राणी उसके आतंक के कारण भयभीत रहने लगे. तब सभी देवताओं ने मिलकर ब्रह्मा-विष्णु-महेश से महिषासुर के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश ने अपनी शक्ति से मां चंद्रघंटा को प्रकट किया. मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं,उन्होंने अपने हाथों में विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शास्त धारण किए हुए हैं जिसमें मुख्य रूप से त्रिशूल,गदा और धनुष है. मां चंद्रघंटा का वाहन बाघ है.

नवरात्रि का तीसरा दिन: पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन, यह सुझाव दिया जाता है कि भक्त जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. वे देवी की मूर्ति को एक मंच पर या अपने पूजा कक्ष में रख सकते हैं, और इसे केसर, गंगा जल और केवड़ा से शुद्ध कर सकते हैं. इसके बाद देवी को उनके पारंपरिक परिधान पहनाकर पीले फूल, चमेली, पंचामृत और मिश्री का भोग लगाया जा सकता है.

देवी को पसंद है लाल रंग
लाल रंग देवी चंद्रघंटा का है, जिनकी नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा की जाती है. उन्हें एक योद्धा देवी के रूप में दर्शाया गया है जो बाघ की सवारी करती हैं, दस भुजाओं वाली हैं और विभिन्न हथियार रखती हैं. वह लाल कपड़े पहनती हैं और उनके माथे पर अर्धचंद्र है.

लाल रंग ऊर्जा, जीवन शक्ति और शक्ति से भी जुड़ा हुआ है. यह एक ऐसा रंग है जो लोगों को कार्रवाई करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है. माना जाता है कि नवरात्रि के तीसरे दिन लाल रंग पहनने से देवी चंद्रघंटा का आशीर्वाद मिलता है और सौभाग्य और सफलता मिलती है.

नवरात्रि दिवस 3 मंत्र
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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नवरात्रि शुरू हो गई है और माहौल भक्ति और उत्सव के उत्साह से भर गया है. यह त्यौहार मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों का सम्मान करता है, और तीसरा दिन या तृतीया, देवी चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए समर्पित है, जो सुंदरता और बहादुरी का प्रतीक हैं.

मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की अपनी विशेष विशेषता है एवं महत्व है, मां चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है इस कारण उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राक्षसों का वध करने के लिए और संसार में शांति स्थापित करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था, मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिदेव की शक्ति समाहित है. मां का वाहन बाघ है, मां चंद्रघंटा की आराधना से सुख शांति एवं सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है,उनके आशीर्वाद से जीवन में निर्भयता रहती है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार असुरों के राजा महिषासुर ने स्वर्ग लोक पर कब्जा कर लिया था जिससे संपूर्ण जगत में हाहाकार मच गया. तीनों लोक के प्राणी उसके आतंक के कारण भयभीत रहने लगे. तब सभी देवताओं ने मिलकर ब्रह्मा-विष्णु-महेश से महिषासुर के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश ने अपनी शक्ति से मां चंद्रघंटा को प्रकट किया. मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं,उन्होंने अपने हाथों में विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शास्त धारण किए हुए हैं जिसमें मुख्य रूप से त्रिशूल,गदा और धनुष है. मां चंद्रघंटा का वाहन बाघ है.

नवरात्रि का तीसरा दिन: पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन, यह सुझाव दिया जाता है कि भक्त जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. वे देवी की मूर्ति को एक मंच पर या अपने पूजा कक्ष में रख सकते हैं, और इसे केसर, गंगा जल और केवड़ा से शुद्ध कर सकते हैं. इसके बाद देवी को उनके पारंपरिक परिधान पहनाकर पीले फूल, चमेली, पंचामृत और मिश्री का भोग लगाया जा सकता है.

देवी को पसंद है लाल रंग
लाल रंग देवी चंद्रघंटा का है, जिनकी नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा की जाती है. उन्हें एक योद्धा देवी के रूप में दर्शाया गया है जो बाघ की सवारी करती हैं, दस भुजाओं वाली हैं और विभिन्न हथियार रखती हैं. वह लाल कपड़े पहनती हैं और उनके माथे पर अर्धचंद्र है.

लाल रंग ऊर्जा, जीवन शक्ति और शक्ति से भी जुड़ा हुआ है. यह एक ऐसा रंग है जो लोगों को कार्रवाई करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर सकता है. माना जाता है कि नवरात्रि के तीसरे दिन लाल रंग पहनने से देवी चंद्रघंटा का आशीर्वाद मिलता है और सौभाग्य और सफलता मिलती है.

नवरात्रि दिवस 3 मंत्र
ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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