देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम के कपाट बंद होने के बाद सरकार शीतकालीन यात्रा पर जोर दे रही है. इससे प्रदेश में धार्मिक यात्रा को साल भर संचालित किया जा सकेगा. शीतकालीन चारधाम यात्रा के प्रति श्रद्धालुओं को प्रोत्साहित किए जाने को लेकर राज्य सरकार जीएमवीएन के गेस्ट हाउस में 25 फीसदी छूट भी दे रही है. जिससे श्रद्धालु बढ़-चढ़कर शीतकालीन यात्रा पर आये. शीतकालीन यात्रा में श्रद्धालुओं को जहां दर्शन करने में सहूलियत होगी, वहीं, इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
शीतकालीन प्रवास में श्रद्धालुओं को होंगे दर्शन:शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर, ईटीवी भारत के संवाददाता रोहित कुमार सोनी ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से एक्सक्लूसिव बातचीत की. बातचीत करते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा शीतकाल के दौरान चारधाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. ऐसे में शीतकाल के दौरान मां यमुनोत्री की पूजा उनके प्रवास स्थल खरसाली में की जाती है. इसी तरह मां गंगा की पूजा उनके प्रवास स्थल मुखबा में की जाती है. इसके अलावा शीतकाल के दौरान केदारनाथ की पूजा उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर और भगवान बद्दी विशाल की पूजा पांडुकेश्वर में की जाती है. चारधाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकाल के दौरान यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं.
पूजा पाठ के साथ हसीन वादियों का लुत्फ:उन्होंने कहा चारधाम के अंदर यह दूसरे स्थान है जहां भगवान प्रवास करते हैं. ऐसे में श्रद्धालु यहां भी भगवान के दर्शन कर सकते हैं. शीतकाल के दौरान अब पर्वत की चोटियां बर्फ से ढकने वाली हैं, लिहाजा शीतकालीन यात्रा के दौरान न सिर्फ पूजा पाठ कर सकेंगे बल्कि प्रदेश की खूबसूरत वादियों का भी लुफ्त भी उठा सकेंगे. बर्फ और खूबसूरत वादियों को देखने के लिए लोग स्विट्जरलैंड या फिर अन्य देशों की ओर रुख करते हैं, लेकिन उत्तराखंड में ये चीजें उपलब्ध हैं. शीतलाकीन चारधाम यात्रा में प्रदेश में स्कीइंग करने के साथ ही बर्फ का आसानी से दीदार किया जा सकता है.
शीतकाल के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में गाड़ियों के फिसलने या फिर सड़क दुर्घटना होने की संभावनाएं बढ़ जाती है? जिसके सवाल पर पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज ने कहा लोक निर्माण विभाग को इस बाबत निर्देश दिए गए हैं कि पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फ हटाने के लिए मशीनें लगाए. साथ ही बर्फ को हटाने के लिए नमक के पानी का भी स्प्रे करें. नमक से भी बर्फ पिघल जाती है. उन्होंने कहा बर्फ गिरने के बाद जब उस पर ओस पड़ती है तो बर्फ सख्त हो जाता है. ऐसे में कोशिश रहेगी की ओस पड़ने से पहले ही बर्फ हटाकर मार्ग खोल दिया जाए. जिससे शीतकालीन यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत ना हो.